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अपराध का मनोविज्ञान : नैतिक मूल्यों से ही अपराध पर नियंत्रण संभव Bhagalpur News

तिमांविवि के मनोविज्ञान विभाग में अपराध का मनोविज्ञान विषय पर सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार में कई विश्‍वविद्यालयों के विद्वान पधारे हैं। सेमिनार संपन्‍न हो गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 12:17 PM (IST)
अपराध का मनोविज्ञान : नैतिक मूल्यों से ही अपराध पर नियंत्रण संभव Bhagalpur News
अपराध का मनोविज्ञान : नैतिक मूल्यों से ही अपराध पर नियंत्रण संभव Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में 'अपराध का मनोविज्ञान' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार संपन्न हो गया। अंतिम दिन चार सत्र हुए। प्रारंभिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. हरदेव ओझा ने की। सेमिनार में रॉयल विश्वविद्यालय भूटान के डॉ. लूंगटेन वांगड़ी, ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के डॉ. मु. कमालुद्दीन, जयपुर विश्वविद्यालय के प्रो. एवीएस मदनावत, दिल्ली के एडवांस रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. जीपी ठाकुर तथा टीएमबीयू के पूर्व कुलपति डॉ. एनके वर्मा सहित अन्य ने अपराध का मनोविज्ञान विषय पर गहन विचार मंथन किया।

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विस्तृत चर्चा के उपरांत सभी विद्वानों ने एकमत से मनोविज्ञान के सिद्धांत पर बल देते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों को आत्मसात करने से अपराध को कम किया जा सकता है।

तकनीकी सत्र में शोध पत्र पर चर्चा

प्रतिभागियों ने तकनीकी सत्र में अपने शोध पत्र समर्पित किए साथ ही उस पर विस्तार से चर्चा भी की। मुंबई से आए डॉ. राजेश जौहरी ने हस्तलिपि विज्ञान पर प्रकाश डाला। इसकी अध्यक्षता भारतीय मनोविज्ञान संघ के अध्यक्ष डॉ. तारिणी ने की। सह अध्यक्ष की भूमिका टीएनबी कॉलेज मनोविज्ञान के विभागाध्य्क्ष डॉ. राजेश कुमार तिवारी निभा रहे थे। अगले सत्र की अध्यक्षता डॉ. लक्ष्मी पांडे ने की। संयोजन डॉ. ज्योति पांडे ने किया।

खुले सत्र में सेमिनार से छन कर आई बातों पर हुई चर्चा

तकनीकी सत्र के बाद खुला सत्र आयोजित हुआ। जिसमें बीते दो दिन के विचार मंथन से छन कर आई मूल बिंदुओं पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। यह तय माना गया कि अपराध वृद्धि में त्रुटीपूर्ण न्यायिक व्यवस्था, स्कूल में बच्चों को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाया जाना, माता-पिता के द्वारा बच्चों को घर के पाठशाला में बेहतर संस्कार नही दिया जाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा मीडिया का सकारात्मक प्रदर्शन भी समाज को नई दिशा दे सकता है। डॉ. लक्ष्मी पांडे ने कहा कि सकारात्मक सोच से ही व्यक्तित्व का विकास संभव है। टीएमबीयू के डॉ. विवेकानंद साह ने अपराध के विभिन्न आयामों की विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम की संयोजिका सह समाज विज्ञान संकाय की डीन डॉ. रेखा सिन्हा ने अपराध का मनोविज्ञान के विभिन्न आयामों पर चर्चा की।

सेमिनार में पुरस्कृत हुए ये मनोविज्ञानी

सेमिनार के अंत में युवा मनोविज्ञानियों को भारतीय मनोविज्ञान संघ के द्वारा स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) से सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में टीएनबी कॉलेज मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार तिवारी, डॉ. श्वेता पाठक एवं डॉ. जनक कुमारी श्रीवास्तव, छापरा विवि के डॉ. प्रमोद प्रभात, जयप्रकाश नारायण के अलावा डॉ. कविता चौधरी, डॉ. सपना सिंह, डॉ. आभा भारती, डॉ. आभा रानी, डॉ. कीर्ति गुप्ता, डॉ. ज्योतिमा पांडे, डॉ. अनंत सिंह, डॉ. विमलेश तिवारी, डॉ. रोजी निक्की, डॉ. महारानी इत्यादि को मनोविज्ञान में योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। आयोजन सचिव डॉ. सच्चिदानंद यादव ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में छन कर आए बिंदु सरकार तथा गैर सरकारी संगठनों को भेजे जाएंगे ताकि सभी इनसे अवगत हो सकें। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जनक कुमारी श्रीवास्तव कर रही थीं।


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