Epidemic threat : सूअरों की मौत से मायागंज और बरारी में दहशत, एक सप्ताह में 272 मौतें Bhagalpur News
बिहार के भागलपुर के एक मोहल्ले में सुअरों की बड़ पैमाने पर मौत हो रही है। यह सिलसिला थम नहीं रहा है। इससे स्थानीय लोगों में महामारी की आशंका फैल गई है।
भागलपुर, जेएनएन। सूअरों की लगातार मौत से मायागंज व बरारी के लोग दहशत में आ गए हैं। संक्रमण को रोकने के कोई ठोस उपाय अभी तक नहीं किए गए हैं। सोमवार को भी मायागंज में क्लासिक स्वाइन फीवर से 22 सूअरों की मौत हो गई।
एक ओर कोरोना से बचाव के लिए उपाय पर उपाय किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर में लगातार सूअरों की मौत से होने वाले संक्रमण को लेकर नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग तक उदासीन है। इसने बरारी इलाके को भी चपेट में ले लिया है। यहां भी 25 सूअरों के मरने की सूचना है। एक सप्ताह के अंदर मायागंज में 112 और बरारी में 160 सूअरों की मौत हो चुकी है। यानी अब तक 272 सूअर मर चुके हैं।
सूअरों के मरने से आसपास के लोग खासे परेशान हैं, क्योंकि मृत सूअरों को जहां-तहां फेंक दिया जा रहा है। इससे महामारी फैलने की भी आशंका है। सोमवार को बरारी के हाउसिंग बोर्ड के समीप स्थित नाले, विक्रमशिला सेतु के नीचे एवं श्मशान घाट की झाडिय़ों में 160 से अधिक मृत सूअर मिले।
हालांकि, नगर निगम के स्वास्थ्य शाखा प्रभारी मु. रेहान व राकेश भारती ने दावा किया कि मृत सूअरों को दफनाया जा रहा है। जहां-जहां से सूचना मिल रही है, वहां-वहां टीम जा रही है। बरारी क्षेत्र में मिले मृत सूअरों के बारे में इनका कहना है कि किसी ने सूचित ही नहीं किया। हकीकत यह है कि नगर निगम प्रशासन अभी इस समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। निगम के पास चूना और ब्लीचिंग पाउडर तक का टोटा है। मोहल्लों में गंदगी पसरी हुई है।
निगम ने नहीं लिया गंभीरता से
नगर निगम सचेत रहता तो सूअरों के मरने का सिलसिला नहीं शुरू होता। एक सप्ताह पहले दो सूअर मरे थे। उस वक्त निगम प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इससे यह भी जाहिर होता है कि नगर निगम आमलोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना संजीदा है।
आबादी के बीच दफनाए जा रहे मृत सूअर
निगम की लापरवाही इस कदर है कि सूअरों को चार-पांच फीट गड्ढे में ही दफनाया जा रहा, वह भी आवासीय परिसर के समीप। इसकी गहराई कम-से-कम दस फीट तक होनी चाहिए। इससे स्थानीय लोगों में संक्रमण का भय व्याप्त है।
पशुपालन विभाग उदासीन
पशुपालन विभाग की टीम ने जांच कर अपना पल्ला झाड़ लिया। अब तक संक्रमण की रोकथाम का प्रयास नहीं किया गया। मवेशियों को बचाने के लिए विभाग ने दवा भी उपलब्ध नहीं कराई, जबकि विभाग की राजकीय जांच टीम ने क्लासिक स्वाइन फीवर के संक्रमण की आशंका जताई है।
दवा भी हो रही बेअसर
बरारी में जहां-तहां मृत सूअर पड़े हैं। इसकी वजह से लोगों को बदबू का सामना करना पड़ रहा है। सूअर पालक कारू ने बताया कि संक्रमित सूअर पहले भोजन करना बंद करता है, उसके दो दिन बाद मर जाता है। दवा का भी असर नहीं हो रहा।
स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर हो रहा सूअर पालन
स्थानीय निवासी संजय तांती ने बताया कि मायागंज में स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर 200 से अधिक सूअर पाले जा रहे हैं। इसको लेकर अस्पताल अधीक्षक की ओर से कार्रवाई नहीं की गई। इससे लोगों में आक्रोश है।
चूना व ब्लीचिंग की जहां आवश्यकता होगी वहां छिड़काव होगा। जहां-तहां सूअर के शव को नहीं फेंके बल्कि निगम प्रशासन को सूचना दें। जोनल प्रभारी को स्थिति पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। चिकित्सक के सुझाव पर भी कार्य होगा। - सत्येंद्र वर्मा, प्रभारी नगर आयुक्त
आज कर दी जाएगी ब्लीचिंग की आपूर्ति
नगर निगम कार्यालय में सोमवार को मेयर सीमा साहा की अध्यक्षता में सफाई कार्यो की समीक्षा की गई और योजना बनाई गई। इस दौरान शहर में सूअरों के मौत की घटना को गंभीरता से लिया गया। कहा गया कि वार्डो में चूना व ब्लीचिंग की आपूर्ति मंगलवार तक कर दी जाएगी। बैठक के दौरान स्वास्थ्य शाखा प्रभारी व जोनल प्रभारियों को घटना पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है।कोरोना वायरस से बचाव को लेकर एलसीडी स्क्रीन से प्रचार-प्रसार किया जाएगा। शहर के चार जोन में प्रचार वाहन से लोगों को जागरूक किया जाएगा। मेयर व डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने निगम कर्मियों को कहा, सफाई व कूड़ा उठाव के प्रति कर्मियों को जवाबदेह होना होगा।
