शाहनवाज हुसैन: अटल व्यक्तित्व से तय होता रहा नीतीश के इस मंत्री का कद
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी व्यक्तित्व से तय होता रहा सैयद शाहनवाज का कद। 1968 में सुपौल में हुआ था सैयद शाहनवाज हुसैन का जन्म। 1998 के पहले लोकसभा चुनाव में देखना पड़ा था सैयद शाहनवाज हुसैन को हार का मुंह।
जागरण संवाददाता, सुपौल। सैयद शाहनवाज हुसैन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। इनका जन्म 1968 में सुपौल में हुआ। उन्होंने विलियम्स हाई स्कूल, सुपौल से उच्च माध्यमिक की पढ़ाई पूरी की। वे पटना और दिल्ली से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हैं। शाहनवाज तीन बार लोकसभा सांसद रहे (1999, 2006, 2009) और 2021 में विधान परिषद सदस्य हैं। इन सबके बीच वे चुनाव हारे भी लेकिन पार्टी में इनका कद हार-जीत से नहीं बल्कि इनके अटल व्यक्तित्व से तय होता रहा। अब जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है तो इन्हें भी इसमें जगह मिली है।
1998 के लोकसभा चुनाव में शाहनवाज हुसैन को पहली बार किशनगंज से आरजेडी उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन के खिलाफ चुनाव लडऩे का मौका मिला। यह चुनाव वे हार गए, लेकिन पहले चुनाव में मिले करीब ढाई लाख वोट इनका हौसला बुलंद कर गया। 1999 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो किशनगंज से सांसद बने और एनडीए के सरकार में राज्यमंत्री भी बने। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर और स्पोट्र्स जैसे विभाग उनके पास थे। 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया और सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ एक कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया। ये भारत के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनने के साथ-साथ अटल सरकार में महत्वपूर्ण चेहरा बन गए।
2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला। 2004 के आम चुनाव में हार के बाद ये 2006 के उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीतकर दोबारा संसद पहुंचे। 2009 में भागलपुर से इन्हें दोबारा जीत मिली और ये एक बार फिर लोकसभा पहुंचे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी लहर थी तो इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में वे मात्र चार हजार वोट से हारे थे। इसके बाद 2021 में भाजपा ने इन्हें विधान परिषद सदस्य के रूप में नई जिम्मेदारी देते हुए मंत्रिमंडल में शामिल किया है। मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से जिले में खुशी का माहौल है।