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भागलपुर नगर निगम में घोटाला: पूर्व शाखा प्रभारी दिव्या स्मृति व कर्मी गौतम कुमार से हुई लंबी पूछताछ, उगले कई राज

भागलपुर नगर निगम में घोटाला एडीएम के नेतृत्व में गठित कमेटी ने नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस की शुरू की जांच। जांच में लगेगा एक सप्ताह का समय एक हजार आवेदन की होगी जांच। पूछताछ के कई महत्‍वपूर्ण जानकारी मिली है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 11:35 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 11:35 AM (IST)
भागलपुर नगर निगम में घोटाला: पूर्व शाखा प्रभारी दिव्या स्मृति व कर्मी गौतम कुमार से हुई लंबी पूछताछ, उगले कई राज
भागलपुर नगर न‍िगम में घोटाले की जांच शुरू।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नगर निगम में हुए ट्रेड लाइसेंस घोटाले की जांच एडीएम राजेश झा राजा ने शुरू कर दी है। जांच समिति के सदस्यों ने ट्रेड लाइसेंस मामले की पड़ताल की। नगर निगम द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट को भी देखा। इसके बाद नगर आयुक्त के कक्ष में पूर्व शाखा प्रभारी दिव्या स्मृति और कंप्यूटर ऑपरेटर गौतम कुमार से भी पूछताछ की। वही वर्तमान शाखा प्रभारी समेत सिटी मैनेजर से भी जांच रिपोर्ट की जानकारी ली। फर्जी तरीके से ट्रेड लाइसेंस जारी करने का खेल काफी दिनों से चल रहा था। जानकारी मिली है कि करीब एक हजार से अधिक लाइसेंस फर्जी जारी किए गए है, जिसकी राशि निगम के खाते में जमा ही नहीं की गई है।

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ट्रेड लाइसेंस फर्जी जारी करने का जब भंडाफोड़ हुआ था। उस समय निगम पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन और आयुक्त प्रेम सिंह मीणा से मिलकर इस घोटाले की जांच कराने की मांग की थी। आयुक्त के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई। जिलाधिकारी ने एडीएम राजेश झा राजा के नेतृत्व में टीम गठित कर दी। टीम में वरीय उप समाहर्ता शैलेंद्र कुमार सिंह और राजस्व शाखा के कर्मचारी को शामिल किया गया है। जांच टीम ट्रेड लाइसेंस के प्रत्येक आवेदन की जांच करेगी। फिर उसकी डाटा इंट्री करेगी। ताकि आवेदन कितना आया और कितने लाइसेंस जारी हुए हैं उसका पता चल सके।

इसके साथ ही निगम के खाते में लाइसेंस जारी करने के बाद कितनी राशि जमा की गई। उसके बाद पता चलेगा घोटाला कितने का हुआ है। जब से घोटाला होने की जानकारी उजागर हुई है उससे पहले के भी आवेदन को जांच होगी। जांच टीम ने बताया कि लाइसेंस संबंधित आवेदन के लिए किस तरह का पत्र लिया जाता था तथा गाइडलाइंस क्या थे उसे भी लिया गया है। ताकि उसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा सके। पूरे मामले की जांच में एक सप्ताह से ज्यादा समय लग सकता है।

उधर, ट्रेड लाइसेंस की जांच शुरु होते ही पार्षद एकता मंच का प्रतिनिधिमंडल एडीएम राजेश झा राजा से मिला। किस तरह से घोटाला हुआ उसका साक्ष्य भी उपलब्ध कराया। इसके साथ ही निगम में हुए कुछ अन्य घोटाले के बारे में जानकारी दी। पार्षद एकता मंच के संयोजक संजय कुमार सिन्हा का कहना है कि जांच होने के बाद कई कर्मचारियों के चेहरे बेपर्द होंगे। जिन लोगों ने निगम की राशि को अपनी जेब में रखा है।


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