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TMBU : पीएचडी करने के छह माह बाद ही बन गए प्रोफेसर, जानिए पूरी कहानी

प्राचार्य बनाए गए शिक्षक जंतु विज्ञान विषय से जुड़े हैं। उन्होंने कॉलेज में योगदान 15 नवंबर 1986 को दिया था। इन्हें पीएचडी की उपाधि 13 अगस्त 2003 को मिली थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 01:54 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 07:04 PM (IST)
TMBU : पीएचडी करने के छह माह बाद ही बन गए प्रोफेसर, जानिए पूरी कहानी
TMBU : पीएचडी करने के छह माह बाद ही बन गए प्रोफेसर, जानिए पूरी कहानी

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों की प्रोन्नति में अजब-गजब खेल खेला गया है। एक शिक्षक को पीएचडी करने के छह महीने बाद ही प्रोफेसर और फिर कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया है। उक्त शिक्षक को प्रोन्नति कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे के कार्यकाल में दी गई थी। ऐसे और भी शिक्षक हैं, जिन्हें पीएचडी करने के पूर्व ही प्रोन्नति का लाभ दिया गया है।

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प्राचार्य बनाए गए शिक्षक जंतु विज्ञान विषय से जुड़े हैं। उन्होंने कॉलेज में योगदान 15 नवंबर 1986 को दिया था। इन्हें पीएचडी की उपाधि 13 अगस्त 2003 को मिली थी। रीडर में प्रोन्नत 26 फरवरी 1996 और प्रोफेसर में प्रोन्नति 26 फरवरी 2004 की तिथि से मिली। प्रोफेसर में प्रोन्नति से संबंधित अधिसूचना 2016 में जारी की गई।

विवि नियम-परिनियम के अनुसार करियर एडवांसमेंट स्कीम (कैश) के तहत व्याख्याता से वरीय व्याख्याता बनने के लिए एक ओरिएंटेशन कोर्स आवश्यक है। वरीय व्याख्याता बनने के बाद ओरिएंटेशन और रिफ्रेशर कोर्स करना जरूरी है। रीडर या एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी करना आवश्यक है। पीएचडी नियुक्ति के आठ वर्ष के अंदर करना आवश्यक है। पीएचडी की तिथि से ही रीडर और प्रोफेसर बन सकते हैं। लेकिन उक्त शिक्षक ने पीएचडी करने के छह माह के अंदर ही प्रोफेसर बना दिए गए। शिक्षक ने प्रोफेसर के लिए जिस पेपर का प्रकाशन दिखाया है, वह हूबहू ऑस्ट्रेलिया के शोधार्थी जॉनसन का है। इसके अलावा एक भी पेपर इंटरनेट पर नहीं दिख रहा है।

इसी प्रकार आइआरपीएम विभाग की शिक्षिका ने 20 अगस्त 1985 को योगदान दिया। पीएचडी सितंबर 96 में की। रीडर में प्रोन्नति 26 फरवरी 96 और प्रोफेसर में 26 फरवरी 04 की तिथि से दी गई है। इसी प्रकार ग्रामीण अर्थशास्त्र की शिक्षिका ने अपना योगदान 30 नवंबर 86 में दिया। उन्हें पीएचडी की उपाधि जुलाई 98 में मिली। रीडर में प्रोन्नति 26 फरवरी 96 और प्रोफेसर में प्रोन्नति 26 फरवरी 2004 से दी गई। ग्रामीण अर्थशास्त्र विभाग के ही एक शिक्षक ने 20 दिसंबर 83 को योगदान दिया। पीएचडी 10 अप्रैल 06 में किया। रीडर में इन्हें 11 जुलाई 95 और प्रोफेसर में एक फरवरी 04 की तिथि से प्रोन्नति दी गई। इसी प्रकार प्राचीन इतिहास, इतिहास और राजनीति विज्ञान के कई शिक्षकों ने पीएचडी करने से पहले ही प्रोन्नति पा ली।

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल अरुण कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों की प्रोन्नति से संबंधित मामले की जांच की जाएगी। इसके लिए सामान्य विभाग को निर्देश दिया गया है। शनिवार को विवि में फाइल मंगाकर जांच की जाएगी।


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