बटेश्वरस्थान के खतरनाक घाट की घेराबंदी कराने की उठी मांग
संवादसूत्र, कहलगांव : सर्वदलीय समिति ने कहलगांव के अनुमंडल पदाधिकारी को मांगपत्र देकर कहलगांव एवं बट
संवादसूत्र, कहलगांव : सर्वदलीय समिति ने कहलगांव के अनुमंडल पदाधिकारी को मांगपत्र देकर कहलगांव एवं बटेश्वरस्थान में स्थित घाटों के खतरनाक स्थलों को चिन्हित कराकर उसकी घेराबंदी कराने एवं सूचना पट्ट, बैनर, होर्डिग लगवाने की मांग की है। बाहर से गंगा स्नान हेतु आने वालों को गंगा के गहराई और खतरनाक स्थल का पता नहीं चलता है और डूबने से मौत हो जा रही है। अभीतक आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत डूबने से हो गई है। प्रवीण कुमार राणा की अगुवाई में संजीव कुमार, पवन भारती, सुजीत मिश्रा, सुरेंद्र सिंह, नितिन कुमार, पंकज गुप्ता प्रतिनिधि मंडल में थे। इसके अलावा, प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष सलेमपुर सैनी पंचायत के मुखिया एवं सुभाष यादव ने जिलाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, कहलगांव नगरपंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी से गंगा स्नानार्थियों के जानमाल की सुरक्षा केलिए कहलगांव एवं बटेश्वरस्थान के खतरनाक घाट की घेराबन्दी करवाने एवं कहलगांव और बटेश्वरस्थान में एसडीआरएफ टीम स्थाई रूप से पदस्थापित करने की मांग की है।
------------ बटेश्वरस्थान गंगाघाट में डूबने से हुई मौत के बाद मामा-भांजों के शवों को ले गए स्वजन
संवादसूत्र, कहलगांव : कहलगांव के बटेश्वरस्थान में शनिवार की संध्या गंगा स्नान के दौरान डूबने से हुई मौत के बाद निकाली गई मामा एवं दो भांजे के शव को रविवार को भागलपुर में पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों ने मुंगेर जिला के तारापुर महेशपुर लेते गया है। दिवगंत मामा आर्मी जवान ऋषिकेश सिंह का वहीं घर है। दोनों भांजा पुष्पेंद्र कुमार बर्मा एवं यशराज कुमार सहोदर भाई थे। इनका घर झारखंड के गिरिडीह बुद्धूडीह गांव में है। पिता कवींद्र प्रसाद बर्मा हैं। सबके स्वजन पहुंच चुके हैं और सोमवार को तीनों का एक साथ सुलतानगंज घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह जानकारी मृतक के निकटतम संबंधी नितिन कुमार ने दी है।
----------
डेढ़ वर्ष के बच्ची की मानवीय पूंछ का कहलगांव में हुआ सफल आपरेशन
संवादसूत्र, कहलगांव : डा. दिगंबर प्रसाद सिंह मेमोरियल क्लिनिक में एक डेढ़ वर्ष की बच्ची को पूंछ जमी हुई थी। उसका डा. नवरत्न दीपू ने सफल आपरेशन कर हटा दिया है। आपरेशन के बाद बच्ची पूर्ण स्वस्थ्य है और शरीर के सभी अंग सामान्य तरीके से काम कर रहे हैं। डा. दीपू ने बताया कि गर्भ में आठवें हफ्ते तक यह पूंछ समाप्त हो जाती है। कुछ मामलों में जन्म के साथ यह विकसित हुई है। कहलगांव में यह पहला मामला है।