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..तो जेल के अंदर संतोष की तरह मृत्युंजय को नंगा कर पीटा गया

सेंट्रल जेल के कैदी बाथ हेमरा गांव निवासी मृत्युंजय की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई। शव का पोस्टमार्टम कराया गया। मृत्युंजय अपनी पत्नी मामले में तीन महीने से जेल में था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 03:51 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 11:37 PM (IST)
..तो जेल के अंदर संतोष की तरह मृत्युंजय को नंगा कर पीटा गया
..तो जेल के अंदर संतोष की तरह मृत्युंजय को नंगा कर पीटा गया

भागलपुर [जेएनएन]। संदेहास्पद स्थिति में जवाहर लाल अस्पताल में शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा से भर्ती कराए गए बंदी मृत्युंजय कुमार यादव की मौत जेल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। उसकी मौत को लेकर हालांकि जेल प्रशासन चुप है। गुरुवार को कोर्ट में पेशी को पहुंचे बंदियों में एक ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से मानवाधिकार आयोग को एक पाती भेजा है। उस पाती में कई चौकाने वाली जानकारियां घटना के संबंध में दी है। इस जानकारी से भी जेल प्रशासन कोई इत्तेफाक नहीं रखता। जेल प्रशासन का कहना है कि असंतुष्ट बंदी ऐसे आरोप लगाते हैं।

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संतोष चौरसिया और मृत्युंजय को बेरहमी से की गई पिटाई

जेल के अंदर बंद एक विचाराधीन बंदी ने अपनी पाती में लिखा है कि 20 जनवरी को संतोष चौरसिया जो पक्की सराय घोघा का रहने वाला है। एक के चार खटाल में रहता है। उसे बिना किसी कारण के बुरी तरह पीटा गया। उसकी 22 जनवरी को कोर्ट में पेशी थी लेकिन उसे कारा प्रशासन ने कोर्ट नहीं भेजा। उसे कार्यालय में जेल पदाधिकारियों ने बुलाकर धमकी दी है कि यदि इसकी जानकारी बाहर बताई तो उसके नतीजे गंभीर होंगे। बंदी ने लिखा है कि ठीक उसी तरह हलकराचक निवासी मृत्युंजय यादव जिसकी गुरुवार को मृत्यु हो गई, उसे कई बार पीटा गया। मृत्युंजय को संतोष चौरसिया की तरह 27 जनवरी से 29 जनवरी तक तीन नंबर सेल में बेड़ी डंडा लगा कर बंद कर दिया गया। पिटाई में उसे अंदरूनी चोट ज्यादा लगी। उसका कोई उपचार नहीं कराया गया। गुरुवार को उसकी मौत हो गई। उसके मरने के बाद उसके शव को कंबल में लपेट कर घसीटते हुए बाहर निकाला गया। उठाया नहीं गया। मानों वह इंसान नहीं जानवर हो। बंदी का कहना है कि रोज किसी न किसी बंदी को गलत आरोप लगा। अफवाह फैला कर पीटा जाता है। उसे भी भय है कि मृत्युंजय की तरह पिटाई कर मार डाला जा सकता है। बंदी ने पत्र में कई गंभीर आरोप जेल पदाधिकारियों पर लगाया है।

क्‍या है मामला

सेंट्रल जेल के कैदी बाथ हेमरा गांव निवासी मृत्युंजय यादव (26) की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई। मजिस्ट्रेट की निगरानी में गुरुवार को शव का पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम का वीडियोग्राफी कराई गई। मृत्युंजय पत्नी रिंकू देवी की हत्या मामले में तीन महीने से जेल में था।

दिमागी संतुलन खो बैठे मृत्युंजय को सेल में रखा गया था। जेल अस्पताल में उसका इलाज कराया जा रहा था। जेल के कक्षपाल मनोज कुमार के मुताबिक बुधवार शाम छह बजे मृत्युंजय की बैचेनी बढऩे पर उसे शाम साढ़े छह बजे जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के क्रम में शाम सात बजे उसकी मौत हो गई। कक्षपाल ने मारपीट करने की बात से इन्कार किया।

मृत्युंजय के पिता महेंद्र यादव के अनुसार बड़े भाई मनोज यादव की वर्ष 2008 में मृत्यु हो गई थी। मृत्युंजय की शादी उसकी भाभी यानी मनोज की पत्नी रिंकू देवी से करा दी। कुछ माह बाद मृत्युंजय का दिमागी संतुलन बिगड़ गया। उसने अपनी पत्नी की आठ नवंबर 2018 को हत्या कर दी। 22 नवंबर 2018 से वह जेल में था। महेंद्र ने बताया कि दवा और खाद्य सामग्री लेकर गुरुवार सुबह आठ बजे पुत्र से मुलाकात करने जेल पहुंचे। जेल कर्मियों ने बताया कि उसके पुत्र ने बुधवार को फांसी लगा लिया था। उसकी मायागंज अस्पताल में मौत हो गई है। इस बारे में जेल अधीक्षक से बात करने का कई बार प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया।

इधर, प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट कार्यपालक दंडाधिकारी राजेश्वरी कुमारी ने कहा कि गले में कोई निशान नहीं पाया गया है। शरीर में कहीं भी जख्म का निशान भी नहीं था। लेकिन नाक से झाग निकला था। नगर डीएसपी राजवंश सिंह ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का पता चलेगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। पीडि़त की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं की गई है।


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