5 साल घर-परिवार से दूर रही मधेपुरा की पिंकी ने पूरा किया सपना, अफसर बिटिया बनकर लौटी
बीपीएससी परीक्षा में बाजी मारकर पिंकी बन गई अफसर बिटिया। पांच वर्षों तक लगातार परिवार से दूर रहकर की पढ़ाई। अपने दूसरे प्रयास में पिंकी ने पाई सफलता। पारिवारिक उत्सवों से दूर रहकर जारी रखी पढ़ाई। भाई की शादी में भी नहीं हुई थी शामिल।
संवाद सूत्र, गम्हरिया (मधेपुरा): मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके इरादों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। इस बात को सही मायने में चरितार्थ करके दिखाया है गम्हरिया की पिंकी ने। पिंकी ने 66 वीं बीपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पूरे जिले का नाम रौशन किया है। परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए पिंकी ने लगातार वर्षों तक संघर्ष किया। बीपीएससी में रैंक के अधार पर उसे प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के लिए चयन किया गया है।
बीपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद पिता सेवा निवृत शिक्षक उपेंद्र गुप्ता व माता क्रांति देवी ने बताया कि पिंकी बचपन से ही पढ़ाई में काफी कुशाग्र थी। लगातार हर परीक्षाओं में अव्वल आती थी। उन्होंने बताया कि पिंकी की इस सफलता के बाद अब क्षेत्र से और भी लड़कियों प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेगी। वहीं गम्हरिया पंचायत के लोगों ने भी पिंकी की इस सफलता पर उसे बधाई दी। पिंकी ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता व पूरे परिवार को दिया।
आसान नहीं रहा सफर
पितृ प्रधान समाज में अपनी पुत्री को पढ़ाई में आगे भेजने के लिए पिंकी के पिता ने सामाजिक स्तर पर काफी संघर्ष किया। अपनी बेटी के सपनों को पंख देने के लिए पिता ने अपनी उसे पटना में तैयारी के लिए भेजा। शुरूआती दिनों में पढ़ाई के दौरान काफी उतार-चढ़ाव आए। कई बार महज कुछ अंक के लिए परीक्षा में सफल होने से वंचित रह गई। असफलता के बाद पिंकी ने हार नहीं मानी लगातार कोशिश जारी रखी। लगातार पढ़ाई जारी रखने के दौरान पिंकी ने लोगों से दूरी बना ली।
अपने परिवार में हुए उत्सवों में शामिल हुए बिना लगातार पढ़ाई जारी रखी। पांच-सात वर्षों के कठिन संघर्ष के बाद पिंकी ने अपने दूसरे प्रयास में बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। पिंकी ने बताया कि पढ़ाई के लिए बिना भटके लगातार संघर्ष करने के बाद ही सफलता मिल सकती है। बताते चलें कि कोरोना के दौरान सरकार के द्वारा लगाए गए लाकडाउन व भाई की शादी में भी पिंकी शामिल हुए बिना बिना भटके अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किए रही। इसके बाद उसे सफलता मिली।