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गरीबी उन्मूलन : स्वरोजगार की राह दिखाकर स्वावलंबी बना रही हैं कई योजनाएं

जिले में स्वरोजगार को बढावा मिल रहा है। कई योजनाएं लोगों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध करा रही है। वहीं, मनरेगा और जीविका के माध्‍यम से भी रोजगार के अवसर बढ रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 05:18 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 11:33 PM (IST)
गरीबी उन्मूलन : स्वरोजगार की राह दिखाकर स्वावलंबी बना रही हैं कई योजनाएं
गरीबी उन्मूलन : स्वरोजगार की राह दिखाकर स्वावलंबी बना रही हैं कई योजनाएं

भागलपुर [जेएनएन]। गरीबी उन्मूलन की राह में मनरेगा दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने में मददगार साबित हो रहा है। इस योजना से जहां मजदूरों का पलायन रुका है वहीं अब घर परिवार के सदस्य एक साथ काम कर रहे हैं। सरकार भी कार्यस्थल पर सुविधाएं देने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मजदूर पौधरोपण कर रहे हैं तो कहीं तालाब या पोखर का जीर्णोद्धार करने में लगे हैं। अब मजदूरों को अपने गांवों में ही रोजगार मिल रहा है। इस वर्ष जिले में 94 हजार 417 मजदूरों को रोजगार दिया गया। उन्हें 177 रुपये प्रतिदिन की दर से मजदूरी का भुगतान हो रहा है।

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मजदूरी की राशि बिचौलिए से बचाने के लिए सीधे बैंक खाते में भेजने की व्यवस्था की गई है। चालू वित्तीय वर्ष में 78 हजार 425 परिवारों को काम मिला है। इसके अलावा कुछ मजदूर ऐसे भी हैं जो साप्ताहिक मजदूरी कर रहे हैं। ऐसे मजदूरों की संख्या को मिला देने के बाद जिले में मनरेगा से लाभ प्राप्त करने वालों की संख्या एक लाख से अधिक हो जाएगी।

उधर, जीविका ने भी स्वरोजगार की राह दिखाकर गरीबों को स्वावलंबी बनाने में मदद की है। डीपीएम चंदन कुमार ने बताया कि जीविका से जुड़ी महिलाएं घर में ही बैठकर सत्तू पापड़, बड़ी बनाकर स्वरोजगार कर रही हैं। युवाओं को कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी मिल रहा है। जिले में 23108 स्वयं सहायता समूह गठित हैं जिसके माध्यम से पौने तीन लाख महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं। शाहकुंड प्रखंड के पीओ नीरज कुमार ठाकुर का कहना है कि मनरेगा की योजना से हजारों मजदूरों को काम मिला है। मजदूर तालाब और पोखर के अलावा मत्स्य पालन भी कर रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है।


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