एसपी व डीएसपी को न्यायालय में सदेह उपस्थित होने का आदेश
सहरसा। किशोर न्याय परिषद ने सहरसा के पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक सह विशेष किशोर
By Edited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 02:55 AM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 11:31 AM (IST)
सहरसा। किशोर न्याय परिषद ने सहरसा के पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक सह विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल को न्यायालय में 16 फरवरी को सदेह उपस्थित होकर पक्ष रखने का आदेश दिया है। परिषद ने यह आदेश गोलीबारी एवं हत्या के प्रयास के आरोपित एक विधि विवादित किशोर द्वारा न्यायालय में आत्मसमर्पण पश्चात उसे पर्यवेक्षण गृह अररिया भेजने के लिए सुरक्षाबल एवं वाहन मुहैया नही कराने के कारण दिया है। इसके पहले परिषद द्वारा एसपी एवं डीएसपी को 19 जनवरी 2018 को इस मामले में कारण पृच्छा जारी किया गया था। दोनों पुलिस अधिकारियों के जबाव नही देने को गंभीरता से लेते हुए परिषद ने सदेह उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया है। परिषद के पत्र में कहा गया है कि निर्धारित तिथि को न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष नही रखने पर दोनो अधिकारियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय एवं बिहार सरकार के गृह विभाग को अनुशंसा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि सदर थाना में दर्ज एक मामले के आरोपी विधि विवादित किशोर ने 17 जनवरी 2018 को अपने शैक्षणिक प्रमाण के साथ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में आत्मसमर्पण कर अपने मामले को किशोर न्याय परिषद में भेजने का प्रार्थना किया। सीजेएम के आदेश पर आवेदक किशोर का मामला परिषद को स्थानांतरित कर दिया गया। अगले दिन 18 जनवरी को विधि विवादित इस किशोर ने परिषद के समक्ष आत्मसमर्पण किया। परिषद के प्रधान सदस्य मनीष कुमार एवं सदस्य युसुफ हसन चिस्ती एवं बिजली प्रकाश ने संयुक्त रूप से किशोर के विरुद्ध लगाए गए आरोप एवं उनके पूर्व आपराधिक इतिहास के आधार पर जमानत नही दी और पर्यवेक्षण गृह अररिया भेजने का आदेश दिया। किशोर को पर्यवेक्षण गृह भेजने के लिए वाहन व सुरक्षा बल उपलब्ध कराने के आदेश का पुलिस पदाधिकारियों ने अनुपालन नही किया। फलस्वरूप परिषद ने किशोर के पिता के जिम्मे उसे सौंपते हुए उसे पर्यवेक्षण गृह पहुंचाकर न्यायालय को सूचित करने का आदेश दिया। साथ ही यह उल्लेखित किया कि यात्रा के दौरान विधि विवादित किशोर के सुरक्षा पर खतरा होने की जिम्मेवारी एसपी की होगी। आदेश का अनुपालन नही होने के कारण कारणपृच्छा किया गया था, जिसका जबाव नही मिलने पर परिषद ने यह आदेश जारी किया है।
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