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जाम की वजह से तीन घंटे की दूरी नौ घंटे में पूरी की, सभी प्रमुख सड़कों पर वाहन फंसे

भागलपुर के सभी प्रमुख सड़कों पर जाम लगा हुआ है। इस कारण लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में काफी समय लगता है। विक्रमशिला सेतु पर भी जाम लगा हुआ है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 01:39 PM (IST)
जाम की वजह से तीन घंटे की दूरी नौ घंटे में पूरी की, सभी प्रमुख सड़कों पर वाहन फंसे
जाम की वजह से तीन घंटे की दूरी नौ घंटे में पूरी की, सभी प्रमुख सड़कों पर वाहन फंसे

भागलपुर [कुमार आशुतोष]। कहलगांव-भागलपुर एनएच 80 पर यात्रा करना बड़े धैर्य और हौसले का काम है। गंतव्य तक कब पंहुचेंगे यह कहना मुश्किल है। कहलगांव से मुजफ्फरपुर सड़क मार्ग से जाने के लिए दिन के साढ़े दस बजे निकले व्यक्ति से जब संध्या साढ़े सात बजे पूछा गया तो बताया कि अभी वो खगडिय़ा पहुंचे हैं। त्रिमुहान चौक से घोघा बाजार तक भीषण जाम था। यहां से निकलने के बाद विक्रमशिला सेतु पर जाम में फंस रहा। वहां से निकलने पर बिहपुर में जाम में फंस गए। सामान्य परिस्थिति में कहलगांव से खगडिय़ा जाने में तीन घंटे लगते हैं। गुरुवार को यह दूरी नौ घंटे में पूरी हुई। गत सोमवार को भी सड़क पर ऐसा जाम लगा कि कहलगांव से सुबह नौ बजे यात्रा शुरू करने वाले शाम पांच बजे भागलपुर पहुंच पाए। मंगलवार और बुधवार को भी यही हाल रहा। इस इलाके की यह अंतहीन समस्या बन चुकी है।

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यहां-वहां गड्ढों की भरमार

एनएच पर यहां-वहां गढ्ढों की भरमार, पुल पुलियों की टूटी रेलिंग और बिना मेंटेनेंस के डायवर्जन। कब कहां गाड़ी ब्रेकडाउन हो जाए और जाम लग जाए कोई नहीं जानता। कच्चे माल की ढुलाई मेंं लगे वाहनों के लिए दुर्दशा है। छोटे-मोटे जाम में फंसे तो मंडी के समय छूटने का खतरा रहता है। यदि जाम में फंसे तो माल बर्बाद। एनएच के कार्यपालक अभियंता द्वारा 20 जून तक गढ्ढों को भरने का आश्वासन दिया गया है। लेकिन आज तक कहलगांव इलाके में कहीं काम होता नहीं नजर आया। कहलगांव शहर से कोआ पुल के दक्षिणी छोर तक मरम्मत का काम चल रहा है। क्योंकि लगभग सात सौ मीटर सड़क वर्तमान ठीकेदार द्वारा बनाई ही नहीं गई थी। कोआ पुल के उत्तरी छोर से भैना पुल के दक्षिणी छोर का एप्रोच शुरू होने के पहले तक गढ्ढे ही गढ्ढे हैं। गेरुआ पुल के ऊपरी सतह पर भी गढ्ढे हैं। फिर थोड़ा कम ज्यादा गढ्ढों का सिलसिला इंजीनियरिंग कॉलेज तक जारी रहता है।

दुर्घटनाओं में अक्सर होती हैं मौतें

दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में यह कोरोना महामारी को मात देता है। इस क्षेत्र की जनता के लिए सड़क की यात्रा और सड़क किनारे बसी आबादी के लिए किसी महामारी से कम नहीं है। एक से डेढ़ फीट बड़े गढ्ढों में कब कोई बाइक सवार गिर जाए या कब कोई ट्राली या ठेला अचानक पलट जाए कोई नहीं जानता। रविवार की शाम शिवनारायणपुर थाना क्षेत्र के लौगांय गांव के पास एसबीआइ के डिप्टी मैनेजर और रंजीत कुमार कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। गत सोमवार को घोघा थाना क्षेत्र के आमपुर गांव में एक मोटरसाइकिल सवार की मौत ट्रक की चपेट में आकर हो गई। जाम में फंस कर कई मरीज दम तोड़ देते हैं। छोटी छोटी दुर्घटनाओं की कोई गिनती नहीं है।

जाम से डीजल व पेट्रोल की खपत भी बढ़ी

निरंतर लगने वाले जाम से जहां आम जनता त्रस्त होती है। वहीं गाडिय़ों में अतिरिक्त ईंधन की खपत होती है। वाहन मालिकों के अनुसार एक ट्रक में जाम के कारण कहलगांव से भागलपुर की दूरी तय करने में दस लीटर अधिक डीजल जल रहा है। इस सड़क पर प्रतिदिन दो हजार से अधिक ट्रकों का परिचालन होता है। दस लीटर डीजल की कीमत लगभग सात सौ रुपये होती है। दो हजार ट्रक के हिसाब से प्रतिदिन चौदह लाख रुपये का डीजल यूं ही बर्बाद हो जा रहा है। छोटे वाहनों, मोटरसाइकिल में जलने वाले अतिरिक्त ईंधन भी एक लाख रुपये से कम नहीं होगा। जितने वर्षों से जाम लग रहा है यदि प्रतिदिन की अतिरिक्त ईंधन खपत को जोड़ कर देखा जाए तो इस सड़क के गुणवत्तापूर्ण निर्माण लागत से कई गुना अधिक क्षति राष्ट्र को हो चुकी है।


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