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'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' : बोलीं महिलाएं-'बच्चों के साथ अभिभावक दोस्ताना संबंध रखें'

19 अप्रैल 2019 को भागलपुर के अलीगंज स्थित एक महोल्‍ले में रहने वाली इंटर की छात्रा पर घर में घुसकर तेजाब फेंक दिया था। छात्रा का इलाज वाराणसी में चल रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:50 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 04:17 PM (IST)
'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' : बोलीं महिलाएं-'बच्चों के साथ अभिभावक दोस्ताना संबंध रखें'
'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' : बोलीं महिलाएं-'बच्चों के साथ अभिभावक दोस्ताना संबंध रखें'

भागलपुर [जेएनएन]। अलीगंज में छात्रा पर तेजाब से हमले की घटना ने लोगों को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन के बाद भी एसिड की खरीद-फरोख्त आम है। कई लोग इस अवैध पेशे में शामिल हैं। कानून का शिकंजा इन तक नहीं पहुंच पा रहा। इसने महिलाओं, लड़कियों और आम नागरिकों में भी असुरक्षा के माहौल को जन्म दिया है। खासकर उन महिलाओं में जिनके बच्चे पढऩे या किसी अन्य काम से घर से निकलते हैं। जब तक वे लौट नहीं आते माता-पिता का मन बेचैन रहता है। कब कहां कौन सी घटना हो जाए...।

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महिलाओं का यह दर्द दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में छलका। 'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' अभियान के तहत हुई परिचर्चा क्या समाज में भय का माहौल है, अगर हां तो इसका निराकरण कैसे संभव है पर केंद्रीत रही। महिलाओं ने कहा कि बच्चों के साथ अभिभावकों को हमेशा दोस्ताना संबंध रहना चाहिए। ताकि बाहर होने वाली बातों को वह खुलकर बता सके। बच्चों की बातों को कभी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए। नजरअंदाज की वजह से ही समाज में इस तरह की घटनाएं घटित होती है। अगर हर घर में बच्चों और अभिभावकों के बीच दोस्ताना संबंध हो जाए तो इस तरह की घटनाएं घटित नहीं होगी। ऐसी घटनाएं नहीं हो इसके लिए शिक्षण संस्थानों, पुलिस प्रशासन और समाज को भी अपनी जिम्मेदारी से हाथ पीछे नहीं खींचना चाहिए। महिलाओं ने कहा कि एसिड हमलेपर सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए जो इस देश के साथ साथ दुनिया के लिए भी अनुकरणीय हो। एसिड हमले की शिकार महिला को सभी तरह की सुरक्षा और सुविधाएं सुनिश्चित हो जाएं। पीडि़ता को मुफ्त इलाज के साथ साथ सरकारी नौकरी और सामजिक सुरक्षा के लिए संस्थाओं का गठन भी होना चाहिए ताकि एसिड हमले की पीडि़त को कहीं से कुछ तो राहत मिल सके।

हमारे देश में पितृ प्रधान समाज इस अपराध की जड़ में है। हम महिलाओं के साथ किस तरह बर्ताव करें, इसमें बहुत सी समस्याएं हैं। तेजाब की बारिश औरत की पूरी जिंदगी तबाह कर देती है। वह महीनों, बरसों घर से बाहर नहीं जा पाती। उसे लगातार महंगे इलाज की जरूरत होती है। बहुत सी ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी आंखें खो दीं, किसी के कान गल गए तो किसी की नाक मिट गई, किसी के चेहरे का ढांचा ही बिगड़ गया। पीडि़त औरतें यह अपना दुखड़ा किस-किस को सुनाएं। ऐसी घटनाओं के लिए हम परिवार वाले ही दोषी हैं। विषय प्रवेश समाचार संपादक संयम कुमार ने किया। परिचर्चा में शहर की महिलाओं ने हिस्सा लिया।

