बोले पद्मश्री केके मुहम्मद, अयोध्या में नहीं मिले हैं मस्जिद के कोई अंश Bhagalpur News
पद्मश्री केके मुहम्मद ने विरासतों के संरक्षण के लिए युवाओं से आगे आने का आह्वान किया है। विक्रमशिला सहित सभी प्राचीन विवि को समृद्ध बनाने में केंद्र को पहल करनी चाहिए।
भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक सह पद्मश्री केके मुहम्मद ने कहा है कि अयोध्या में हुई खोदाई में जो भी सबूत मिले हैं वे मंदिर से जुड़े हैं। इसलिए अयोध्या में मुसलमानों को दावा छोड़ देना चाहिए। अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट का जो फैसला होगा, वह सभी पक्षों को मान्य होना चाहिए।
केके मुहम्मद विरासत की चुनौतियों पर शहर के एक निजी स्कूल में व्याख्यान देने आए थे। व्याख्यान के समापन पर मुहम्मद ने 'दैनिक जागरण' से बात की। उन्होंने बताया कि जब वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली में सेवारत थे, उस समय अयोध्या की खोदाई हुई थी। अयोध्या की खोदाई में मस्जिद के कोई अंश या सबूत नहीं मिले हैं। सभी साक्ष्य मंदिर से संबंधित देखे गए हैं। इसलिए मुस्लिम नेताओं को यहां दावा नहीं करना चाहिए। उनका मानना है कि मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना जिस तरह महत्वपूर्ण हैं उसी तरह ङ्क्षहदुओं की आस्था भी अयोध्या से जुड़ी हुई है। ङ्क्षहदू के लिए यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। लखनऊ, हैदराबाद सहित देश के कई ïस्थानों पर मुस्लिम समुदाय के कई चर्चित स्थल हैं। कहा कि अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। बहुत जल्द निर्णय आने वाला है। उन्होंने कहा कि मुसलमान को जहां समुचित साक्ष्य और प्रमाण मिले उन स्थानों पर अवश्य अपना दावा करना चाहिए।
विरासत के संरक्षण में आगे आएं युवा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक तथा पद्मश्री केके मुहम्मद ने विरासतों के संरक्षण के लिए युवाओं से आगे आने का आह्वान किया है। मुहम्मद ने कहा है कि केंद्र सरकार को विक्रमशिला विवि को हेरीटेज के रुप में विकसित करना चाहिए। विक्रमशिला सहित सभी प्राचीन विवि को समृद्ध बनाने में केंद्र को पहल करनी चाहिए।
मुहम्मद संत जोसफ स्कूल एवं खानकाह-ए-पीर दमडिय़ा के संयुक्त तत्वावधान में स्कूल परिसर में आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय 21 वीं शताब्दी में बदलते परिवेश में विरासत की चुनौतियां थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीव कांत मिश्र ने किया। इस दौरान दो पुस्तकों का अनावरण किया गया और सेमिनार छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
भारत और यूरोप का तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए
इसके पूर्व इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि पूर्व मध्यकाल के भारत और यूरोप की परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए विश्व विरासत की परिकल्पना पर प्रकाश डाला।
छात्रों को इतिहास की मूल प्रवृति की दी जानकारी
दिल्ली विवि के शोधार्थी रिपुंजय ठाकुर ने नई पीढ़ी के छात्रों को इतिहास की मूल प्रवृति और इसके निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी दी। व्याख्यानमाला में जर्मनी से आईं क्रिस्टेल पी. ने विचार रखे। उन्होंने बिहार के इस पूर्वी क्षेत्र में अपने आगमन के अनुभव की जानकारी दी। बंगलुरु से आईं गीता ने विरासत की मूल्य पर प्रकाश डाला।
ये लोग थे उपस्थित
सेमिनार का आयोजन पीर दमडिय़ा के गद्दीनशीं शाह हसन मानी के सौजन्य से किया गया था। मौके पर स्ना.प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. बिहारी लाल चौधरी, ओपी पांडेय, फादर वर्गीज, फादर अमल राज सहित स्कूल और कॉलेजों के शिक्षक उपस्थित थे। डॉ. चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य स्कूली छात्र-छात्राओं सहित आम लोगों को धरोहर और विरासत के प्रति जागरूक करना था।