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श्‍मशान घाट पर कोरोना का खौफ ...जब मोबाइल पर मंत्रोच्चार के बीच हुआ अंतिम संस्कार

कोरोना काल में सब कुछ ऑनलाइन हो गया। पढ़ाई व्यवसाय और वर्क फ्राम होम के बाद अंतिम संस्कार के समय मंत्रोच्चार भी मोबाइल से किया जाने लगा है। भागलपुर में एक व्यक्ति की मौत हो गई। अंतिम संस्कार के समय मंत्रोच्चार के लिए पंडित जी आने को तैयार नहीं हुए।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 09:13 AM (IST)
श्‍मशान घाट पर कोरोना का खौफ ...जब मोबाइल पर मंत्रोच्चार के बीच हुआ अंतिम संस्कार
मुखाग्नि देने वाले के कान पर मोबाइल से मंत्रोच्चार सुनाकर अंतिम संस्कार की क्रिया को संपन्न कराते लोग।

भागलपुर [दिनकर]। सोमवार, दिन के दो बजे थे। भागलपुर में बरारी स्थित श्मशान घाट पर मोबाइल पर मंत्रोच्चार के बीच एक बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार कर रहा था। वहां मौजूद हर कोई इस दृश्य को कौतुहल से देख रहा था। कोई इसे कोरोना काल की मजबूरी बता रहा था तो कोई डिजिटलाइजेशन के प्रति लोगों का बढ़ता समर्पण। ...चाहे जो भी हो यहां आस्था सभी पर भारी दिख रही थी।

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मानस संतसंग समिति से जुड़े शिवपुरी निवासी विजय कुमार सिंह का स्वर्गवास रविवार की शाम को हो गया था। वे कीर्तन-भजन में रमे हुए थे। सो उनका समाजिक सरोकार भी काफी था। आज उनका अंतिम संस्कार बरारी घाट पर हो रहा था। काफी संख्या में नाते-रिश्तेदार और शुभचिंतक वहां जुटे थे। सभी चाहते थे कि उनका संस्कार वैदिक तरीके से हो। लेकिन पंडित जी का कहीं पता नहीं था। फोन लगाया गया तो उन्होंने कुछ देर में पहुंचने की बात कही। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, लोगों की बैचेनी बढ़ती गई। अंत में दूसरे पंडित जी से फोन पर संपर्क किया गया। उन्होंने कोरोना काल में घाट पर आने में लाचारी जताई। अंत में दान-दक्षिणा तय होने के बाद मोबाइल से अंतिम संस्कार कराने की बात तय हुई। पुत्र विकास सिंह मोबाइल पर पंडित जी के मंत्रोच्चार और दिशा-निर्देश के अनुरूप कर्मकांड को पूरा करने में जुट गए।

बरारी श्मशान घाट पर विवेक पांडेय बताते हैं कि आज कार्तिक पूर्णिमा है। इस काल में जो भी स्वर्गवासी हुए, सभी पुण्यात्मा हैं। ...खैर घाट पर एक के बाद एक 'पुण्यात्माओं' का आना जारी था। दिनेश सिंह बताते हैं यहां विद्युत शवदाह गृह भी है लेकिन वहां आजकल 'कोरोना वाले' ज्यादा जलते हैं। आम लोग लकड़ी पर अपने स्वजनों को जलाना चाहते हैं ताकि वे सीधे बैकुंठधाम पहुंच जाएं। इतने में डोमराजा झगडऩे वाले अंदाज में लोगों से कह रहे हैं- आग तो मुझसे ही लेनी होगी। अन्यथा उनको बैकुंठ में स्थान नहीं मिलेगा। ...अब आग के लिए पैसे का मोलजोल जारी है। आखिरकार 4401 रुपये में सौदा तय हो जाता है। मुखाग्नि हो गई है। धीरे-धीरे चिता की अग्नि प्रज्जवलित हो गई है। घाट पर निर्गुण की धुन तेज हो गई है। ...चिता की आग ढंडी पड़ गई है। पंचकाठ के बाद अब लोग स्नान के लिए सीढ़ीघाट की ओर बढ़ चुके हैं।


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