पूर्व उपमहापौर डॉ प्रीति शेखर ने कहा कि एसिड हमला कुत्सित मानसिकता की पराकाष्ठा है। ऐसी घटना को अंजाम देने वाले घर और समाज से ही पैदा होते हैं। बच्चों पर नजर रखने की आवश्यकता है। नीली वर्मा ने कहा कि किसी के चेहरे पर तेजाब फेंक कर उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बर्बाद करने वाले, उसे असहाय बनाने वाले का सामाजिक बहिष्कार करने की जरूरत है।

जिया गोस्वामी ने कहा कि बेटा-बेटी जब तक घर सुरक्षित नहीं पहुंच जाती हैं, तब तक डर बना रहता है। पुलिस प्रशासन लोगों की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव लाए और मन से डर हटाए। प्रो. किरण सिंह ने कहा कि एसिड हमलाकरने वाले जमानत पर रिहा होकर अपनी जिंदगी जी रहे होते हैं, लेकिन जिन लड़कियों के साथ घटना घटती है, उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है।

श्‍वेता सुमन ने कहा कि मां-बाप के सामने छेड़खानी की घटना हो जाती है, फिर भी वे आवाज उठाने से डरते हैं। लोगों की सुरक्षा की गारंटी को सुनिश्चित करना होगा। अनिता अनवर ने कहा कि तेजाब फेंकने वालों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। ताकि ऐसा करने वाले लोगों को यह संदेश जाए कि वे बख्शे नहीं जाएंगे। इससे ऐसी घटना पर अंकुश लगेगा।

उषा सिन्हा ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों के साथ समय-समय पर काउंसिलिंग करनी चाहिए। दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए। इससे बच्चे गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। सुनिधि मिश्रा ने कहा कि बिना नियम कानून के एसिड बिक रहा है और हमले भी हो रहे हैं। इससे साफ है कि नियमों को लागू कराने का तंत्र हमारे देश में कितना सक्षम है।

श्‍वेता सिंह ने कहा कि हमारे देश में पितृप्रधान समाज इस अपराध की जड़ में है। हम महिलाओं को इसमें बदलाव लाने की आवश्यकता है। बच्चों की बातों ध्यान देना आवश्यक है। पिंकी ने कहा कि अपराध और इससे होने वाली तकलीफ को लेकर समाज उदासीन हैं। संवेदनाएं जग नहीं रही हैं। इसे रोकने के लिए समाज को जगना होगा। राधा शैलेन्‍द्र ने कहा कि हमें अपने बच्चों के चेहरे को देखकर भांप लेना चाहिए कि उसके मन में क्या है। बच्चों के साथ खुलकर बात करनी होगी। तभी ऐसी घटनाओं से बच सकते हैं।

एसिड हमला रोकने के लिए सख्त है कानून

एसिड हमले को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया गया है। अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय के मुताबिक एसिड हमले के मामले में पहले आइपीसी में अलग से कोई प्रावधान नहीं था और आइपीसी की धारा-326 (गंभीर रूप से जख्मी करना) के तहत ही केस दर्ज किया जाता था। दोषी पाए जाने पर 10 साल तक कैद या फिर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था। जस्टिस जेएस वर्मा कमिशन की सिफारिशों के मद्देनजर सरकार ने आइपीसी में नए कानूनी प्रावधान किए और इसी के तहत आइपीसी की धारा-326 ए और 326 बी अस्तित्व में आया। आइपीसी की धारा-326 ए के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स किसी दूसरे पर एसिड से हमला करता है और इस वजह से उस शख्स के शरीर का अंग खराब होता है या शरीर पर जख्म होता है या जलता है या झुलसता है, तो ऐसे शख्स को दोष साबित होने पर कम-से-कम 10 साल कैद और ज्यादा-से-ज्यादा उम्रकैद की सजा दी जा सकती है। एसिड हमले की कोशिश में भी कम-से-कम पांच साल कैद होगी। अगर कोई शख्स किसी और पर अंग खराब करने या उसे नुकसान पहुंचाने की नीयत से एसिड फेंकने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आइपीसी की धारा-326 बी के तहत केस दर्ज किया जाएगा। इस मामले में दोषी पाए जाने पर कम-से-कम 5 साल और ज्यादा-से-ज्यादा सात साल कैद की सजा हो सकती है।

