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सहरसा की संजू निरक्षरों को साक्षर कर बना रहीं हूनरमंद, इन लोगों की बदल गई जिंदगी

1988 से संजू लोगों को साक्षर बना रही हैं। साथ ही लोगों को साक्षर बनाने के बाद वह रोजगार से भी जोड रहीं हैं। कई लोग आज स्वरोजागर भी कर रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 10:28 PM (IST)
सहरसा की संजू निरक्षरों को साक्षर कर बना रहीं हूनरमंद, इन लोगों की बदल गई जिंदगी
सहरसा की संजू निरक्षरों को साक्षर कर बना रहीं हूनरमंद, इन लोगों की बदल गई जिंदगी

सहरसा [कुंदन कुमार]। कहरा प्रखंड की गढिय़ा निवासी संजू कुमारी अपनी पारिवारिक जिम्मेवारी को निभाते हुए पिछले तीन दशक से अक्षरदान कर रहीं है। उनके प्रयास से गांव और आसपास के गांव के तीन सौ से अधिक लोग साक्षर हुए। बाद में इन नवसाक्षरों में से कई लोगों ने अपना रोजगार भी प्रारंभ किया। संजू अपने टोले और अगल- बगल के गांव में काफी लोकप्रिय हो चुकी हैं। उनका सामाजिक कार्य आज भी जारी है।

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नैहर से ससुराल तक जारी है संजू का अभियान

संजू का नैहर सिमरीबख्तियारपुर प्रखंड की खजुरी पंचायत अन्तर्गत बरसम गांव में हैं। वर्ष 1988 में वह जब नौंवी कक्षा में पढ़ती थीं, उसी समय उनके गांव में ज्ञान-विज्ञान समिति के सौजन्य से वातावरण निर्माण का कार्य चल रहा था। इस क्रम में उनकी मुलाकात अमरेन्द्र कुमार व प्रो. विद्यानंद यादव से हुई। उनलोगों ने बताया कि केरल में युवाओं के प्रयास से लगभग लोग साक्षर हो गए हैं। यहां के युवाओं को भी इस अभियान में जुटना चाहिए। प्रो. विद्यानंद यादव की बातों से प्रेरित होकर वह अपनी सहेलियों के साथ इस अभियान में जुट गईं। इस क्रम में बलही, बरसम, खजुरी में लगभग सभी निरक्षर महिला- पुरुषों को साक्षर किया। वर्ष 1989 में उनकी शादी गढिय़ा में मदन कुमार से हो गई। कुछ दिनों के बाद वह अपनी रुचि के अनुसार यहां भी लोगों को साक्षर करने में जुट गईं। उन्होंने खुद मैट्रिक और इंटर की शिक्षा प्राप्त की। इस अभियान में उन्होंने गढिय़ा के रजौरा, देवना टोला समेत अन्य टोलों के दो सौ से अधिक लोगों को ककहरा पढ़ाकर साक्षर किया। इन सभी लोगों ने लिखना- पढऩा सीख लिया।

नवसाक्षरों को समूह के माध्यम से दिलाया रोजगार

संजू ने गढिय़ा पंचायत के नवसाक्षरों को इक_ा कर 35 समूह का गठन किया। इन समूह की महिलाओं को बैंकों के सहयोग से सिलाई का प्रशिक्षण भी दिलाया। कुछ महिलाओं ने समूह के माध्यम से ऋण प्राप्त कर अपना रोजगार भी प्राप्त किया। गढिय़ा की रूबी देवी ने साक्षर होकर जीविका में नौकरी प्राप्त कर ली। उनका कहना है कि संजू दीदी ने उन्हें जीने की राह दिखाई है। चंदन देवी कहती हैं कि वह सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद अब सिलाई कर बेहतर तरीके से अपने परिवार की परवरिश कर रही हैं। उषा देवी अदौरी बनाकर और सोमनी देवी सत्तू का व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। इन लोगों ने कहा कि संजू कुमारी ने न सिर्फ अक्षरज्ञान दिया, बल्कि एक नई ङ्क्षजदगी भी दी है। इसके अलावा संजू दहेज प्रथा, नशा उन्मूलन आदि अभियान में बढ़- चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। गांव के लोगों को अपने- अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती हैं। उनका कहना है कि जबतक ङ्क्षजदगी रहेगी, उनका यह सामाजिक कार्य चलता रहेगा।


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