दारोगा के संपत्ति पर महाभारत, कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई थी मौत
दारोगा विजय कुमार तिवारी की कोरोना से मौत हो गई। इसी बीमारी से तीन दिन बाद उनकी पत्नी की भी मौत हुई। दारोगा विजय तिवारी की कार और सारा सामान अमरपुर वाले क्वार्टर में ही रह गया था। लेकिन अब इसे लौटाने में पुलिस पदाधिकारी अनाकानी कर रहे हैं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। महाभारत की लड़ाई संपत्ति के लिए ही हुई थी। इधर, बांका के अमरपुर में दारोगा और उनकी पत्नी की कोरोना से मौत के बाद उनके सामान को लेकर भी एक महाभारत की लड़ाई छिड़ी है। एक तरफ बांका पुलिस विभाग है तो दूसरी तरफ दिवंगत दारोगा के दारोगा भाई।
कहानी कुछ यूं है। दारोगा विजय कुमार तिवारी की कोरोना से मौत हो गई। इसी बीमारी से तीन दिन बाद उनकी पत्नी की भी मौत हुई। विजय के भाई विनय कुमार तिवारी ने विजय के शव का दाह-संस्कार कर दिया। विनय बक्सर में एएसआइ के पद पर तैनात हैं। दारोगा विजय तिवारी की कार और सारा सामान अमरपुर वाले क्वार्टर में ही रह गया था। इसे अमरपुर पुलिस ने सील कर उच्च पदाधिकारियों को लिख दिया कि तिवारी का कोई वारिस ही नहीं। दाह-संस्कार करने वाले भाई विनय तिवारी और उनके पुत्र इसके बाद अमरपुर आकर थानेदार से मिले। विभाग ने उन्हें लौटा दिया। वरीय पदाधिकारी से मिलने पर सर्विस बुक के अनुसार उत्तराधिकारी को हक देने की बात कही गई। उनके भाई ने वंशावली प्रस्तुत की, बावजूद अमरपुर पुलिस ने उन्हें सामान देने से इन्कार कर दिया। थानाध्यक्ष सन्नी कुमार ने विनय को कह दिया कि अब विजय की संपत्ति सरकारी हो गई। बांका पुलिस का आरोप है कि दारोगा विजय कुमार तिवारी की पत्नी का शव लेने कोई नहीं पहुंचा। अब हक लेने के लिए ये लोग जोर लगा रहे हैं। इधर, विनय कुमार तिवारी का कहना है कि भाई का दाह-संस्कार कराने के तुरंत बाद वह और उनकी पत्नी भी कोरोना संक्रमित हो गई थीं। ऐसे में वह कैसे भाभी के दाह-संस्कार में शामिल होने आते। भतीजा गांव में श्राद्धकर्म कराने में लगा था। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के पिपरा बेती, बरहज निवासी दारोगा विजय कुमार तिवारी की मौत अमरपुर में सेवा काल के दौरान 25 जुलाई को हो गई थी। उनकी पत्नी रीता देवी की मौत 26 जुलाई को कोरोना संक्रमित पाई गईं। उपचार के दौरान तीन अगस्त को उनकी मौत हो गई थी। इधर बांका एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने कहा कि सर्विस बुक के अनुसार विजय कुमार तिवारी की पत्नी रीता देवी उत्तराधिकारी थीं। उनकी कोई औलाद नहीं थी। दोनों की मृत्यु के बाद अब वारिस नहीं बचा। ऐसे में उनके भाई और भतीजे को कहा गया है कि वह सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लाएं। एसपी ने कहा कि सामान समेत अन्य हक उनके कथित रिश्तेदार को मिल जाए, इसके लिए देवरिया एसपी को पत्र भेज एक रिपोर्ट मांगी गई है।
पूरे प्रकरण पर नजर रख रहे हैं। पीडि़त पक्ष पुलिस परिवार के सदस्य हैं। मामले में विधि-सम्मत कार्रवाई होगी। - सुजीत कुमार, डीआइजी, पूर्वी क्षेत्र, भागलपुर।