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थानेदार ने हिरासत में दी थी यातना, कोर्ट हुआ सख्त तो हुई यह कार्रवाई Bhagalpur News

अकबरनगर थाना कांड संख्या 3/19 में तत्कालीन थानाध्यक्ष विकास कुमार ने 15 जनवरी 2019 को अजय महतो उर्फ अजय यादव और राजीव कुमार यादव को हिरासत में लिया था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 03:38 PM (IST)
थानेदार ने हिरासत में दी थी यातना, कोर्ट हुआ सख्त तो हुई यह कार्रवाई Bhagalpur News
थानेदार ने हिरासत में दी थी यातना, कोर्ट हुआ सख्त तो हुई यह कार्रवाई Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। अकबरनगर थाना क्षेत्र में 15 जनवरी 2019 को भूमि विवाद के मामले में एक पक्ष के दो लोगों को हिरासत में लेकर मारपीट करने के मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष विकास कुमार पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कोर्ट ने इस मामले में एसएसपी से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। रेफरल अस्पताल में जख्म प्रतिवेदन साधारण प्रकृति और जेल चिकित्सक से कराई गई जांच में गंभीर होने को भी कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।

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अकबरनगर थाना कांड संख्या 3/19 में तत्कालीन थानाध्यक्ष विकास कुमार ने 15 जनवरी 2019 को अजय महतो उर्फ अजय यादव और राजीव कुमार यादव को हिरासत में लिया था। जमीन विवाद में दोनों को कागजात लेकर थाने बुलाया और दूसरे पक्ष को तीन डिसमिल जमीन देने की बात कही। आरोप है कि नहीं मानने पर दोनों को हाजत में बंद कर पिटाई की। थानाध्यक्ष ने घटनाक्रम की लीपापोती करते हुए लिख दिया कि भागने के क्रम में आरोपित का सिर थाने के गेट से टकरा कर फट गया था। लेकिन सही तथ्य कुछ और था। एसीजेएम प्रथम आशुतोष पांडेय ने इसकी स्वयं जांच की थी। उसमें यह कस्टोडियल टार्चरिंग का मामला निकला था। दोनों आरोपितों के जख्म प्रतिवेदन तैयार कराने में भी हेराफेरी की गई। अकबरनगर के रेफरल अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने अजय के सिर पर एक इंच और आधा इंच का जख्म बताया था। उसके भतीजे राजीव के शरीर पर जख्म नहीं बताया था। न्यायालय ने जब जेल चिकित्सक से जांच कराई तो अजय के सिर पर तीन इंच, आधा इंच और एक इंच का जख्म सिर के अलग-अलग तीन हिस्सों में बताया गया। राजीव के शरीर पर भी जख्म होने की रिपोर्ट दी। घटना के बाद दोनों को सरकारी कार्य में बाधा डालने समेत कई आरोप में थानाध्यक्ष ने कोर्ट भेजा था तो साथ में जख्म प्रतिवेदन और डायरी नहीं भेजी। इस पर कोर्ट ने आरोपित को जेल भेजने से इन्कार करते हुए वापस कर दिया था। दोनों दस्तावेज के साथ दूसरे दिन यानी 16 जनवरी 2019 को उपस्थित होने को कहा था, लेकिन दारोगा उक्त तिथि को उपस्थित नहीं हुए। उक्त तिथि के एक दिन बाद कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत किया। कोर्ट ने दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया, लेकिन दारोगा की भूमिका पर संदेह हुआ। दोनों आरोपितों को पेश कराते हुए उसके जख्म का स्वयं अवलोकन किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई।


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