शहर की सर्वे रिपोर्ट में खामियां, तहसीलदार करेंगे जांच
ाहर का विकास कार्य और आय बढ़ाने के उद्देश्य से नगर निगम सभी 51 वार्डो सर्वे करा रहा है। इसका जिम्मा हैदराबाद की आरएसआइ कंपनी को दिया गया है।
भागलपुर। शहर का विकास कार्य और आय बढ़ाने के उद्देश्य से नगर निगम सभी 51 वार्डो सर्वे करा रहा है। इसका जिम्मा हैदराबाद की आरएसआइ कंपनी को दिया गया है। शुक्रवार को नगर निगम में हुई बैठक में कंपनी ने जब अपनी रिपोर्ट प्रस्तुति की तो तमाम खामियां मिलीं। तहसीलदारों ने इस पर सवाल उठाए। इस पर नगर निगम प्रशासन ने तहसीलदारों को ही रिपोर्ट की जांच करने कहा है।
कंपनी पिछले पांच वर्र्षो सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके अधिकारी श्रीकात ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिये रिपोर्ट की प्रस्तुति दी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही मार्र्गो का वर्गीकरण और टैक्स का निर्धारण होना है। कंपनी ने वार्डो का भूगोलीय सूचना सिस्टम (जीआइएस) के आधार पर मानचित्र बनाया है ताकि भवनों और सड़कों की सही स्थिति इंटरनेट के माध्यम से भी देखी जा सके। प्रस्तुति के दौरान अधिकतर वाडरें की रिपोर्ट में गड़बड़ी मिली।
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सात दिन में रिपोर्ट सुधारने के निर्देश
तहसीलदारों और अन्य अधिकारियों का कहना था कि जिस भवन को व्यवसायिक होना चाहिए था, सर्वे में उसे आवासीय कर दिया गया। आवासीय को व्यवसायिक कर दिया। साढ़े तीन घटे तक चली बैठक में नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने सभी तहसीलदारों को सात दिन के अंदर रिपोर्ट सुधारने के लिए कहा है।
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घर-घर जाएंगे तहसीलदार
अब तहसीलदार वाडरें में घर-घर जाकर रिपोर्ट की वास्तविकता की जांच करेंगे। प्रत्येक वार्ड में 900 से 1600 गृहकर धारक हैं। एक दशक पहले एक मंजिला मकान हुआ करता था। वर्तमान में चार मंजिल बना लिया गया है। इसे भी सर्वे रिपोर्ट में दर्ज करना होगा। इस रिपोर्ट को तहसीलदार द्वारा 31 अक्टूबर से पहले उपलब्ध कराना होगा। ताकि नगर विकास विभाग को रिपोर्ट भेजा जा सके। इसके पूर्व तहसीलदार की रिपोर्ट का सर्वे एजेंसी भी मिलान करेगी। कोई गड़बड़ी नहीं हो निगम के अधिकारी द्वारा वार्डो में जाकर जांच की जाएगी। कंपनी के सर्वे में है खामियां :
सर्वे रिपोर्ट में शहर की मुख्य सड़क को अन्य सड़क, प्रधान सड़क को मुख्य सड़क दर्शाया गया है। कई क्षेत्रों को छोड़ दिया गया है। अपार्टमेंट के फ्लेट को शामिल नहीं किया गया। बता दें कि वर्ष 2014 से ही एजेंसी शहर का सर्वे कर रही है। इसके पहले सेटेलाइट से मैप के आधार पर सर्वे किया गया था।