समाज में नारियों को मिले बराबरी का दर्जा

डॉ. योगेंद्र (निदेशक छात्र कल्याण, टीएमबीयू, भागलपुर) ने कहा कि क्या हम सब बर्बर युग में रह रहे हैं? एक सरल ,सहज और जीवन के प्रति उत्साही लडकी पर एसिड फेंक कर हम क्या परिचय दे रहे हैं? एक तरफ उन्नति के शिखर पर खड़ी दुनिया है, जिस पर गर्व करने से चूकते नहीं और दूसरी तरफ ऐसी विभत्सता। भागलपुर की दुर्घटना को लेकर हम सब अवाक थे। ऐसी दुर्घटनाएं सिर्फ लॉ एंड आर्डर की घटनाएं नहीं है। समाज में जो उथल-पुथल है, जो शिक्षण है, औद्योगिक सभ्यता के कारण जो अपसंस्कृति फैली है, भारतीय समाज की जो कमजोरियां हैं, वे सब दोषी हैं। भारतीय समाज जिस दौर से गुजर रहा है और जो मानस बन रहा है, वह हमें सामान्य रूप से भी परेशान करता है। नारियों को अब भी बराबरी का दर्जा प्राप्त नहीं है। उन्हें हर मामले में कमतर समझा जाता है। नारी जन्म देती है। पुरुष को उसके प्रति सहृदय होना चाहिए, लेकिन सदियों से गैरबराबरी का दुख भोग रही है। वर्तमान परिवेश में नारियों को अवसर मिला है, लेकिन दूसरी तरफ उपभोक्ता लुभावना बाजार भी पैदा हुआ है। नारियां पहले की तुलना में ज्यादा सजग हुई हैं। यह सजगता भी बहुत से पुरुषों को परेशान करती है। आज की ही खबर है कि एक पत्नी पढऩा चाहती थी तो पुरुष ने उसकी उंगुलियां काट दी। लोकतंत्र में लोक महत्वपूर्ण होता है। लेकिन सच यही है कि तंत्र के मध्य में लोक नहीं है। नतीजा है कि हर स्तर पर अविश्वास है। संघर्ष है। जो कमजोर है, उसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है। भागलपुर में जो दुर्घटना घटी, उसे दो स्तरों पर सुलझाना चाहिए । एक, कानूनी स्तर पर और दूसरा, जागरण के स्तर पर। यह बात बहुत खलती है कि सरेशाम कोई घर में घुसकर लडकी पर ऐसिड फेंक दे। इससे यह साबित होता है कि कानून से ऐसे लोग डर नहीं रहे। पुलिस ठीक से काम नहीं कर रही। सरकार पहले कानून का राज स्थापित करे। अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाए। दूसरी ओर नारी के प्रति सदियों से जो घटिया सोच है, उसके लिए सचेत लोग जनजागरण का काम करे। नारी के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। नारियों को बराबरी का सम्मान प्राप्त हो। इसके लिए लगातार काम करने की जरूरत है।

एसिड से हमले की घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह मंत्री कुश पांडेय ने कहा कि अलीगंज में छात्रा पर एसिड से हमले की घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। इस घटना की जितनी ही निंदा की जाए कम है। इसे अंजाम देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने की जरूरत है। जिले या देश में एसिड हमले की घटना रोकने के लिए तेजाब की खुलेआम बिक्री को नियंत्रित करना जरूरी है। यह इसलिए कि दुकानों में दस-बीस रुपये में मिलने वाला तेजाब हथियार से भी अधिक घातक है। इसके शिकार लोग बदतर हालात में जीवनयापन करने को विवश हैं। कई लड़कियों की जानें जा चुकी हैं। कई की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। सरकार को इस पर अब सख्त कानून बनाना चाहिए। दैनिक जागरण का अभियान 'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' सरहानीय है। यह समाज को सार्थक दिशा देने का प्रयास है।

