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अब खूंखार कैदी जलाएंगे शिक्षा की अलख, सजा काट कर निकलेंगे तो निरक्षरों को बनाएंगे साक्षर

निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की मुहिम को जेल प्रशासन साक्षर कैदियों की मदद से आगे बढ़ा रहा है। इसके लिए भागलपुर जेलों में आठ शिक्षा केंद्र चलाए जा रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 08:00 AM (IST)
अब खूंखार कैदी जलाएंगे शिक्षा की अलख, सजा काट कर निकलेंगे तो निरक्षरों को बनाएंगे साक्षर
अब खूंखार कैदी जलाएंगे शिक्षा की अलख, सजा काट कर निकलेंगे तो निरक्षरों को बनाएंगे साक्षर

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। खूंखार कैदियों का हृदय परिवर्तन कर शिक्षा का अलख जगाने की सरकार की योजना भागलपुर में साकार होने लगी है। यहां की शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी मिसाल कायम कर रहे हैं।

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पहले से निरक्षर इन कैदियों को जेल अधिकारियों और शिक्षा निदेशालय से भेजे प्रशिक्षकों को साक्षर बनाया। साक्षर बन इन कैदियों ने जेल में आने वाले सजायाफ्ता कैदियों के बड़े जत्थे को साक्षर बना डाला है। अब ये कैदी सजा काटकर जब समाज में जाएंगे तो उन्हें उपेक्षा का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। ये अपनी शिक्षा की बदौलत समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं। जरायम की दुनिया से नाता रखने वालों को अपने अनुभव बता उससे तौबा करने को प्रेरित करेंगे। निरक्षरों को ज्ञान भी बांटेंगे।

शहीद जुब्बा सहनी में सात, विशेष केंद्रीय कारा में आठ केंद्र : निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की मुहिम को जेल प्रशासन साक्षर कैदियों की मदद से आगे बढ़ा रहा है। इसके लिए शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में सात और विशेष केंद्रीय कारा में आठ शिक्षा केंद्र चलाए जा रहे हैं। यहां पठन-पाठन की सामग्री जेल प्रशासन उपलब्ध करा रखी है। उनके लिए वृहद पुस्तकालय की व्यवस्था की गई है। यहां कक्षा संबंधी पुस्तकों के अलावा साहित्यकारों, इतिहासकारों, महापुरुषों, आजादी के दीवाने रहे क्रांतिकारियों की जीवनी रखी गई हैं। कैदी सिर्फ अखबार का अवलोकन नहीं करते बल्कि पुस्तक पढऩे का भी समय निकालते हैं।

दूसरी जेलों के भी हैं सजायाफ्ता : सूबे की विभिन्न जेलों से सजायाफ्ता कैदियों को दोनों जेलों में भेजा जाता है। दोनों जेलों में पांच हजार से अधिक कैदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान में दोनों जेलों में तीन हजार से अधिक कैदी हैं। इनमें सजायाफ्ता कैदियों की संख्या एक हजार से अधिक है। इनमें भागलपुर, मोतिहारी, पटना, बक्सर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, गोपालगंज, सिवान, छपरा, समस्तीपुर, मुंगेर, जमुई, खगडिय़ा, बांका, पूर्णिया, लखीसराय, शेखपुरा, सहरसा, बेगूसराय आदि जिलों के सजायाफ्ता शामिल हैं।

दिखाई जाती अंडरवर्ल्‍ड की बुराइयों से अवगत कराने वाली डॉक्यूमेंट्री : कैदियों को अंडरवल्र्ड की बुराइयों से अवगत कराने वाली डाक्यूमेंट्री दिखाकर उन्हें उस दुनिया से तौबा करने को जागरूक किया जाता है। ताश-लूडो छोड़ कक्षा के अलावा पुस्तकालय में बैठने की आदत लगाई गई। यहां कैदी रोज समय दे रहे हैं। कोई अखबार पढ़ता है तो कोई पुस्तक पढऩे में ध्यान लगाता है।

ये हैं साक्षरता मुहिम के सारथी : कैदी रोशन सिंह, पलटन सिंह, लक्ष्मण मंडल, मुहम्मद अजमत, अरुण साह, पिंटू मंडल, काशी यादव, घुटरू चौधरी, पंकज सिंह, शिव यादव, वीरेंद्र तूरी, मणिकांत दास, वल्लभ यादव, गंगा सागर सिंह, मुनीर खां, शंकर सिंह समेत दोनों जेलों के 50 कैदी साक्षरता मुहिम में शामिल हैं। इन्हें कारा उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह समेत दोनों जेलों के पदाधिकारियों के सहयोग से गति मिली है। समय-समय पर इग्नू से होने वाली परीक्षा में अधिकांश कैदी सफल हुए हैं।

कैदियों को साक्षर बनाने की सरकार की मुहिम वर्षों से चली आ रही है। निरक्षर को साक्षर बनाने की मुहिम में कैदियों ने बेहतर परिणाम दिया है। यही कैदी अब छूट कर समाज में शिक्षा की अलख जगाएंगे। जेल प्रशासन का उन्हें सहयोग मिलता रहेगा। - संजय कुमार चौधरी, जेल अधीक्षक, भागलपुर


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