आयुष चिकित्सा के प्रति लोगों का बढ़ा विश्वास, भागलपुर जिला संयुक्त औषधालय में बढ़ रहे मरीज, बोले-कोरोना को हराना है
कोरोना काल में आयुष चिकित्सा पर बढ़ा भरोसा। सदर अस्पताल स्थित जिला संयुक्त औषधालय में पहले की तुलना में अधिक आने लगे हैं मरीज। 50 से 70 मरीज पहले आते थे इलाज कराने अभी इनकी संख्या बढ़कर हो गई 125 से भी अधिक।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। ज्यादातर लोग ऐलोपैथ चिकित्सा पद्धति पर विश्वास जताते हैं, पर कोरोना काल में आयुष चिकित्सा (आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ) के प्रति लोगों का भरोसा तेजी से बढ़ा। यही कारण है कि कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद जब से सदर अस्पताल में जिला संयुक्त औषधालय खुला है, आयुष चिकित्सकों से इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। पहले बमुश्किल 50 से 70 मरीज इलाज कराने पहुंचते थे, पर अभी इनकी संख्या बढ़कर 125 से भी अधिक हो गई है।
इलाज कराने वालों में जोड़ों के दर्द से पीडि़त लोगों की संख्या अधिक
ज्यादातर जोड़ों के दर्द से परेशान मरीज आयुर्वेदिक और होम्योपैथी चिकित्सक से इलाज करवाने पहुंच रहे हैं। मधुमेह और बीपी के मरीजों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ रही है। पर सदर अस्पताल में 10 वर्षों से यूनानी डाक्टर के पद रिक्त रहने की वजह से रोजाना कई मरीजों को बिना इलाज करवाए लौटना पड़ रहा है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा की बिक्री बढ़ी
होम्योपैथ के वरीय चिकित्सक डा. एसके पंजीकार ने कहा कि जो लोग वैक्सीन ले चुके हैं वे भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा ले रहे हैं। कोरोनाकाल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा का स्टाक नील हो गया था। कोरोनाकाल के बाद 15 फीसद मरीजों की संख्या बढ़ी है।
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा नीरज गुप्ता ने कहा कि कोरोनाकाल के पहले जिले में प्रतिमाह 15 से 20 लाख रुपये की दवा की बिक्री होती थी। पर कोरोनाकाल के बाद बिक्री बढ़कर 25 से 30 लाख रुपये हो गई है। अभी भी लोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा खरीद रहे हैं।
मधुमेह, बीपी, जोड़ों के दर्द, पेट की बीमारी आदि का इलाज करवाने अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। पहले 10 से 15 मरीज जोड़ों के दर्द का इलाज करवाने आते थे, अब संख्या बढ़कर 20 से 25 हो गई है। पेट की बीमारी से पीडि़त मरीजों की संख्या में भी 15 फीसद का इजाफा हुआ है। - डा. प्रदीप अग्रवाल, प्रभारी, जिला संयुक्त औषधालय।
क्यों बढ़ा रुझान
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज आयुर्वेदिक और होम्योपैथी दवाओं का सेवन करने लगे थे। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा पीते थे। इन्हीं वजहों से लोगों का रुझान आयुष चिकित्सा के प्रति बढ़ा है।