कुलपति के आने के बाद ओएसडी हो जाएंगे वापस
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय सहित सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों में ओएसडी पद होगा समाप्त।
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय सहित सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) का पद समाप्त हो जाएगा। राजभवन ने विश्वविद्यालयों को इस संबंध दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा के शिमला से वापस आने के बाद विवि में कार्यरत ओएसडी वापस मूल स्थान पर चले जाएंगे। हालांकि कुलपति का कहना है कि उन्हें अभी इसकी जानकारी नहीं है। अभी वे शिमला में हैं। इधर, विवि में चर्चा जोरों पर है कि राजभवन ने ओएसडी को हटाने के लिए विवि को पत्र भेज दिया है। विकास पदाधिकारी और बजट ऑफिसर का भी पद समाप्त हो जाएगा।
विवि एक्ट में ओएसडी का कोई पद नहीं है। यह मामला पिछले दिनो राजभवन में आयोजित प्रतिकुलपतियों की बैठक में उठा था। एक्ट में ओएसडी का पद नहीं रहने के बावजूद विवि में वर्षो से इस पद पर नियुक्ति की जा रही है। ओएसडी के रूप में परीक्षा विभाग सहित कई विभागों में नियुक्ति होती रही है। बैठक में विभिन्न विवि के प्रतिकुलपति ने विवि एक्ट का हवाला देकर ओएसडी का पद समाप्त करने का आग्रह किया था। यह भी कहा गया था कि इन पदों पर ज्यादातर शिक्षक ही नियुक्त होते हैं। ऐसे में जिन कॉलेजों या पीजी विभाग से इन्हें लाया जाता है, वहा शिक्षक की कमी हो जाती है। इसके राजभवन ने विवि को पत्र भेजकर ओएसडी का पद समाप्त करने का आदेश दिया है। कहा जा रहा है कि कुलपति के वापस आने के बाद इस आशय की अधिसूचना जारी हो जाएगी।
विवि में कुछ साल पहले तक ओएसडी का पद चलन में नहीं था। जैसे लीगल एडवाइजर कोर्ट केस से जुड़े मामले और सलाह दिया करते थे। परीक्षा विभाग में परीक्षा नियंत्रक के बाद सामान्यत: एसओ और कर्मचारी ही रहते थे। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में सबसे पहले परीक्षा विभाग में ओएसडी की नियुक्ति हुई थी। यह व्यवस्था पेंडिंग रिजल्ट के दबाव से निपटने के लिए बनाई गई थी। डॉ. पवन कुमार सिन्हा, डॉ. निरंजन यादव, डॉ. आनंद कुमार झा बारी-बारी से इस पद पर काम करते रहे हैं। लीगल ओएसडी के पद पर भी इस तरह की बहाली होने लगी। कुछ दिनों पहले तक यहा रिसर्च ओएसडी भी हुआ करते थे। डॉ. रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा और भी शिक्षकों को ओएसडी के पद पर नियुक्ति की गई है।