बेटियों की जिंदगी न हो बर्बाद, सरकार कर दो कोई उपाय

दैनिक जागरण के 'ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब' अभियान के तहत वार्ड एक के बंगाली टोली ठाकुरबाड़ी में नगर संसद आयोजित की गई। इसमें मुहल्ले के प्रबुद्धजनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का शत प्रतिशत अनुपालन कर खुलेआम तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की।

भवेश यादव ने कहा, नौजवान तेजाब का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। जनजागरण अभियान चलाकर युवाओं की मानसिकता को बदलना होगा। इसकी अवैध तरीके से बिक्री पर प्रशासन सख्त कदम उठाए। पूर्व पार्षद देवाशीष बनर्जी ने कहा, तेजाब हमले जैसी जघन्य अपराध की समाज इजाजत नहीं देता है। अलीगंज की पीडि़त छात्रा जुनून और तरक्की का सपना देख रही थी। क्या उसकी सजा दी गई। किस तरह की संस्कृति में हम आ गए है। पूरे समाज को जागरूक होना पड़ेगा, ताकि किसी बेटी के साथ इस तरह की घटना दोबारा नहीं हो। इसे रोकने के लिए मुहल्लों में कमेटी बनाई जाएगी। नेजाहत अंसारी ने कहा यह घटना हमारी आपकी कमजोरी के कारण हो रहा है। एक-दूसरे के सुख को देखकर लोग जलते हैं। समाज में बिखराव होता जा रहा है। इसकी कमजोरी का फायदा शरारती तत्व उठाते हैं। उनकी मानसिकता को बदलना होगा। समाज में एकता दिखा गलत सोच वाले लोगों में भय पैदा करना होगा। किसी की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। जितेंद्र कुमार सरखेल ने कहा कि जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, आपराधिक घटनाओं पर रोक नहीं लेगेगी। नलिनी रंजन दास ने कहा घर-घर तेजाब का उपयोग होता है। बुनकर भी कपड़ा तैयार करने में तेजाब का उपयोग करते हैं। यह समाज की जरुरत बन गई है। इस पर पाबंदी लगाना संभव नहीं है लेकिन इसके बिक्री को लेकर नियम का पालन होना चाहिए।

सुनील कुमार ने कहा कि हम सभी सोच बदलेंगे तो समाधान होगा। यह इतना आसान भी नहीं है। सामाजिक पहल से बदलाव लाया जा सकता है। तेजाब की बिक्री के लिए कानून में सख्ती की जरूरत है। रीता झा ने कहा कि तेजाब की बिक्री के लिए लाइसेंस अनिवार्य हो। इसे खरीदने वालों का मोबाइल नंबर और पता रजिस्टर में विक्रेता दर्ज करे। काजल कुमार सरखेल ने कहा, बेटी को घर से बाहर निकलने से पहले पूछते हैं कि कहा गई थी। बेटे से नहंी पूछा जाता है। तेजाब बिक्री का लाइसेंस सीमित होना चाहिए।

दैनिक जागरण का अभियान सराहनीय कदम है। पूर्व पार्षद काकुली बनर्जी ने कहा, लोगों में इंसानियत धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। समाज को एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी। सभी को मिलकर लडऩा होगा। जहां तेजाब बिके वहां सीसीटीवी कैमरा लगे और बिना पहचान के यह लोगों को नहीं मिले। सोनू ने कहा, बच्चों को परिजन समझाएं कि तेजाब का उपयोग घातक हैं। इसके इस्तेमाल से होने वाले दुष्परिणाम की जानकारी दें। बेबी तुलिका ने कहा कि छात्रा और महिलाएं कितना सुरक्षित है इस पर सरकार को गहन मंथन करना होगा। बगैर सुरक्षा बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ योजना का कोई लाभ नहीं है। प्रशासन को तेजाब की बिक्री के प्रति रोकना होगा।

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