Move to Jagran APP

अब रेलवे की दीवारों पर दिखेगी 'देवदास' की प्रेम कहानी, दिलीप से शाहरुख तक ने निभाए किरदार

सौ साल पहले बिहार के भागलपुर में लिखी प्रेमकथा देवदसा आज भी लोगों की जुबान पर है। अब शरतचंद्र की यादों-कृतियों को रेलवे संजाेने जा रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 07:57 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 10:14 PM (IST)
अब रेलवे की दीवारों पर दिखेगी 'देवदास' की प्रेम कहानी, दिलीप से शाहरुख तक ने निभाए किरदार
अब रेलवे की दीवारों पर दिखेगी 'देवदास' की प्रेम कहानी, दिलीप से शाहरुख तक ने निभाए किरदार

भागलपुर [अश्विनी]। 'देवदास' क्यों बन गए...। पढ़े-लिखे हों या निरक्षर, मोहब्बत में सुध-बुध खो बैठे किसी की शख्सियत बयां करनी हो तो तड़ से यही कहेंगे-देवदास! एक शब्द, जो लोक जुबान पर चढ़ गया। दशकों इंतजार के बाद अब यह रेलवे की दीवारों पर भी उकेरा जाएगा। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की अनमोल कृति 'देवदास पर बॉलीवुड में कई फिल्‍में भी बनीं। दिलीप कुमार से लेकर शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित ने इसमें देवदास व पारो के किरदारों को पर्दे पर जिया। आज रविवार को उसी अमर कथा शिल्‍पी शरतचंद चट्टोपाध्‍याय की जयंती है।
भागलपुर में शरतचंद का ननिहाल
बिहार के भागलपुर में शरतचंद का ननिहाल है। सवा सौ साल पहले जिस कुर्सी पर बैठकर शब्दों के उस चितेरे ने मोहब्बत के नायक को यह देवदास नाम दिया था, उसे रिश्तेदारों ने आज भी संभालकर रखा है। वह डेस्क भी है। गंगा की लहरें जिसके संग खेलते-खेलते किशोरावस्था ने कितने ही पात्रों को अपनी कहानियों में जन्म दिया- कुछ किस्से, कुछ हकीकत। भागलपुर की गलियों का एक नाम-शरतचंद्र चट्टोपाध्याय। देवदास और पारो की प्रेमकथा को पन्नों पर उतारने वाले शरत।

देवदास पर बार-बार बनीं फिल्में
देवदास पर बार-बार फिल्में भी बनीं। दिलीप कुमार से लेकर शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित ने जिन किरदारों को पर्दे पर जिया, भागलपुर में ही गढ़े गए उसके हर शब्द अब यहां के रेलवे जंक्शन की दीवारों पर भित्ति चित्र के रूप में उकेरे जाएंगे। शरत खुद 'देवदास' थे या एक कथाकार की कल्पना, आज भी पहेली है। पूरे देश के जनमानस पर छा जाने वाली इस कृति के चर्चे भागलपुर बड़े गर्व से करता है।

करे भी क्यों न, क्योंकि इसे गढऩे वाले की ननिहाल है भागलपुर। मानिक सरकार चौक के पास स्थित ननिहाल में रिश्तेदार आज भी हैं। इन्हीं में एक शांतनु गांगुली (शरतचंद्र के मामा के पोते) कहते हैं- हमने उनकी कुर्सी, डेस्क और हुक्के को संभालकर रखा है।


यादों को जंक्शन पर उकेरेगा रेलवे
शरत ने सौ साल पहले उस समय के रुढि़वादी समाज में किस तरह नारी स्वतंत्रता की वकालत की थी, यह पिता से सुना था। यह जरूरी है कि आने वाली पीढ़ी भी देश के महान साहित्यकार से वाकिफ हो। मालदा डिवीजन के प्रभारी डीआरएम पीके मिश्रा कहते हैं कि भागलपुर शरतचंद्र की कथाओं का केंद्र रहा। रेलवे उनकी कृतियों और यादों को जंक्शन पर भित्ति चित्र के रूप में उकेरेगा।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.