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पर्यावरण संरक्षण के लिए रेलवे लाइन किनारे किया जा रहा पौधारोपण, अलुआबाड़ी- मांगुरजान स्टेशन के बीच लगाए गए 16 हजार पौधे

पूर्वोत्तर के राज्यों की तरह अब बिहार में भी रेलवे ट्रैक के किनारे आपको हरियाली देखने को मिलेगी। इसके लिए रेलवे की ओर से किशनगंज-एनजेपी रेलखंड पर अलुआबाड़ी और मांगुरजान स्टेशन के बीच लगभग 16 हजार पौधे लगाए गए हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 03:45 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 03:45 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए रेलवे लाइन किनारे किया जा रहा पौधारोपण, अलुआबाड़ी- मांगुरजान स्टेशन के बीच लगाए गए 16 हजार पौधे
पूर्वोत्तर के राज्यों की तरह अब बिहार में भी रेलवे ट्रैक के किनारे आपको हरियाली देखने को मिलेगी।

जागरण संवाददाता, किशनगंज। पर्यावरण संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिहाज से रेलवे लाइन किनारे पौधारोपण किया जा रहा है। किशनगंज-एनजेपी रेलखंड पर अलुआबाड़ी और मांगुरजान स्टेशन के बीच लगभग 16 हजार पौधे लगाए गए हैं। रेल लाइन से सटे पहली पंक्ति में कचनार, जड़हुल, चंपा जैसे फूलदार व दूसरी पंक्ति में अर्जुन व मोहोगनी जैसे इमरती लकड़ी वाले पौधे लगाए जा रहे हैं। फूलदार पौधे लगाए जाने का एक मकसद यह भी है कि नॉर्थ ईस्ट आने जाने वाले यात्रियों को डुअर्स इलाके की तर्ज पर किशनगंज जिले में भी सौंदर्यीकरण बोध जैसा प्रतीत हो।

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दरअसल जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिले में वन विभाग द्वारा पौधारोपण किया जा रहा है। इस अभियान के तहत अब तक 24 हजार पौधे लगाए गए हैं। महानंदा नदी किनारे और किशनगंज-न्यू जलपाईजुड़ी रेलखंड पर रेल लाइन किनारे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सौंदर्यीकरण के लिहाज से पौधारोपण शुरू किया गया। महानंदा नदी किनारे आठ हजार और अलुआबाड़ी-मांगुरजान स्टेशन के बीच 12 किलोमीटर में अब तक 16 हजार पौधे लगाए गए हैं। रेल लाइन से 40 मीटर हटकर रेलवे की जमीन पर पौधारोपण किया जा रहा है। पहली पंक्ति में फूलदार पौधे लगाए गए हैं। जिसकी अधिकतम ऊंचाई 10-12 फीट होगी।

इस 12 किलोमीटर में अब भी और भी पौधे लगाए जाने हैं, लेकिन अतिक्रमण के कारण काम रूका हुआ है। वन विभाग रेलवे से अतिक्रमण हटाने को लेकर बातचीत कर रही है। ताकि रेलवे के खाली पड़े जमीन पर पौधारोपण कर हरियाली लाया जा सके। हालांकि रेल लाइन किनारे 12 किलोमीटर में लगाए गए पौधे अगर बड़े हो जाएंगे तो रेलयात्रियों को महज सात से आठ मिनट पेड़-पौधों के बीच से गुजरने का अवसर मिलेगा। यानी रेलयात्री डुअर्स इलाके की तर्ज पर सात से आठ मिनट का नजारा ले सकेंगे।

क्षेत्रीय वन पदाधिकारी उमानाथ दुबे बताते हैं कि रेल लाइन किनारे अब 16 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। अतिक्रमण और स्थानीय लोगों की वजह से हो रही परेशानी के कारण कुछ जगहों पर पौधारोपण नहीं हो पाया है। रेलवे अधिकारियों से इसे लेकर बातचीत की जा रही है। रेल अधिकारियों का सहयोग मिलेगा तो छूटे हुए खाली जगहों पर भी जल्द पौधारोपण कराया जाएगा।


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