परिवर्तन रैली : बिहार के दिल पर मोदी ने दी दस्तक
पैकेज और घोषणाओं का सफर 18 अगस्त को सहरसा रैली तक मंजिल पा चुका था। मंगलवार को बिहार के दिल पर दस्तक देने की बारी थी, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी संजीदगी के साथ निभाया।
भागलपुर। पैकेज और घोषणाओं का सफर 18 अगस्त को सहरसा रैली तक मंजिल पा चुका था। मंगलवार को बिहार के दिल पर दस्तक देने की बारी थी, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी संजीदगी के साथ निभाया। जब उन्होंने कहा कि देश में बिहार के लोग सर्वाधिक बुद्धिमान हैं, तो मंच के सामने मौजूद लाखों युवाओं का गर्व तालियों की शक्ल में देर तक गूंजता रहा।
दरअसल, 30 अगस्त को पटना में आयोजित स्वाभिमान रैली तथा इससे इतर बयानों में भी महागठबंधन नेता बिहार के स्वाभिमान का सवाल जोर-शोर से उठा रहे थे। स्वाभिमान रैली 'डीएनए' मुद्दे पर ही आयोजित की गई थी। इस रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित ज्यादातर नेताओं के भाषण बिहार के स्वाभिमान पर ही केंद्रित रहे, लेकिन मंगलवार को भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में पीएम मोदी इस अभियान की हवा किसी हद तक निकालने में सफल रहे। इसके लिए पीएम खासा 'होमवर्क' करके आए थे।
मोदी मुजफ्फरपुर, गया और सहरसा की रैलियों में भी खासे आक्रामक रहे थे, लेकिन भागलपुर के मंच पर उन्होंने अपनी शैली में तर्क और आक्रामकता का अनोखा समन्वय पेश किया। जब उन्होंने कोसी त्रासदी तथा गांधी मैदान भगदड़ त्रासदी के वक्त बिहार की सरकार से पहले प्रधानमंत्री के तौर पर खुद बिहार की चिंता करने का जिक्र किया, तो चिलचिलाती धूप में डटे लाखों लोगों का भावुक होना लाजिमी था।
प्रधानमंत्री ने बिहारियों, खासकर युवाओं का मर्म स्पर्श करते हुए राज्य के पिछड़ेपन, चिकित्सा व्यवस्था की अनदेखी, शिक्षा और रोजगार के अभाव तथा उद्योगों के प्रति उदासीनता के मुद्दे पूरी तैयारी के साथ उठाए, जिन पर मैदान से लेकर बांस-बल्लियों तक पर डटे युवाओं का रिस्पॉन्स गौरतलब रहा।
प्रधानमंत्री के इस दावे को भीड़ का जबर्दस्त समर्थन मिला कि उनके 1.25 लाख करोड़ के पैकेज के बाद बिहार सरकार 2.70 लाख करोड़ का पैकेज घोषित करने पर बाध्य हुई, और जातिवादी-साम्प्रदायिक राजनीति करने के आदी महागठबंधन नेता घुटने टेककर विकास की बात करने पर मजबूर हुए।