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भागलपुर के सात हजार बच्चों ने निजी विद्यालय छोड़ा, सरकारी स्कूलों में कराया नामांकन

कोरोना के कारण झेलनी पड़ी आर्थिक तंगी सात हजार से अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में कराया नामांकन। कोरोना की पहली लहर थमने के बाद शिक्षा विभाग ने नामांकन को लेकर चलाया विशेष अभियान। सात से 25 मार्च 2021 तक चला था अभियान।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 11:50 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 11:50 AM (IST)
भागलपुर के सात हजार बच्चों ने निजी विद्यालय छोड़ा, सरकारी स्कूलों में कराया नामांकन
सरकारी स्‍कूलों में एक लाख 62 हजार 693 छात्रों का हुआ था नामांकन।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोरोना संक्रमण के कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई। आर्थिक संकट से परेशान अभिभावकों ने महंगे निजी स्कूलों को छोड़ कर सरकारी स्कूलों की ओर रूख किया। शिक्षा विभाग के पास स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि निजी स्कूलों में पढऩे वाले सात हजार से अधिक छात्रों ने सरकारी स्कूलों में नामांकन कराया है।

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जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान ने कहा कि कोरोना की पहली लहर का असर थमने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों में नामांकन के लिए विशेष अभियान चलाया गया। सात से 25 मार्च तक चले अभियान के दौरान जिला में एक लाख 62 हजार 693 बच्चों ने नामांकन कराया। जिसमें 20 से 22 हजार बच्चों ने वर्ग तीन, चार और पांच में नामांकन कराया। शिक्षा विभाग का यह मानना है कि पहली कक्षा में ऐसे छात्रों का नामांकन होता है, जो कभी स्कूल नहीं गए।

वहीं, सातवीं कक्षा में सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र नामांकन कराते हैं। कक्षा तीन, चार, पांच या छह में नामांकन कराने वाले छात्रों के बारे में शिक्षा विभाग यह मानता है कि ऐसे छात्र पहले कहीं और शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान देव नारायण पंडित ने कहा कि निजी विद्यालय को छोड़कर सरकारी विद्यालय में नामांकन कराने वाले छात्रों का डाटा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसे सात हजार से अधिक छात्रों के नामांकन कराए जाने का अनुमान है।

शिक्षकों को हुई परेशानी

कई निजी विद्यालय के शिक्षकों को भी कोरोना के कारण काफी परेशानी हुई। शिक्षकों की नौकरी चली गई। काफी परेशानी हुई। इसके बाद कई बच्‍चे स्‍कूल शुल्‍क नहीं दे पाए, इस कारण ऐसे छात्र वहां से निकलकर सारकारी स्‍कूलों में अपना नामांकन करवा लिया। शिक्षकों की मानें तो कोरोना ने प्राइवेट स्‍कूलो में पढ़ाने से शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है।  


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