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बच्चे हृदय रोगी नहीं बने... गर्भवती रखें इस बात पर ध्यान, जानिए Bhagalpur News

गर्भवती को अगर पौष्टिक भोजन नहीं मिले या वो किसी तरह संक्रमित होती है तो गर्भस्थ शिशु प्रभावित होता है। शिविर लगाकर इसकी जानकारी दी गई।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 02:30 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 02:30 PM (IST)
बच्चे हृदय रोगी नहीं बने... गर्भवती रखें इस बात पर ध्यान, जानिए Bhagalpur News
बच्चे हृदय रोगी नहीं बने... गर्भवती रखें इस बात पर ध्यान, जानिए Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार नहीं मिलने और विटामिन ए की कमी से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक सकता है या नवजात हृदय रोग से पीडि़त हो सकता है। आइएमए में लगाए गए निश्शुल्क शिशु हृदय रोग जांच शिविर में 157 बच्चों में 116 बच्चों में हृदय रोग मिले। इनमें तीन माह से लेकर 14 वर्ष की किशोरी भी शामिल हैं।

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जांच शिविर जीवन जागृति सोसायटी, शिशु अकादमी, नारायण सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एवं रविन्द्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ कार्डियेक कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। शिविर में खगडिय़ा, गोड्डा, कटिहार, मधेपूरा, मुंगेर, बांका, बेगूसराय आदि जिलों से बच्चों को अभिभावक लेकर आए हुए थे। बच्चों की जांच कोलकाता से आए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमिताभ चट्टोपाध्याय ने किया।

जन्मजात होता है हृदय में छेद

शिविर का उद्घाटन करते हुए डॉ. अमिताभ चट्टोपाध्याय ने कहा कि गर्भवती महिला को अगर पौष्टिक भोजन नहीं मिले, या वो किसी तरह संक्रमित होती है तो गर्भस्थ शिशु प्रभावित होता है। जन्म के बाद अगर दिल में छेद मिले तो इलाज तुरंत शुरु करना चाहिए, बीमारी ठीक हो जाएगी। डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि हृदय की बीमारी को लेकर भी अभिभावकों को जागरूक रहना चाहिए। जन्म के बाद अगर बच्चे का रंग नीला रह जाय तो इसका अर्थ है कि उसे ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है। विश्व में प्रति वर्ष 13 लाख बच्चे हृदय रोग से पीडि़त होते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि हृदय रोग कुछ वर्षों में ठीक भी हो जाता है।

सरकार ऑपरेशन के लिए देती है राशि

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि गरीबी रेखा से जीवन गुजारने वालों के लिए बीमारी का इलाज या ऑपरेशन के लिए सरकार राशि देती है। इसके लिए सिविल सर्जन को बीपीएल कार्ड के साथ आवेदन देने। जिस अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। खर्च राशि का ब्योरा देने से जिलाधिकारी द्वारा राशि दी जाती है।


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