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Corona effect : चिकन नहीं, शाकाहारी मीनू लाइए Bhagalpur News

कोरोना का असर रेस्तरां और होटलों में दिख रहा है। यहां के कई होटलों में लोग चिकन संबंधित डिश न लेकर शाकाहारी भोजन और नाश्ते का ऑर्डर दे रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 01:51 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 01:51 PM (IST)
Corona effect : चिकन नहीं, शाकाहारी मीनू लाइए Bhagalpur News
Corona effect : चिकन नहीं, शाकाहारी मीनू लाइए Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। क्या दें सर, मांसाहारी या शाकाहारी। मांसाहारी नहीं कुछ शाकाहारी आइटम ही दें, पनीर टिक्का, मंचूरियन, मशरूम आदि-इत्यादि। इन दिनों इसी तरह शहर के होटल और रेस्तरां में वेटर और ग्राहक बात कर रहे हैं।

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दरअसल, कोरोना का असर रेस्तरां और होटलों में दिख रहा है। यहां के कई होटलों में लोग चिकन संबंधित डिश न लेकर शाकाहारी भोजन और नाश्ते का ऑर्डर दे रहे हैं। इसका सीधा असर व्यवसाय पर पड़ रहा है। कई रेस्तरां ने मांसाहारी डिश बंद कर दी है। संचालकों का कहना है कि जब तक कोरोना का असर समाप्त नहीं हो जाता, मांसाहारी भोजन नहीं उपलब्ध होगा। मांसाहारी बाजार पूरी तरह धड़ाम हो गया है।

मुर्गा से महंगा कटहल और परवल

कोरोना का असर मुर्गा बाजार पर पड़ा है। बाजार पूरी तरह धड़ाम हो गया है। कोरोना ने चिकन बाजार की सूरत बिगाड़ दी है। चिकन का दाम आधे हो गए हैं। केवल शहरी क्षेत्र में दो सौ से ज्यादा स्थायी और अस्थायी दुकानें हैं। यहां से होटलों में केवल आठ से नौ क्विंटल चिकन सप्लाई होता था, जो अभी दो क्विंटल पहुंच गया है। बुनकर विक्रेता संघ के अध्यक्ष संतोष कुमार साह का कहना है कि पहले हर दिन चिकन का व्यवसाय 12 से 14 लाख रुपये तक होता था। अब यह घटकर दो से तीन लाख रुपये में सिमट गया है। अभी चिकन 60 से 75 रुपये किलो बिक रहा है। जबकि परवल की कीमत 120 से 130 रुपये किलो है। वहीं, कटहल 70 से 80 रुपये किलो है।

बस और टेंपो से संक्रमण फैलने का खतरा

कोरोना वायरस से बचाव के लिए यात्री वाहनों में अबतक कोई उपाय नहीं किए गए हैं। इन वाहनों में सैनिटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में बस और टेंपों से संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। डिक्शन रोड मालगोदाम और जीरोमाइल के पास निजी और बरारी रोड में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का बस पड़ाव है। निजी बस पड़ाव से बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल के विभिन्न शहरों के लिए बसें खुलती हैं। वहीं, राज्य पथ परिवहन निगम की कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय, खगडिय़ा, बांका समेत आसपास के कई जिलों के लिए चलती हैं। यहां से प्रतिदिन 20-22 हजार लोग बसों से सफर करते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इन बसों में कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सैनिटाइजर की जगह पानी से जैसे-तैसे बसों की सफाई की जा रही है। यही हाल ऑटो-टोटो व टैक्सी का है। सीट आदि की सफाई भी नहीं की जाती है। इसको लेकर प्रशासन उदासीन है।

मोटर मजदूर संघ ने कहा- बस की सफाई के लिए स्टैंड में नहीं है व्यवस्था

जिला मोटर मजदूर संघ के मुकेश यादव, उपेंद्र यादव, मौसम राय, पप्पू साह, बबलू रंजन, संजय यादव व सिकंदर यादव का कहना है कि जिला और नगर निगम प्रशासन की ओर से स्टैंड में बसों की सफाई की व्यवस्था नहीं की गई है। पानी आसपास से लाना पड़ रहा है। इसलिए सफाई के नाम पर खानापूरी की जाती है। जिला प्रशासन से सैनिटाइजर उपलब्ध कराने की मांग की गई है। वहीं, सैनिटाइजर के बारे अनभिज्ञता जाहिर करते हुए ऑटो-टोटो चालकों ने कहा कि घर से निकालने से पहले सुबह वाहनों की प्रतिदिन सफाई करते हैं।

सरकारी बसों में सावधानी बरतने संबंधी प्रचार-प्रसार की व्यवस्था नहीं

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बसों पंपलेट लगाने और सैनिटाइजर की व्यवस्था करने का जिला प्रशासन ने निर्देश दिया है, लेकिन सरकारी बसों में अब तक सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं की गई है। राज्य पथ परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि डीएम के निर्देशानुसार बसों में पंपलेट लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। स्टोरकीपर को सैनिटाइजर खरीदने के लिए भेज गया था, लेकिन नहीं मिला।


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