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होटल साईं में ऐश के लिए मिलते थे अधिकारियों को टोकन, मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद और खुलेंगे कई राज

कई पुलिस अधिकारियों के संबंध मुन्ना सिंह से काफी बेहतर थे। इस कारण मुन्‍ना सिंह को गैर कानूनी काम करने में ज्‍यादा परेशानी नहीं होती थी। होटल में शराब की भी आपूर्ति होती थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 02:17 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 02:17 PM (IST)
होटल साईं में ऐश के लिए मिलते थे अधिकारियों को टोकन, मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद और खुलेंगे कई राज
होटल साईं में ऐश के लिए मिलते थे अधिकारियों को टोकन, मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद और खुलेंगे कई राज

भागलपुर, जेएनएन। साईं होटल में जुआ खेलने के अलावा कमरे में शराब की मस्ती के लिए कई अधिकारियों को बकायदा टोकन अलाट थे। सीमांचल के जिलों पूर्णिया, किशनगंज, फारबिसगंज, कटिहार, मधेपुरा, खगडिय़ा, सहरसा के अलावा पटना, मुंगेर, बेगूसराय और पश्चिम बंगाल तथा झारखंड के अधिकारी ऐश के लिए पहुंचते थे। यानी अपने जायज-नाजायज धंधे पर नकाब के लिए कई पुलिस पदाधिकारियों, कर वसूली से जुड़े कई अधिकारियों को टोकन मिला हुआ था। उस टोकन के सहारे उन्हें फ्री की एंट्री थी। बांका, भागलपुर, मुंगेर, पूर्णिया के कई पुलिस पदाधिकारी, खनन विभाग से जुड़े पदाधिकारी, कर वसूल करने वाले पदाधिकारियों को यहां आसानी से देखा जा सकता था। जहां प्रवेश के बाद उन्हें वहां मौजूद सुविधाओं का लाभ लेना है। लुत्फ उठाना है। एक-दो दिन रुकने के बाद उन पदाधिकारियों को विदाई भी दी जाती थी जो मुन्ना के खास काम के होते थे। दरअसल उसके जेहन में ऐसे अधिकारियों की कुंडली बसती थी। किन पदाधिकारियों को किन महकमे में कौन सा काम निकालना है। उसी मुताबिक उनकी आवभगत फ्री एंट्री के जरिए वह कराता था। उनकी इज्जत करने की कोई कसर नहीं छोड़ी जाती थी।

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पदाधिकारियों के विदाई में भागलपुरी सिल्क के कपड़े

उन्हें विदाई में भागलपुरी सिल्क के कपड़े भी दिए जाते थे। उन्हें ठहरने के दौरान होने वाली तलब वहां आसानी से पूरा कराया जाता था। बदले में उनसे कई काम निकाले जाते थे। बांका वाले भाई से जुड़े खास लोगों को एंट्री टोकन की भी जरूरत नहीं थी। नाम का लेबल ही उनके लिए इजाजत थी। काम निकालने के प्रयास में बात नहीं बनने पर नए हथकंडे अपनाए जाने की बात भी चर्चा में है।

एक अधिकारी से बात नहीं बनने पर 2011 में एक महत्वपूर्ण विभाग के उच्च अधिकारी के कार्यालय में डकैती हुई थी। डकैती अमूमन माल-असबाब वाली जगहों पर हुआ करती थी। लेकिन उस कार्यालय में डकैती डलवाई गई थी। डकैती रुपये-जेवरात की नहीं थी बल्कि कार्यालय में मौजूद महत्वपूर्ण सीडी, लैपटाप में छिपे रहस्य की हुई थी। जिसमें किसी धंधे से जुड़े अहम राज से जुड़े थे। उस महकमे से जुड़े एक पदाधिकारी की बेरहमी से पिटाई भी हुई थी। लेकिन वह राज फाइलों में दफन ही हो गया। वर्तमान समय में प्रशिक्षण ले रहे तीन डीएसपी ने जो साहस कर दिखाया उससे उन अधिकारियों में काफी नाराजगी है। जो मुन्ना से जुड़े हुए थे।

उसके हमराज बने हुए थे। इसलिए तो पहली दबिश में होटल के अंदर जाकर कुछ देर में बाहर आ गए थे। होटल में कुछ नहीं चलने और सबकुछ सामान्य बताने लगे थे। लेकिन प्रशिक्षुओं ने फड़ उजागर उनके चेहरे मलिन कर दिए। होटल में मुन्ना के एक खास कमरे में सबकी एंट्री नहीं होती थी। वहां पप्पू मंडल, रंजीत डॉन, राजकुमार, कुक्कू, पप्पू सिंह जैसे लोगों का प्रवेश था। ये मुन्ना के चुनिंदा राजदार हैं जिनके सहारे वह धंधे को जमाया। सृजन घोटाले से जुड़े कई घाघ भी शराब की मस्ती में डूबने जाया करते थे। ये वही घाघ हैं जो बड़े नेताओं से जुड़े हैं।


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