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RSS Chief मोहन भागवत पहुंचे भागलपुर, अंग के स्वयंसेवकों को पिलाएंगे संघ की घुट्टी

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन राव भागवत रविवार की देर शाम भागलपुर पहुंचे। यहां उनका कार्यक्रम 20 नवंबर तक है। 21 और 22 नवंबर को वे पटना में रहेंगे। सभी कार्यक्रम आनंदराम में होगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 05:09 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 05:09 PM (IST)
RSS Chief मोहन भागवत पहुंचे भागलपुर, अंग के स्वयंसेवकों को पिलाएंगे संघ की घुट्टी
RSS Chief मोहन भागवत पहुंचे भागलपुर, अंग के स्वयंसेवकों को पिलाएंगे संघ की घुट्टी

भागलपुर (दिलीप कुमार शुक्ला)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत के बिहार और झारखंड दौरे से इन दोनों राज्यों में संघ की गतिविधि काफी तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार सरसंघचालक का कार्यक्रम 17 और 18 नवंबर को झारखंड में हुआ। वे रविवार देर शाम 06:15 बजे भागलपुर पहुंचे। देवघर से श्री भागवत शाम पोने चार बजे भागलपुर के लिए रवाना हुए थे। वे सड़क मार्ग से भागलपुर-हंसडीहा मार्ग होकर यहां आए। यहां उनका कार्यक्रम 20 नवंबर तक है। 21 और 22 नवंबर को वे पटना में रहेंगे। संघ प्रमुख भागलपुर में नीरज शुक्ल के यहां पहुंचे। नीरज के पिता स्व. शंकर शुक्ल भागलपुर जिला संघचालक थे। सरसंघचालक वहीं ठहरेंगे। उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा प्राप्त है।

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बौंसी में हुआ स्वागत 

भागलपुर आने के क्रम में रविवार सायं पांच बजे मोहन भागवत का बौंसी में RSS, भाजपा और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया गया। इस अवसर पर विभाग संघचालक नरेश मोहन झा, राजाराम अग्रवाल आदि मौजूद थे। 

आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर में होगा कार्यक्रम

भागलपुर में उनका दो दिवसीय कार्यक्रम सोमवार से प्रारंभ होगा। उनके साथ आरएसएस के कुछ अन्य केन्द्रीय अधिकारी भी रहेंगे। सभी कार्यक्रम आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित किया गया है। वहां की सुरक्षा व्यवस्था स्वयंसेवक संभाले हुए हैं। आकर्षक रंगोली, साज-सजावट आदि पूरी कर ली गई है। मंच बनकर तैयार है। विद्यालय परिसर को पूरी तरह स्वयंसेवकों ने अपने कब्जे में ले लिया। पिछले एक सप्ताह से दर्जन भर क्षेत्रीय और प्रांतीय अधिकारी यहां जमे हुए हैं। संघ के सूत्रों ने बताया कि उनका यह कार्यक्रम पूरी तरह सांगठनिक है। वे यहां प्रांतीय, क्षेत्रीय इकाई के साथ बैठक कर संघ कार्य विस्तार की योजनाओं का मूल्यांकन करेंगे। इसके लिए कार्ययोजना भी बनाएंगे। इसके अलावा दोनों राज्यों के प्रचारकों के साथ भी वे कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे। मोहन भागवत यहां कुछ लोगों और पुराने स्वयंसेवकों से अनौपचारिक तरीके से भेंट भी करेंगे। इसके अलावा जिस समय मोहन भागवत उत्तर पूर्व (बिहार और झारखंड) के क्षेत्र प्रचारक थे, उस समय के कार्यकर्ताओं और उनके परिजन से भी वे आनंदराम में सोमवार को सुबह 10 बजे से मिलेंगे। श्री भागवत आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर के न‍वनिर्मित भवन का उद्घाटन भी करेंगे। 

दायित्ववान स्वयंसेवक सुनेंगे बौद्धिक

सोमवार को आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर में ढाई बजे सरसंघचालक मोहन राव भागवत का एक बौद्धिक होगा, जिसमें वही स्वयंसेवक जा पाएंगे, जो भागलपुर शहर में किसी ना किसी संघ के दायित्व में हों। इसके अलावा संघ के अनुषांगठनिक संगठनों के भी कुछ चयनित पदाधिकारी उस बौद्धिक सत्र में रहेंगे। भागलपुर शहर के अलावा जिले के चयनित स्वयंसेवक बौद्धिक सुनने आएंगे। बांका के भी कुछ दायित्ववान स्वयंसेवकों को बुलाया गया है। इसके लिए आने वाले संबंधित स्वयंसेवकों को उनका नाम लिखकर प्रवेश पत्र दिया गया है। बौद्धिक सुनने के लिए उन्हें प्रवेश पत्र लाना अनिवार्य है।  

