बिहार में चुनावी बिसात बिछने से पहले ही दलों के पैंतरे, सहयोगी दिखा रहे आंखें
लोकसभा चुनाव से पहले ही बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो चुकी है। राजग के घटक दल भाजपा को आंखें दिखा रहे हैं, वहीं राजद की पूर्वी बिहार के कोसी क्षेत्र पर खास नजर है।
पटना [एसए शाद]। लोकसभा चुनाव में अभी थोड़ी देर होने के बावजूद प्रदेश में राजनीतिक दलों ने पैंतरा दिखाना आरंभ कर दिया है। अपने कार्यक्रम और बयानों से राजग के घटक दल जहां भाजपा को आंखें दिखा रहे हैं, वहीं राजद की नजर पूर्वी बिहार के कोसी इलाके के दो धुरंधरों पर जा टिकी है। बड़े दल छोटे दलों पर डोरे डाले जा रहे हैं। नए पार्टनर की तलाश भी कुछ दल कर रहे हैं।
30 जनवरी को रालोसपा की मानव कतार कार्यक्रम के बाद अटकलों का बाजार गर्म है। राजद के कई वरिष्ठ नेता रालोसपा अध्यक्ष एवं केंद्र सरकार में राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा के साथ खड़े दिखे। कुशवाहा का शिक्षा सुधार के उद्देश्य को लेकर आयोजित यह कार्यक्रम अपने आपमें राजग के लिए बहुत संवेदनशील था, क्योंकि प्रदेश में इस समय राजग की ही सरकार है।
मानव कतार में शामिल हुए राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी दो दिन बाद बिहार पीपुल्स पार्टी के संस्थापक आनंद मोहन से मिलने सहरसा जेल पहुंच गए। बिहार पीपुल्स पार्टी दो वर्ष पूर्व हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के साथ खुद को जोड़ कर राजग की धुरी पर चल रही थी। बताया जाता है कि राजद की ओर से आनंद मोहन पर डोरे डालने के साथ-साथ पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी पर भी 'वर्क आउट' करने को सोचा जा रहा है। पप्पू यादव राजद के की टिकट पर ही पिछला लोकसभा चुनाव जीते थे, और फिर उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली।
इधर, राजग में शामिल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को यह बयान देकर भाजपा-जदयू की चिंता बढ़ा दी कि उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में कम से कम 50 सीटें चाहिए।
कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद से डा. अशोक चौधरी को हटाए जाने के बाद से जदयू के पक्ष में बयानबाजी का सिलसिला थमा, लेकिन कांग्रेस विधान पार्षद रामचंद्र भारती 21 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला कार्यक्रम में शामिल हुए। पार्टी लाइन की परवाह किए बिना वह मुख्यमंत्री की प्रशंसा में जुटे हैं।
कांग्रेस नेताओं का यह रवैया महागठबंधन के लिए लगातार परेशानी का सबब बन रहा है। नीतीश कुमार के अलग होने और लालू प्रसाद के जेल जाने से महागठबंधन पहले ही बहुत कमजोर हो चुका है। महागठबंधन ने शरद यादव से फिलहाल बहुत उम्मीदें पाल रखीं हैं जो 20 फरवरी को अपनी पार्टी लांच कर रहे हैं। शरद यादव सोमवार को जेल में बंद लालू प्रसाद से भी मिलने वाले हैं।