विस चुनाव : मतदान में नहीं दिखा 'लाल झंडे' का असर
पूर्व बिहार के चार नक्सल प्रभावित जिलों में चुनाव के पूर्व तरह-तरह की अफवाहें फैल रही थीं। लेकिन, इन क्षेत्रों में 50 फीसद मतदान के बाद यह साबित हो गया कि नक्सलवाद का असर मतदान के उत्साह के आगे बेअसर हो गया।
भागलपुर [संजय सिंह]। पूर्व बिहार के चार नक्सल प्रभावित जिलों में चुनाव के पूर्व तरह-तरह की अफवाहें फैल रही थीं। लेकिन, इन क्षेत्रों में 50 फीसद मतदान के बाद यह साबित हो गया कि नक्सलवाद का असर मतदान के उत्साह के आगे बेअसर हो गया। सुरक्षा बलों की चौकसी की वजह से परिंदे भी पर नहीं मार सके।
इस चुनाव में पहली बार दो हेलीकॉप्टरों से नक्सल प्रभावित इलाकों की हवाई निगरानी की जा रही थी। जल दस्युओं से निपटने के लिए मोटरबोट की व्यवस्था की गई थी। दियारा इलाके में मतदान के दौरान शांति बनी रहे, इसके लिए घुड़सवार पुलिस दल को तैनात किया गया था।
नक्सल प्रभावित जमुई, लखीसराय, बांका और मुंगेर में निगरानी के लिए दो हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था थी। हवाई निगरानी का नेतृत्व स्वयं भागलपुर के आईजी बच्चू सिंह मीणा ने संभाल रखा था। उधर, दूसरे हेलीकॉप्टर पर निगरानी की जिम्मेदारी मुंगेर के डीआइजी शिवेश्वर प्रसाद शुक्ला को सौंपी गई थी।
इधर, लखीसराय से पीरपैंती तक के दियारा इलाके में निगरानी के लिए दर्जनों मोटरबोटों के अलावा घुड़सवार पुलिस की भी व्यवस्था की गई थी।
जमुई जिले के नक्सल प्रभावित इलाके चकाई, खैरा, सिकंदरा, झाझा आदि इलाकों में इस बार लोगों ने बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया। मुंगेर के हवेली खडग़पुर, बंगलवा, धरहरा, शामपुर, धपरी के अलावा लखीसराय के चानन, कजरा, उरैन आदि इलाकों में भी मतदान के दौरान लोगों का उत्साह देखते बना।
दियारा इलाके के लगभग 300 बूथों पर इस बार दबंगों की नहीं चली। इक्का-दुक्का छिटपुट घटनाएं जरूर हुईं। लेकिन, ये घटनाएं लोगों या प्रत्याशियों के आपसी मनमुटाव का परिणाम थीं। मतदान को प्रभावित करने के सारे उपाय व्यर्थ साबित हो गए। नक्सल प्रभावित बांका जिले के कटोरिया विस क्षेत्रों के पररिया, गोमती, तेलुआ आदि में शुरू में मतदान करने कोई नहीं आया। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के बाद यहां भारी मात्रा में मतदान हुआ।