पूर्णिया में महंगे बीज के कारण आलू की खेती करने वाले कृषकों को लागत में ज्यादा खर्च
पूर्णिया के आलू किसान इन दिनों परेशान हैं। उत्पादित फसल के बाजार में उचित मूल्य पर बिकने में संशय से बना हुआ है। महंगे बीज के कारण भी उन्हें कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्णिया, जेएनएन। महंगी बीज के कारण इस वर्ष आलू की खेती करने वाले कृषकों को प्रति एकड़ ज्यादा उत्पादन लागत खर्च करना पड़ रहा है। इसके बावजूद उत्पादित फसल के बाजार में उचित मूल्य पर बिकने में संशय से बना हुआ है। क्योंकि इस फसल में अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा बीज की खपत होती है तथा अन्य महंगे संसाधनों की आवश्यकता होती है। बाजार में वर्तमान आलू की भाव को देखते हुए जिले के अनेकों किसान इस फसल पर दांव लगाने को तैयार हैं बावजूद इसके कि इस बार मक्का की उत्पादित फसलों का बाजार में उचित मूल्य प्राप्त नहीं होना तथा लगातार बारिश होते रहने के कारण खेतों का देर से सुखना बाजार में उत्पादित फसल पहुंचने के बाद व्यवसाय एवं जमाखोरों से उचित मूल्य प्राप्त नहीं होने संबंधित संशय के बावजूद भी बाजार में आलू की वर्तमान मूल्य को देखते हुए कृषक इस फसल पर दांव लगाने को तैयार है जबकि पिछले वर्ष इस जिले के कई किसानों का आलू फसल सितंबर माह में हुए 3 दिनों तक लगातार बारिश के कारण बर्बाद हो गया था। बनमनखी प्रखंड के जिला परिषद सह कृषक रघुनाथपुर सत्येंद्र झा उर्फ मुन्ना झा बुढिय़ा गोला के वीरभद्र झा के नगर प्रखंड के कोहवारा पंचायत के कृषक निर्भय ङ्क्षसह, रवि कुमार मेहता, रणविजय कुमार, सुशील कुमार, अजय ङ्क्षसह इत्यादि ने बताया कि इस वर्ष आलू की बीज महंगी होने के कारण तथा प्रति एकड़ लगभग 12 ङ्क्षक्वटल बीज खपत होने के कारण उत्पादन लागत लगभग 3 गुनी से ऊपर खर्च बैठ रही है। जबकि पिछले वर्ष 700 से रूपयें 1000 था।
बाजार में बिकने वाली आलू बीज का मूल्य
बीज के प्रकार बाजार मूल्य प्रति कि.
पोखराज (उजला) 5500
लाल गुलाब। 4800
जे एम एस (लाल) 5200
बाजार में इन बीजों के बढ़े मूल्यों के कारण प्रति एकड़ अनुमानित उत्पादन लागत लगभग 80 हजार रुपये खर्च होने की संभावना है जो कई कृषक द्वारा इस प्रकार दर्शाया जा रहा है।
खेती में अनुमानित खर्च का ब्यौरा
बीज खपत 10- 12 ङ्क्षक्वटल 50- 60हजार रुपये
खेत जुताई 4 हजार
उर्वरक एवं विभिन्न प्रकार कीटनाशक 8-10 हजार
मजदूरी एवं अन्य खर्च 10 हजार कृषकों द्वारा दर्शाए गए खर्च के इन आंकड़ों के आधार पर अगर प्राकृतिक प्रकोप से फसल को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंची अथवा बाजार में अगर इसका उचित मूल्य प्राप्त नहीं होने पर किसान निश्चित रूप से घाटे में रहेंगे।