भागलपुर शहर में हैं 71 वस्ती

संघ अपनी व्यापक और समृद्ध कार्य योजना के लिए जाना जाता है। कार्य विस्तार में सुविधा हो इसके लिए आरएसएस ने यहां वस्ती रचना की है। भागलपुर शहर में 71 वस्ती है। इन सभी वस्तियों में वस्ती प्रमुख बनाया गया है। भागलपुर नगर में सात उपनगर हैं। नगर और उपनगर में अपनी इकाई है, जो संघ कार्य को गति देने के लिए प्रभावी है। फिलहाल संघ प्रत्येक वस्ती में कम से कम एक शाखा लगे, इस योजना में लगा हुआ है। इसके लिए संघचालक, कार्यवाह, बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, शारीरिक शिक्षण प्रमुख, सेवा प्रमुख, व्यवस्था प्रमुख, प्रचार प्रमुख, संपर्क प्रमुख आदि कुछ दायित्व हैं, जिसके आधार पर स्वयंसेवकों को प्रत्येक विधा के लिए योग्य बनाया जाता है। वहीं, शाखा संचालक के लिए शाखा कार्यवाह, मुख्य शिक्षक, गण शिक्षक और गठनायक होता है। जहां शाखा नहीं है, वहां संघ मिलन और संघ मंडली आदि लगाया जाता है।

आरएसएस सरसंघचालक मोहन राव भागवत

झारखंड में हुआ प्रवास

इससे पहले सरसंघचालक मोहन भागवत शनिवार को साढ़े नौ बजे बनारस से रांची पहुंचे। आरएसएस प्रमुख ने यहां पाहन-पुजारियों, साधु-संतों और सरना समाज के लोगों से अलग-अलग मुलाकात की। यहां उत्तर-पूर्व (बिहार-झारखंड) के सह क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन के हरिहर सिंह रोड स्थित आवास पर उन्होंने रामरेखा धाम के मुख्य महंत उमाकांत महाराज से एकांत में मुलाकात की। महंत उमाकांत संघ प्रमुख के पूर्व परिचित हैं और उन्होंने अपने क्षेत्र में धर्मांतरण को रोकने के लिए अहम पहल की है।

बुद्धिजीवियों से की भेंट

भागवत ने पालकोट के बुधवा उरांव और श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के कुलपति डॉ. सत्यनारायण मुंडा और मेघा उरांव सहित सरना समाज के लोगों से भी भेंट की। संघ प्रमुख ने सरना समाज के लोगों से समाज में जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। रांची में छह घंटे प्रवास के दौरान संघ प्रमुख ने आरएसएस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और कामकाज की समीक्षा की। वे गिरिडीह में रात्रि विश्राम के बाद रविवार सुबह नौ बजे देवघर पहुंचे।

आरएसएस सरसंघचालक मोहन राव भागवत

देवघर में अशोक चक्रवर्ती से की मुलाकात 

देवघर में सरसंघचालक छह घंटे रुके। इस दौरान लगभग दो घंटे उन्होंने भागवत सत्संग आश्रम में बिताया। सबसे पहले श्रीश्री अनुकूलचंद्र ठाकुर के प्रार्थना स्थल पर गए और शीश नवाया। इस दौरान पूरे आश्रम को घूमकर देखा। समाधि स्थल भी गए। आश्रम की विजिटर्स डायरी में संदेश भी लिखा। यहां बता दें कि इस आश्रम से ढाई करोड़ अनुयायी जुड़े हैं और इसका प्रभाव बिहार, झारखंड, बंगाल और आसाम में है।

बांग्ला में की बातचीत

आश्रम में भागवत ने प्रधानाचार्य अशोक चक्रवर्ती से ठाकुरबाड़ी में बांग्ला भाषा में बातचीत की। उनके मुंह से बांग्ला सुन चक्रवर्ती ने सवाल किया तो भागवत ने जवाब दिया कि वह चार साल कोलकाता में भी रहे हैं। इस दौरान चक्रवर्ती ने कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद स्थानीय कार्यकर्ताओं से भेंट कर संघ कार्य के बारे में पूछताछ की।  


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