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प्रदूषण का कहर : कोसी के इन इलाकों में अब पेड़-पौधों को पहुंचा रहा नुकसान, सूख रहे रोड किनारे लगे पेड़

अनलॉक के बाद से फिर कोसी क्षेत्र की आबोहवा खराब होने लगी है। एयर इंडेक्स क्वालिटी जितनी बेहतर रहनी चाहिए वो नहीं है। इस लापरवाही की वजह से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। पशु पक्षी से लेकर पेड़ पौधे व खेती तक को नुकसान पहुंचा रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 09:15 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 09:15 PM (IST)
प्रदूषण का कहर : कोसी के इन इलाकों में अब पेड़-पौधों को पहुंचा रहा नुकसान, सूख रहे रोड किनारे लगे पेड़
प्रदूषण के बढ़ते स्तर से पशु पक्षी से लेकर पेड़ पौधे को नुकसान पहुंच रहा है।

मधेपुरा, जेएनएन। प्रदूषण के बढ़ते लेवल ने खतरे की घंटी बजा दी है। प्रदूषण से पेड़ पौधे से लेकर फसल तक को नुकसान हो रहा है।

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जिले में कल कारखाना नहीं रहने के बावजूद एयर इंडेक्स क्वालिटी जितनी बेहतर रहनी चाहिए वो नहीं है। प्रदूषण के बढ़ते खतरों को भांप कर कई तरह के उपाय दिल्ली व अन्य महानगरों में किए भी जा रहे हैं। लेकिन जिले में अभी न प्रशासन इस तरफ ध्यान दे रही है और न ही आम लोगों में जागरूकता है। इस लापरवाही की वजह से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण का बढ़ता लेवल पशु पक्षी से लेकर पेड़ पौधे व खेती तक को नुकसान पहुंचा रही है। सीधी सी बात है जब हवा में ही प्रदूषण रूपी जहर घुल जाएगी तो फिर परेशानी तो सबों को होगी।

असमय मुरझा रहे पेड़ पौधे

पेड़ पौधे व हरियाली पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ता प्रदूषण पेड़ पौधे को भी नुकसान पहुंचा रही है। खासकर सड़क किनारे के पेड़ पौधे बढ़ते प्रदूषण व धूलकण के कारण असमय ही सुख जा रहे हैं। इसके अलावा आस पास के क्षेत्र के पेड़ पौधों पर भी इसका काफी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जिले में धूलकण को लेकर पेड़ पौधे को नुकसान पहुंच रहा है। पेड़ पौधों के पत्तों पर लगातार धूलकण जमा रहने से वो सांस नहीं ले पाती है। इससे दो से चार प्रतिशत पेड़ पौधे तो सुख जाते है जबकि कइयों का विकास प्रभावित हो जाता है। वही कल कारखाने से निकलने वाला धुआं पेड़ पौधे के लिए सर्वाधिक नुकसानदायक होते है। लेकिन कोसी क्षेत्र में इस तरह की समस्या नहीं है।

फसल भी हो रही प्रभावित

प्रदूषण का प्रभाव मनुष्य से जुड़े हर क्षेत्र या यूं कहें कि हर सजीव चीजों को प्रभावित कर रही जो हवा के माध्यम से जीवित रहती है। प्रदूषण के बढऩे के कारण फसल पर भी इसका काफी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इससे फसल चक्र प्रभावित होती है। प्रदूषण व धूलकण जमे रहने के कारण फसल के पौधे की श्वसन क्रिया प्रभावित होती है। इससे जहां पौधे के विकास पर असर पड़ता है। वही इस पौधे से तैयार फसल भी हानि पहुंचा सकती है। पराली जलाने से भी काफी मात्रा में प्रदूषण होता है। लेकिन विभाग के आंकड़ों को माने तो जिले में खेतों में पराली जलाए जाने की समस्या नहीं है।

जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने बताया कि प्रदूषण से खेती व फसल पर प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वायु एवं धूलकण के कारण फसल की श्वसन क्रिया प्रभावित होती है। इससे विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिले में राहत की बात यह है कि यहां खेतों में किसान पराली नही जलाते है। पराली से अत्यधिक प्रदूषण होता है। वैसे यहां पराली नही जलाई जाती है। इसके लिए विभाग लगातार किसानों को जागरूक करते रहती है। सरकार ने इसके लिए कड़े नियम भी बना रखे हैं। जिस किसानों के खेत मे पराली जलाई जाएगी उनका किसान पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। उन्हें किसी तरह की कोई विभागीय लाभ नहीं दी जाएगी।


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