सीनेट, सिंडिकेट और विद्वत परिषद् का बदल जाएगा स्वरूप
सीनेट, सिंडिकेट और विद्वत परिषद् का आकार छोटा हो जाएगा। कई सदस्यों के लिए फिर से चुनाव की आवश्यकता पड़ेगी।
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का बंटवारा हो जाने के बाद कई समितियों का स्वरूप बदल जाएगा। सीनेट, सिंडिकेट और विद्वत परिषद् का आकार छोटा हो जाएगा। कई सदस्यों के लिए फिर से चुनाव की आवश्यकता पड़ेगी।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अधीन 29 अंगीभूत कॉलेज थे। मुंगेर विवि के अस्तित्व में आ जाने के बाद तिलकामांझी विवि के पास मात्र 12 कॉलेज ही रह गया है। सिंडिकेट में कॉलेज की स्थापना के आधार पर दो प्राचार्य सदस्य के रूप में रहते हैं। यह रोटेशन पर होता है। वर्तमान समय में जेआरएस कॉलेज मुंगेर और मुरारका कॉलेज सुल्तानगंज के प्राचार्य सिंडिकेट के सदस्य है। जेआरएस कॉलेज मुंगेर अब मुंगेर विवि का हिस्सा हो गया है। इस कारण तिलकामांझी विवि से जुडे़ कॉलेज के प्राचार्य अब सिंडिकेट के सदस्य बनेंगे।
सीनेट में वन-थर्ड कॉलेज के प्राचार्य सदस्य होते हैं। पहले 29 अंगीभूत कॉलेज में से 10 कॉलेज के प्राचार्य सीनेट के मेंबर होते थे। अब 12 अंगीभूत कॉलेज में मात्र चार कॉलेज के प्राचार्य सीनेट का मेंबर बन सकेंगे। टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कालेज, एसएम कॉलेज के अलावा एक अन्य कॉलेज के प्राचार्य सीनेट सदस्य बन सकेंगे। वहीं विद्वत परिषद् में 50 फीसद प्राचार्य सदस्य होते हैं। अभी 15 कॉलेजों के प्राचार्य विद्वत परिषद के सदस्य हैं। 12 कॉलेज होने के कारण मात्र छह कॉलेजों के प्राचार्य ही विद्वत परिषद् के सदस्य बन सकेंगे। साथ ही तीन संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य विद्वत परिषद के सदस्य बनेंगे।
साथ ही सीनेट और सिंडिकेट के लिए शिक्षक और कर्मचारी प्रतिनिधियों का भी चुनाव होगा। अभी तक 29 अंगीभूत कॉलेजों के आधार पर प्रतिनिधि चुने गए थे। अब 12 कॉलेजों के आधार पर प्रतिनिधि का चुनाव होगा। सीनेट के लिए छात्रसंघ के पांच प्रतिनिधियों का भी चुनाव होगा।