इनहेलेंट नशे के शिकार हो रहे स्कूली बच्चे
सुपौल (ब्रह्मानन्द ¨सह): कोसी में स्कूली बच्चे इनहेलेंट नशे के शिकार हो रहे हैं। यह कड़वा सच तब सामन
सुपौल (ब्रह्मानन्द ¨सह): कोसी में स्कूली बच्चे इनहेलेंट नशे के शिकार हो रहे हैं। यह कड़वा सच तब सामने आया है जब सुपौल जिले के सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति केन्द्र में इनहेलेंट नशे के शिकार पांच बच्चों को इलाज के लिए लाया गया। इन पांच में तीन बच्चे ग्रामीण तथा दो शहरी क्षेत्र के स्कूल के बच्चे हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इन पांचों की उम्र सात से पन्द्रह वर्ष के बीच की है। अमूमन ऐसा देखा गया है कि भीख मांगने वाले, कबाड़ बीनने वाले अथवा ऐसे बच्चे जिसको लेकर अभिभावकों को उसकी कोई ¨चता नहीं होती इनहेलेंट नशा के आदी होते हैं। लेकिन स्कूली बच्चों का ऐसे नशे का शिकार होना ¨चता का विषय है।
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ग्रुप बनाकर करते थे नशा
नशा मुक्ति केन्द्र में इनहेलेंट नशे के शिकार स्कूली बच्चे के आने के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि ये बच्चे बारह-पन्द्रह की संख्या में ग्रुप बनाकर बोनफिक्स का नशा करते थे। ये बातें इस बात का गवाह है कि जिले में और भी कई स्कूली बच्चे हैं जो ऐसे नशे के शिकार हैं और जिसे इलाज की दरकार है। मालूम हो कि स्कूलों के आसपास की दुकानों में पांच रुपये में बोनफिक्स या सनफिक्स खरीद उसे कपड़े पर डालते हैं और जोर से सूंघते हैं। जिससे उसे एक अलग तरह की खुशी व शांति मिलती है। उसके पश्चात व कुछ घंटों के लिए सो जाता है।
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मिलती है खुशी व संतुष्टि
इनहेलेंट नशा के तहत व्यक्ति नाक या मुंह के माध्यम से पेंट, गम, सॉल्युशन, बोनफिक्स, सनफिक्स को सांस के द्वारा लेता है। इनहेलेंट तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं और डोपामइन के स्तर में वृद्धि होती है। जिससे बहुत खुशी व संतुष्टि प्राप्त होती है। ऐसे नशे के आदी बच्चों को हर्ट व लंस से सम्बन्धित बीमारी होने की अधिक संभावना होती है। इनहेलेंट नशे के आदी बच्चों में धड़कन बढ़ने, पेट में दर्द होने, उल्टी होने, पसीना आने, कमजोरी होने, उदासी आने की शिकायत होती है।
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कोट
बच्चे को नशे की लत से बचाने में परिवार व समाज की अहम भूमिका होती है। इसलिए इनहेलेंट नशे के शिकार बच्चे व उसके माता-पिता को इलाज के दौरान जागरुक किया जाता है। बच्चे की इच्छाशक्ति बढ़ाई जाती है। उसके क्रिया-कलाप पर नजर रखा जाता है। इनहेलेंट नशे के शिकार अधिकांशत: स्लम एरिया के बच्चे होते हैं जो शिक्षा से वंचित होते हैं।
संतोष कुमार वर्मा,
काउंसलर,
नशा मुक्ति केन्द्र,
सदर अस्पताल, सुपौल