आउटसोर्सिग में मजदूरों की बढ़ेगी संख्या
मेयर ने कहा कि शहर के 51 वार्डो में 1070 सफाई मजदूर कार्य कर रहे हैं। सरकार के निर्देश पर शहर में अप्रैल से आउट सोर्सिग से सफाई कराई जाएगी। इसके लिए निविदा जारी कर दी गई है। मार्च के अंतिम सप्ताह में प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बाद सफाई व्यवस्था में बदलाव होगा। तीन जोन मे अलग-अलग आउटसोर्सिग कंपनी कार्य करेगी। इसके अंतर्गत 2575 सफाई मजदूर कार्य करेंगे। इससे कूड़ा उठाव की समस्या का निदान हो जाएगा।
मृत सूअरों को दस फीट नीचे दफनाना जरूरी
बीमारी से मरे सूअरों के कारण महामारी फैल सकती है। उसे जमीन में 10 से 15 फीट नीचे दफनाना आवश्यक है। बीमारी से मरे सूअर को खाने से दिमाग और अन्य अंग प्रभावित हो सकते हैं। वरीय फिजीशियन डॉ. एके सिन्हा ने कहा कि एक तरफ कोरोना वायरस के कारण दहशत है तो दूसरी ओर सूअरों की मौत ने भी चिंता बढ़ा दी है। मृत सूअर को 10 फीट से कम गहराई में दफनाने से कोई लाभ नहीं होगा। न ही खुले में शव पर ब्लीचिंग पाउडर छिड़कने से ही फायदा है। खुले में छोड़ देने से संक्रमण तेजी से फैलेगा। शव को जितना जल्द हो दफना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूअरों की मौत स्वाइन फीवर या फ्लू से हो रही है। बीमारी से मरे सूअर को खाने से कीनिया नामक बीमारी होती है, जो दिमाग और मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इसमें सिर से लेकर पूरे शरीर में दर्द होने के साथ ही संक्रमित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। बता दें कि दो दिन पहले बीमारी से मरे एक सूअर को कुछ लोग ले जाना चाह रहे थे, पर कर्मियों ने नहीं ले जाने दिया।
सफाई कर्मियों को मास्क और ग्लब्स उपलब्ध कराने की मांग
लगातार हो रहे सूअरों की मौत को लेकर सोमवार को पार्षद प्रीति शेखर ने अन्य पार्षदों के साथ प्रभारी नगर आयुक्त सत्येंद्र वर्मा को ज्ञापन सौंपा। प्रीति शेखर ने सफाई कर्मियों को मास्क और ग्लब्स उपलब्ध कराने की मांग की। इसके अलावा नालियों और गंदगी वाले स्थानों पर चूना व ब्लीचिंग का छिड़काव करने की मांग की। सत्येंद्र वर्मा ने कहा कि वार्डों में चूना और ब्लीचिंग का छिड़काव किया जाएगा। मास्क के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा गया है।
वार्ड 26 के स्लम बस्ती में अज्ञात बीमारी से सूअरों की मौत रही है। इससे महामारी फैलने की आशंका है, लेकिन निगम प्रशासन व पशुपालन विभाग किसी प्रकार की कोई कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है। -बिरेंद्र प्रसाद साह, छोटी खंजरपुर
चूना व ब्लीचिंग आदि का छिड़काव भी नहीं करवाया जा रहा है। मोहल्ले में भी सूअर मरने की जानकारी मिल रही है। इस विषय की जांच होनी चाहिए। -डॉक्टर संतोष कुमार भौमिक
वार्ड 26 व आसपास केइलाकों में एक सौ से अधिक सूअरों की मौत काफी चिंताजनक है। मायागंज अस्पताल के आसपास काफी दुर्गंध फैल गई है। निगम बोर्ड में आवारा पशुओं के लिए अर्गला का प्रस्ताव दिया पर अनुपालन नहीं हुआ। - गोविंद बनर्जी, पार्षद, वार्ड संख्या 25
कई मृत सूअर को अब तक नहीं दफनाया गया है। यह काफी निंदनीय है। स्थानीय प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। निगम प्रशासन इस कार्य में कोताही बरत रहा है। जनहित में प्रयास करना होगा। -राजेश कुमार मंडल
अज्ञात बीमारी से सूअरों के मरने की जानकारी काफी डरावनी है प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। निगम प्रशासन द्वारा ऐसे कार्यों में खानापूर्ति की जा रही है। सूअरों की मौत किस बीमारी से हो रही है। इसकी पड़ताल कर रोकथाम का प्रयास हो। - संजय कुमार तांती
मोहल्ले में सूअर कूड़े को सड़क पर बिखेर देते हैं। इसकी सफाई सही तरीके से नहीं हो पाती है। इस विषय पर निगम प्रशासन को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। -पंकज शर्मा