श्री कृष्ण सेतु की ओर फरकिया वासी लगाए हुए हैं टकटकी
कतना इंतजार तेरा और मैं करूं..! देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने स्थानीय समाजसेवियों जन नेताओं व आंदोलनकारियों के अथक प्रयास का सफर आज 19 वर्षों के बाद भी कहीं न कहीं अधूरा है।
जागरण संवाददाता, खगड़िया : कितना इंतजार तेरा और मैं करूं..! देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने, स्थानीय समाजसेवियों, जन नेताओं व आंदोलनकारियों के अथक प्रयास का सफर आज 19 वर्षों के बाद भी कहीं न कहीं अधूरा है। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा खगड़िया, मुंगेर और बेगूसराय को सीधे जोड़ने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा नदी पर बनने वाले श्रीकृष्ण सेतु सड़क व रेल पुल निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। इसके बाद यह लगने लगा था कि इस सेतु का निर्माण निर्धारित समय सीमा के अंदर कर दिया जाएगा। जिससे लाखों लोगों के राह आसान हो जाएंगे। लेकिन आज 19 वर्ष बीत चुके हैं और कार्य पूरा नहीं हो सका है। बीते दिनों अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को इस सेतु के लोकार्पण की तिथि निर्धारित की गई थी। लेकिन अधूरे काम के कारण सेतु (सड़क पुल) का लोकार्पण नहीं हो सका। जिसके बाद अगली तारीख 16 जनवरी निर्धारित की गई और 16 जनवरी को भी काम अधूरे ही रहे। जिसके कारण लोकार्पण की अगली तारीख का निर्धारण अभी तक नहीं हो सका है। पूरे बिहार वासियों की निगाहें इस पुल पर लगी हुई है। इस पुल के निर्माण हो जाने से जहां एक तरफ लोगों को आवागमन की सुविधा होगी, वहीं व्यापार, पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में आसपास के करीब आधे दर्जन जिले को फायदा होगा। खगड़िया की तस्वीर ही बदल जाएगी।
-------- लोकार्पण में क्या है अवरोध
3.692 किलोमीटर लंबे श्री कृष्ण सेतु मोकामा के राजेंद्र सेतु से 55 किलोमीटर और भागलपुर के विक्रमशिला सेतु से 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सेतु दक्षिण भाग में एनएच-33 को और उत्तर भाग में एनएच-31 को जोड़ती है। 22 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा माल ट्रेन का परिचालन रेल ओवर ब्रिज पर कराया गया था। इसके बाद 11 अप्रैल 2016 को तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा द्वारा बेगूसराय जमालपुर डेमू ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी। वर्तमान में गंगा नदी पर बने इस रेल ओवर ब्रिज पर आठ जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। श्री कृष्ण सेतु पर सड़क पुल बनाने में कई बाधाएं उत्पन्न हुई। जिस कारण आज 19 वर्षों के बाद भी सेतु का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका है। सड़क पुल की डिजाइन वारेन ट्रस के द्वारा की गई है। इस पुल के निर्माण में स्टील की सामग्री का प्रयोग किया गया है। जिसकी चौड़ाई 12 मीटर (39 फिट) है। जिसमें कुल 29 स्पैन हैं। सबसे लंबा स्पैन 125 मीटर का है। 16 जनवरी को लोकार्पण नहीं होने की मुख्य वजह वन वे मार्ग पर दो स्पैन के ऊपर एसडीपीसी का नहीं होना और रघुनाथपुर के समीप करीब 150 मीटर एप्रोच पथ का भी एसडीपीसी कराया जाना है। कनीय अभियंता ने बताया कि दो दिनों के अंदर कार्य को पूर्ण कर लिया जाएगा। दो स्पैन के निर्माण के बाद 28 दिन क्योरी करने में लग गई, जिसके कारण विलंब हुआ। अब इस दोनों स्पैन पर आज एसडीपीसी का कार्य खत्म कर लिया जाएगा। जिसके बाद लोकार्पण में किसी प्रकार का अवरोध नहीं रह जाएगा।
------ पर्यटन स्थलों के लिए लाइफ लाइन बनेगा श्री कृष्ण सेतु
रेल सड़क पुल मुंगेर के विकास के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। लेकिन इससे फरकिया अर्थात खगड़िया की भी तस्वीर बदलेगी।
इस सड़क पुल के तैयार हो जाने से अंग, मिथिलांचल और कोसी का इलाका विकास की दौड़ में सरपट भागेगा। मालूम हो कि मुंगेर ऐतिहासिक नगरी है। कष्ट हरनी घाट, मीर कासिम के द्वारा बनाई गई गुफा, चंडी स्थान, पीर शाह नफाह मकबरा, सीता कुंड, गोयनका शिवाला, मछली तालाब, लाल दरवाजा, ऋषि कुंड, जमालपुर रेल कारखाना जैसे कई धरोहर हैं। योग नगरी है। जहां आना-जाना आसान होगा। वहीं खगड़िया जिले के सिद्ध पीठ कात्यायनी स्थान, डाक्टर रामनाथ अघोरी स्थान, सन्हौली दुर्गा स्थान, भरतखंड का किला, अलौली गढ़ आदि पर्यटन स्थलों से लोग रूबरू होंगे। बेगूसराय के काबर झील पक्षी अभ्यारण, बेगूसराय संग्रहालय, नौलखा मंदिर, जयमंगला गढ़ मंदिर आदि पर्यटन स्थलों तक पहुंचना और आसान होगा। --- खगड़िया की दही, मुंगेर के चूड़े और बेगूसराय के तिलकुट से जुड़ेंगे दिल के तार
खगड़िया को नदियों का नैहर कहा जाता है। लेकिन यहां एक और नदी बहती है, वह दूध की नदी है। लाखों लीटर दूध और उससे बने सामग्री खगड़िया जिले से दूसरी राज्य तक जाते हैं। वहीं मुंगेर में धान की खेती सर्वाधिक होती है और बेगूसराय जिले में एक से बढ़कर एक सुगंधित तिलकुट बनाए जाते हैं। यह दिलों के तार एक दूसरे से जोड़े रखने का माध्यम है। आज हर व्यवस्था हर जिले में हैं। लेकिन कुछ खास चीजें हैं जो लोगों के संबंध को प्रगाढ़ और मजबूत रखते हैं। लोग डेढ़ सौ किलोमीटर की लंबी दूरी तय करने के बजाए मात्र 20 किलोमीटर का सफर तय कर मुंगेर पहुंच जाएंगे।