किशनगंज के एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर में दो तरह के सिल्क पर हो रहा शोध, जानिए सीमांचल के किसानों को क्या होगा लाभ
किशनगंज के एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर में अब दो तरह के सिल्क पर विज्ञानी शोध कर रहे हैं। इससे यहां के किसानों को कई तरहा का लाभ होगा। इसके लिए कॉलेज परिसर में मलबरी अर्जुन व कैस्टर का पौधारोपण किया गया है।
जागरण संवाददाता, किशनगंज। डॉ. कलाम कृषि कॉलेज में 4.2 करोड़ की लागत से तैयार किए गए एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर में दो तरह के सिल्क उत्पादन के लिए शोध किया जा रहा है। मलबरी सिल्क और तसर सिल्क पर शोध शुरू हो चुका है। सिल्क उत्पादन की दिशा में यह पहला संस्थान है जहां एक साथ सिल्क की दो वेरायटी पर शोध किया जा रहा है। इसके लिए मलबरी, अर्जुन व कैस्टर का पौधारोपण किया गया है। अब कीट पालन कर अंडों के उत्पादन और अंडों से कोकून के विकास पर शोध चल रहा है। इसका उद्देश्य कोसी सीमांचल इलाके में सिल्क उत्पादन को बढावा देना है।
मल्बरी पर हो चुका है शोध
डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय स्थित एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर में मलबरी सिल्क उत्पादन पर शोध कार्यक्रम शुरू हो चुका है। भारत सरकार और बिहार सरकार के सहयोग से एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर शोध केंद्र के स्थापना के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत 4.2 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। यह जानकरी शनिवार को देते हुए प्राचार्य डॉ. विद्या भूषण झा ने बताया कि एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर शोध कार्यक्रम का प्रारंभिक चरण पर कार्य शुरु हो चुका है। शोध कार्य में तेजी लाने के लिए डॉ. कालम कृषि कॉलेज परिसर में मलबरी, अर्जुन एव कैस्टर का पौधारोपण हो चुका है। ताकि प्रयोगशाला में इन पौधों के पत्तियों पर शोध कार्य सुगतमा पूर्वक किया जा सके। साथ ही पौधों पर भी रेशम उत्पादन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
मलबरी सिल्क उत्पादन को किया गया है चालू
परियोजना के निदेशक डॉ. कल्मेश एम. ने बताया कि वर्तमान समय में मलबरी सिल्क उत्पादन यूनिट को चालू किया गया है। इसके लिए प्रारंभिक चरण में अंडों के उत्पादन और उन अंडों से प्यूपा एवं कोकून के विकास पर शोध चल रहा है। इस केंद्र के लिए बहुत जल्द ही रेशम उत्पादन के लिए सभी जरुरी आवश्यक उपकरण का क्रय किया जाएगा। जिससे कि व्यापक स्तर पर शोध कार्य के साथ रेशन का उत्पादन हो सके। सहायक प्राध्यापक सह मीडिया प्रभारी डॉ. मु. शमीम ने बताया कि डॉ. कलाम कृषि काॅलेज अंतर्गत बने एडवांस सेंटर ऑन सेरीकल्चर भारत का पहला शोध संस्थान होगा जहां एक ही केंद्र से दो तरह के सिल्क उत्पादन के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इस केंद्र में मलबरी (शहतूत) से मलबरी सिल्क, अर्जुन के पौधे पर तसर सिल्क और अरंडी के पोधों पर मूंगा सिल्क का उत्पादन किया जाना है।