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शिक्षकों की कमी, फिर भी रामानंद परसी उच्च विद्यालय में गुणोत्तर पढ़ाई , निकल रहे टॉपर

आजादी के पूर्व 1932 में स्थापित रामानंद परसी उच्च विद्यालय में बहरहाल शिक्षकों का टोटा हैा विषयवार शिक्षकों के नहीं होने छात्रों को पढ़ाई में परेशानी हो रही हैा हालांकि प्राचार्य का कहना है कि बेहतर शिक्षा दी जा रही हैा स्कूल का रिजल्ट भी बेहतर हैा

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 02:23 PM (IST)
शिक्षकों की कमी, फिर भी रामानंद परसी उच्च विद्यालय में गुणोत्तर पढ़ाई , निकल रहे टॉपर
गुणोत्तर पढ़ाई के बल पर स्कूलों से निकल रहे टॉपर छात्र

जागरण संवाददाता, मुंगेर । 1932 में स्थापित रामानंद परसी उच्च विद्यालय प्रखंड क्षेत्र के नामचीन विद्यालय में से एक है। यहां से शिक्षा ग्रहण कर छात्र अपनी प्रतिभा का परचम पूरे देश में लहरा रहे हैं। इस स्कूल के छात्र प्रत्येक वर्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक की परीक्षा में टॉप टेन में अपनी जगह बनाते हैं। वर्तमान समय में रामानंद पारसी उच्च विद्यालय शिक्षकों की कमी का दंश झेलने को विवश है। शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पर रहा है। स्कूल में लगभग एक हजार छात्र नामांकित हैं, जबकि मात्र 15 शिक्षक ही कार्यरत हैं। विद्यालय में शिक्षकों के 40 पद सृजित हैं। इस विद्यालय में इंटर तक की पढ़ाई होती है।

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विद्यालय के कंप्यूटर फांक रहे धूल

स्कूल में छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए 11 कंप्यूटर लगे हुए हैं, लेकिन सभी कंप्यूटर खराब हैं। जिसके कारण शिक्षक रहने के बावजूद भी कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो रही है। सारे कंप्यूटर कमरे में धूल फांक रहे हैं। यहां छात्राओं के लिए कॉमन रूम नहीं है। जिससे छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय में लगाएं गए व्यायाम के उपकरण में भी जंक लग रहा है।

क्या कहते हैं छात्र, छात्राएं

छात्र विकास कुमार , संतोष कुमार, शारदा कुमारी, पायल कुमारी, रेशमी कुमारी आदि छात्र छात्राओं ने कहा कि विद्यालय में पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था है। छात्राओं के लिए कॉमन रूम नहीं है। जिससे हमलोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में छत से पानी रिसता है। जिस कारण अध्ययन करने में काफी परेशानी होती है। स्कूल में अर्थशास्त्र , इतिहास , राजनीतिक शास्त्र , संगीत आदि के शिक्षक हैं, लेकिन विज्ञान के शिक्षक नहीं है। जिससे विज्ञान की पढाई करने के लिए कोङ्क्षचग सेंटर में जाकर अध्ययन करना पड़ता है।

बोली प्राचार्य अनिता कुमारी

प्राचार्य अनिता कुमारी ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी है। इसके बावजूद छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किए जाते हैं। प्रत्येक साल मैट्रिक व इंटर के परीक्षा परिणाम में विद्यालय के छात्र टॉपर की सूची में अपनी जगह बनाते हैं। शिक्षकों की कमी को लेकर डीईओ को पत्र लिखा गया है। साथ ही अन्य समस्याओं से भी अवगत कराया गया है। अभी तक शिक्षक नहीं मिले हैं। कठिनाइयों का अंदाजा लगाया जा सकता है।


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