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यहां फसल लगने से पूर्व ही लगाई जाती है उत्पादन की बोली

फसल लगने से पूर्व ही उत्पादन की बोली लग जाती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 01:04 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 01:04 PM (IST)
यहां फसल लगने से पूर्व ही लगाई जाती है उत्पादन की बोली
यहां फसल लगने से पूर्व ही लगाई जाती है उत्पादन की बोली

संजीव राय (कटिहार)। यह अनूठी किसानी है। यहां फसल लगने से पूर्व ही उत्पादन की बोली लग जाती है। इतना ही नहीं किसान अगर चाहे तो अनुमानित उत्पादन का कीमत भी अग्रिम मिल जाता है। इतना ही नहीं इसके लिए कंपनियों के बीच भी प्रतिस्पर्धा रहती है और सभी में किसानों को बेहतर सुविधा देने की होड़ लगी रहती है।

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नायाब खेती से बदली स्थिति

यह परिवर्तन यहां अनायास नहीं आया है। दरअसल किसानों का चिप्स में उपयोग होने वाली आलू की खेती के प्रति बढ़े झुकाव से यह स्थिति बनी है। हसनगंज प्रखंड क्षेत्र के रामपुर व रजवाड़ा पंचायत में इस भेरायटी की आलू की खेती बृहत पैमाने पर हो रही है। क्षेत्र में लगातार चिप्स वाली आलू की खेती का रकवा बढ़ रहा है। इससे जहां कंपनी को अपनी पसंद का आलू सीधे किसानों से मिलता है, वहीं किसानों को आलू का उचित मूल्य मिलने से मुनाफा ज्यादा मिलता है।

रज्जाक ने शुरु की थी खेती

राजवाड़ा पंचायत में टेस्ट करने के उद्देश्य से सर्व प्रथम किसान अब्दुल रज्जाक द्वारा वर्ष 2012 में एक एकड़ में चिप्स वाली आलू लगाई गई थी। इसके मुनाफा को देखते हुए अन्य किसानों द्वारा इसकी खेती शुरु की गई। फिलहाल करीब सौ एकड़ से ज्यादा रकवे में इसकी खेती हो रही है। यह आलू अन्य आलू की बनिस्पत कम दिनों में तैयार होती है। साथ ही इसमें रोग लगने की संभावना भी कम रहती है। चिप्स वाले कंपनी की ओर से समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा खेतों के निरीक्षण कर किसानों को उचित सलाह दिया जाता है। इससे किसान नकली खाद व कीटनाशक दवाइयों से होने वाली ठगी से भी बच जाते हैं।

क्या कहते हैं किसान

किसान बुलबुल, मु. जियाउल, मकसूद, नुरुल होदा आदि ने कहा कि आलू की सामान्य खेती में झुलसा व अन्य रोग ज्यादा लगते हैं। फसल तैयार होने के उपरांत बाजार के साथ कीमत की समस्या रहती है। बाजार भाव नहीं रहने पर कोल्डस्टोरेज का अतिरिक्त भार भी सहना पड़ता है। जबकि चिप्स वाली आलू की खेती में कंपनी की ओर से खाद, बीज, कीटनाशक व खेती के लिए मशीन मुहैया कराया जाता है। खास बात यह है कि फसल लगाने के पूर्व ही नौ से दस रुपये का कीमत तय कर खेत से ही फसलों की खरीदारी कर एक सप्ताह के अंदर चेक के माध्यम से किसानों को इसका भुगतान कर दिया जाता है।


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