स्वास्थ्य का खेल अभियान : प्रसव कराते-कराते एएनएम बन गई अनुभवी पर नहीं मिली महिला चिकित्सक
नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की 1934 में स्थापना हुई थी। आबादी बढ़ी पर सुविधाएं नहीं। एक लाख 72 हजार 675 आबादी के लिए है एक एंबुलेंस चार डॉक्टर। आउटसोर्सिंग के माध्यम से पीएचसी का चलाया जा रहा कार्य। मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।
भागलपुर [राजेश भारती]। प्रसव करा-कराकर एएनएम बन गई अनुभवी पर नहीं मिल पाई महिला चिकित्सक। जी हां, हम बात कर रहे अंग्रेजी हुकूमत के समय स्थापित नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का। देश आजाद होने के बाद से अब तक क्षेत्र की आबादी तो बढ़ती गई पर संसाधन नहीं बढ़े। ऐसे में लोगों को वहां इलाज करवाना मजबूरी बन गई है।
पीएचसी नारायणपुर की स्थापना 1934 में हुई थी। वहां चार चिकित्सकों के भरोसे ग्यारह पंचायत की एक लाख बहत्तर हजार 675 की आबादी है। वहीं, एक छोटी एंबुलेंस भी है जो ग्यारह पंचायतों को सेवा देने में हाफ रही है, जबकि एक अन्य एंबुलेंस परिसर में खराब पड़ी है। पीएचसी में प्रतिदिन औसतन सात महिलाओं का प्रसव होता है, लेकिन तीन साल से महिला चिकित्सक नहीं है। ऐसे में पुरुष चिकित्सकों के डायरेक्शन पर एएनएम ही प्रसव कराती है।
कोरोना और आक्सीजन स्तर का हो रहा टेस्ट
पीएचसी में लैब टेक्नीशियन द्वारा ब्लड शुगर, कालाजार, मलेरिया, हेपेटाइटिस बी, कोरोना वायरस, गर्भवती महिलाओं का यूरिन टेस्ट, ऑक्सीजन स्तर का टेस्ट हो रहा है। पीएचसी में कई सरकारी पद अभी भी खाली हैं। आउटसोर्स के ग्यारह कर्मी द्वारा पीएचसी का कार्य किया जा रहा है। सुरक्षा के लिए छह गार्ड हैं। कुल अड़तीस तरह की दवाइयां पीएचसी में उपलब्ध हैं। आउटडोर में सभी जेनेरिक दवाइयां दी जाती हैं। पारासिटामोल, कैल्शियम, आयरन सेट्रीजन, डाइक्लोन, लिवो सिट्रीजन टेबलेट और सिरप। गामालोशन बाम सहित सोलह प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं, जबकि इनडोर में आवश्यकता पडऩे पर जेनेरिक दवाइयों को छोड़कर डायलोना, सिफोक्सीन, एंटी रेबीज एएसएनवी भी उपलब्ध रहती है।
बच्चों के लिए रेडिएंट वार्मर की है सुविधा
परिवार नियोजन करवाने आई महिला के लिए पीएचसी में सरकारी स्तर पर भोजन और बेड की भी व्यवस्था है। महिलाओं को पीएचसी के एंबुलेंस से लाया जाता है और फिर उसी एंबुलेंस से परिवार नियोजन करवाने के बाद घर तक पहुंचाया जाता है। प्रसव कक्ष में बच्चा पैदा होने के बाद रेडिएंट वार्मर द्वारा हाइपोथॢमया बच्चों को दिया जाता है। नवजात बच्चों में जांडिस के लक्षण होने पर फोटोथेरेपी के साथ प्रसव कक्ष में बच्चों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की भी सुविधा उपलब्ध है।