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एक घंटे में निगेटिव से पाजिटिव हो गए मरीज, पूर्णिया के इस मामले ने सभी को चौंकाया

पूर्णिया में पैथोलाजिकल जांच के नाम पर मरीजों के साथ लगातार खिलबाड़ हो रहा है। लैब ने एक दिव्यांग महिला की हेपेटाइटिस जांच रिपोर्ट गलत दे दिया। पूर्णिया में फर्जी जांच का जाल हेपेटाइटिस के मरीज को बताया नेगेटिव।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 04:02 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 04:02 PM (IST)
एक घंटे में निगेटिव से पाजिटिव हो गए मरीज, पूर्णिया के इस मामले ने सभी को चौंकाया
एक ही मीरज के अलग-अलग जांच रिपोर्ट।

दीपक शरण, पूर्णिया। पूर्णिया शहर के लाइन बाजार इलाके में पैथोलाजिकल जांच के नाम पर मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ जारी है। निजी लैब ने एक दिव्यांग महिला की हेपेटाइटिस जांच रिपोर्ट गलत दे दिया। इससे महिला गलत इलाज की चपेट में आने से बाल-बाल बची। फर्जी जांच के इस खेल ने एक बार फिर लोगों को अवाक कर दिया है। साथ ही इससे स्वास्थ्य महकमा भी पूरी तरह कठघरे में है। लाइन बाजार इलाके में लैब का मकडज़ाल है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग उलझता रहा है। ऐसे निजी लैब स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण से बाहर है। एक हेपेटाइटिस मरीज को निजी लैब ने नेगेटिव रिपोर्ट दे दिया। उसी दिन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में भी सैंपल लिया गया। वहां की रिपोर्ट पाजिटव मिला।

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एक ही दिन दो अलग-अलग संस्थान के लैब रिपोर्ट में इतना बड़ा अंतर होने से भ्रम की स्थिति बन गई। उसके बाद रेडक्रास में सैंपल कलेक्शन किया गया। इसकी रिपोर्ट आने के बाद निजी लैब की लापरवाही उजागर हुई। लाइन बाजार स्थित निर्मला पैथोलोजी जिनके पास माइक्रो बायोलोजिस्ट तक नहीं है और एमबीबीएस चिकित्सक के नाम लाइसेंस से संस्थान का संचालन किया जा रहा है। उसी लैब से यह हेपेटाइटिस मरीज की जांच रिपोर्ट नेगेटिव मिली जो लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस लैब में रिपोर्ट भी चिकित्सक के हस्ताक्षर से नहीं जारी किया जाता है। इसको लैब रिपोर्ट देखकर ही समझा जा सकता है। यह कितनी गंभीर लापरवाही है, इसको समझने के लिए यह बताना काफी है कि एचआईवी संक्रमण की तरह इसको भी अति संवेदनशील रोग माना जाता है। यौन संबंध, संक्रमित ब्लड चढ़ाने से यह रोग फैल सकता है। इस मरीज का अस्पताल के ओटी में नेगेटिव रिपोर्ट के आधार पर अगर सर्जन आपरेशन कर दे तो चिकित्सक समेत सभी नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने की संभावना होती है। उसके बाद ओटी को संक्रमण मुक्त नहीं किया जाए तो अन्य मरीज भी शिकार हो सकते हैं। सावधानी और सुरक्षा के साथ मरीज की सर्जरी और उपचार किया जाता है। मरीज अगर स्वयं को नेगेटिव मानते हुए किसी के साथ यौन संबंध बनाता या बनाती तो वह भी संक्रमित हो सकता था। अगर किसी को ब्लड डोनेट कर दें तो जिसको भी ब्लड चढ़ाया जाएगा, वह भी संक्रमित हो जाएगा। निजी लैब संचालक ने बताया कि ब्लड सैंपल दोबारा लेकर जांच किया जाएगा। किसी तरह की परेशानी की बात नहीं है। यहां चिकित्सक हैं, जो जांच करते हैं

निगरानी में होती है लापरवाही

लाइन बाजार में निजी लैब की लापरवाही के किस्सा काफी पुराना है। सिविल सर्जन द्वारा इसकी मानिटर‍िंग नहीं करना और ऐसे कुकुरमुत्ते की तरह लैब का संचालन और लाइसेंस बांटने का परिणाम है। सैंपल को नाला में डाल कर कंप्यूटर पर फर्जी लैब रिपोर्ट तैयार किया जाता है।

सीएस के नाक के नीचे चल रहा है खेल

सिविल सर्जन कार्यालय के नाक के नीचे यह खेल चल रहा है। सभी मौन हैं। जांच टीम वर्षों से लैब जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रही है और ऐसे लैब की मनमानी को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है।

निजी लैब पर निगरानी रखने के लिए टीम गठित है, जो नियमित जांच करती है। निजी लैब जांच रिपोर्ट में किसी तरह की गड़बड़ी हुई है, तो मामले की जांच होगी। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। - डा. एसके वर्मा, सिविल सर्जन।


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