Move to Jagran APP

संचार के क्षेत्र में भौतिकी का योगदान सबसे ज्यादा, करिकुलम और सिलेबस में बदलाव करें विवि

भौतिकी के छात्र सैटेलाइट एवं रॉकेट प्रक्षेपण के क्षेत्र में भी काम कर सकते हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में विज्ञान में एक नयी अवधारणा का जन्म हुआ, जिसे क्वांटम विज्ञान कहते है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 10:40 PM (IST)
संचार के क्षेत्र में भौतिकी का योगदान सबसे ज्यादा, करिकुलम और सिलेबस में बदलाव करें विवि
संचार के क्षेत्र में भौतिकी का योगदान सबसे ज्यादा, करिकुलम और सिलेबस में बदलाव करें विवि

भागलपुर [जेएनएन]। टीएनबी कॉलेज के भौतिकी विज्ञान विभाग में कॉलेज के पूर्व शिक्षक और प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. रामनंदन सिंह ने भौतिकी विज्ञान के अध्ययन एवं अनुसंधान विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने स्मार्ट मैटीरियल ग्रेफिन की चर्चा करते हुए कहा कि यह ग्रेफाइट की एकल परत है जिसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन होने की वजह से विद्युत की संचालकता बढ़ जाती है। यह मैटीरियल अब उत्पादन के स्तर पर है जिसके प्रयोग से संचार सेवा के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है और मोबाइल डाटा ट्रांसफर कई गुणा तेज हो जाएगा। उन्होंने सुपर कंडक्टिविटी पर बात की और स्पेक्ट्रोस्कोपी के अध्ययन से कैंसर और टीबी की दवा बनने में मिली मदद की जानकारी दी।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि ग्रैफीन ग्रेफाइट की एकल परत, जिसमें मूक इलेक्ट्रॉन होने की वजह से विद्युत की संचालकता बढ़ जाती है। यह मैटेरियल अब उत्पादन के स्तर पर है, जिसके प्रयोग से संचार सेवा के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावना है। मोबाइल डाटा ट्रांसफर कई गुणा तेज हो जाएगा। उन्होंने अतिचालकता (सुपरकन्डिक्टवटी) के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग के बारे में बताया। एक सुपर कंडक्टर मैटेरियल में प्रतिरोध शून्य होने से चालकता अनंत हो जाती है। उन्होंने बताया कि अभी तक 80के (-193 डिग्री सेंटीग्रेड) के वार्म सुपर कंडक्टर बन गए हैं।

संचार के क्षेत्र में भौतिकी विज्ञान की सबसे ज्यादा भूमिका है। भौतिकी के छात्र सैटेलाइट एवं रॉकेट प्रक्षेपण के क्षेत्र में भी काम कर सकते हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में विज्ञान में एक नयी अवधारणा का जन्म हुआ, जिसे क्वांटम विज्ञान के नाम से जाना जाता है। आज जटिल समस्या का समाधान इसकी अवधारणा से हो जाता है। विवेकानंद ने टैलीपैथी की बात की तो उसे पश्चिमी विद्वानों ने एक कपोल कल्पना मानी थी।

लेकिन भौतिक वैज्ञानियों ने वर्तमान में इसे प्रयोग के माध्यम से साकार कर दिया है। बीसवीं सदी की शुरुआत में विज्ञान में नई अवधारणा क्वांटम विज्ञान सामने आया। आज इसकी मदद से जटिल समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने देश के विवि में आवश्यकता के अनुसार करिकुलम और सिलेबस में बदलाव की जरूरत बताई। व्याख्यान में प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी, हेड डॉ. नरसिंह यादव, डॉ. केपी सिंह, पंकज कुमार, आइक्यूएसी के कॉर्डिनेटर डॉ. राजीव कुमार सिंह, उमाकांत प्रसाद शामिल हुए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.