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Pranab Mukherjee dies : गुरुधाम आकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने माता-पिता की परंपरा को बढ़ाया था आगे

Pranab Mukherjee dies पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणव मुखर्जी के निधन से बांका के बौंसी में शोक की लहर है। उनका गुरुधाम से बेहद गहरा नाता था। वे दो वर्ष पूर्व गुरुधाम आए थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 07:10 PM (IST)
Pranab Mukherjee dies : गुरुधाम आकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने माता-पिता की परंपरा को बढ़ाया था आगे
Pranab Mukherjee dies : गुरुधाम आकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने माता-पिता की परंपरा को बढ़ाया था आगे

भागलपुर [विकास पाण्डेय]। Pranab Mukherjee dies : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 03 अप्रैल 2017 को माता-पिता के गुरुदेव योगीराज भूपेंद्रनाथ सान्याल के बांका स्थित जिस गुरुधाम आश्रम आकर अपने अग्रजों की परंपरा को आगे बढ़ाया था आज उनके आकस्मिक निधन से वहां चारों ओर उदासी फैल गई है।

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प्रणब दा के माता पिता ने बांका स्थित गुरुधाम आश्रम के संस्थापक योगीराज भूपेंद्रनाथ सान्याल से ली थी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति के आगमन के साथ ही गुरुधाम के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ जुड़ गया था। वहां का माहौल उत्सवपूर्ण बन गया था। कण कण में नई उर्जा समाहित हो गई थी। लेकिन आज प्रणब दा के अवसान की खबर सुनकर वहां के सभी कर्मी सन्न रह गए हैं। श्यामाचरण विद्यापीठ प्राथमिक सह माध्यमिक संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य देवनारायण शर्मा ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति की मां श्रीमती राजलक्ष्मी मुखर्जी ने गुरुधाम आश्रम के संस्थापक योगीराज भूपेंद्रनाथ सान्याल से दीक्षा ली थी। उनके पिता पश्चिम बंगाल के प्रख्यात राजनेता कामदा किंकर मुखर्जी भी योगीराज सान्याल महाशय के शिष्य थे। वे गुरुदेव सान्याल से भेंट करने अक्सर वहां आते थे।

यहां आने से मन तृप्त होने की कही बात

पूर्व राष्ट्रपति ने बांका जिले के बौंसी स्थित गुरुधाम में उनके सम्मान में आयोजित सम्मान समारोह में कहा कि माता-पिता के गुरुदेव के गुरुधाम आश्रम में आने की उनकी बड़ी इच्छा थी। यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने यहां आने की इच्छा गोड्डा के सांसद निशीकांत दूबे को बताई थी। राष्ट्रपति ने योगीचार्य सान्याल को प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व युवाओं में देशप्रेम की भावना भरने वाला प्रखर देशभक्त भी बताया था। गुरुधाम में उन्होंने गुरु मंदिर व शिव पंचायतन मंदिर में पूजा की थी। वहां भगवान शिव, मां जगधात्री, नारायण, सूर्य व गणेशजी की मूर्तियां हैं। उन्होंने सान्याल बाबा की कुटिया भी देखी थीं। सभा कक्ष में गुरुधाम विद्यापीठ के बटुक छात्रों ने वेदपाठ कर उनका स्वागत किया था।

गुरुधाम परिवार के सदस्यों ने प्रणब दा के आकस्मिक निधन पर जताया गहरा शोक

इससे पहले महामहिम के गुरुधाम आश्रम पहुंचने पर वहां के गणमान्य आचार्यों ने उनका भव्य स्वागत किया था। उनका स्वागत करने वालों में योगीराज सान्याल की पोती बावली पाठक, द्वारिकाधीश पांडेय, शेषाद्री दूबे, प्रमोद कुमार झुनझुनवाला, ट्रस्ट के सचिव ऋषिकेश पांडेय आदि कई गुरु भाई शामिल थे। आज वे उस विभूति के अचानक महाप्रयाण कर जाने से हतप्रभ हैं। प्रधानाचार्य शर्मा ने बताया कि  बांका जिले के बौंसी स्थित गुरुधाम आश्रम विगत 74 वर्षों से भारतीय वेद, संस्कृत साहित्य व योगक्रिया की शिक्षा दे रहा है। इसकी स्थापना 1943 में सुप्रसिद्ध योगीराज भूपेंद्रनाथ सान्याल ने अपने गुरु श्यामाचरण लाहिड़ी की याद में की थी। इसके कारण यह गुरुधाम आश्रम के नाम से चर्चित है। आश्रम में वैदिक साहित्य, संस्कृति व क्रियायोग की शिक्षा दी जाती है। श्यामाचरण लाहिरी के गुरु बाबाजी महाराज उर्फ पहाड़ी बाबा भगवान श्रीकृष्ण की योगक्रिया को देश में प्रचारित करने वाले आधुनिक काल के प्रथम योगाचार्य थे। उनके बाद भूपेंद्र सान्याल ने उनकी विरासत संभाली थी। इसमें गृहस्थ आश्रम में रहनेवाले नर-नारी भी योगक्रिया कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। योगीराज सान्याल की काफी ख्याति फैली।

प्रणब दा के पिता कामदा किंगर मुखर्जी अक्सर आते थे यहां

महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की माताजी राजलक्ष्मी मुखर्जी योगीराज सान्याल से दीक्षा लेने वाली प्रमुख शिष्या थीं। सान्याल महाशय का उनके पिता पश्चिम बंगाल के प्रख्यात राजनेता कामदा किंकर मुखर्जी के साथ भी आत्मीयता थी। गुरुधाम ट्रस्ट स्टेट के सचिव ऋषिकेश पांडेय ने कहा कि माता-पिता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुधाम आश्रम पधार कर यहां के गौरव को बढ़ाया था। हम उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानते थे। गुरुधाम परिवार उनके आकस्मि अवसान से शोकाकुल है। हम ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने की कामना करते हैं।


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