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ये कैसी व्‍यवस्‍था? भागलपुर के पशु अस्‍पतालों में 41 में से महज पांच दवा उपलब्‍ध, कैसे होगा इलाज

भागलपुर के पशु अस्‍पतालों में व्‍यवस्‍था ठीक नहीं है। यहां पर दवा व अन्‍य जरूरी संसाधनों की भारी किल्‍लत है। पशु अस्‍पताल के आउटडोर में 41 तरह की दवा उपलब्‍ध रहनी चाहिए लेकिन इसमें से महज पांच उपलब्‍ध है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:56 AM (IST)
ये कैसी व्‍यवस्‍था? भागलपुर के पशु अस्‍पतालों में 41 में से महज पांच दवा उपलब्‍ध, कैसे होगा इलाज
भागलपुर के पशु अस्‍पतालों में व्‍यवस्‍था ठीक नहीं है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। श्वेत क्रांति के सपनों को साकार करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। किसानों की तर्ज पर अब पशुपालकों को भी बिना किसी गारंटी के 1.5 लाख रुपये तक केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) योजना का लाभ दिया जा रहा है। गव्य विकास विभाग की ओर से दुधारू गाय की खरीद पर अनुदान दिए जा रहे हैं। यह तस्वीर का एक पहलू है।

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तस्वीर का दूसरा पहलू काफी स्याह है। जिला में पशुपालन को बढ़ावा देने की पूरी व्यवस्था ठप हो गई है। पशु अस्पतालों में दवा तक उपलब्ध नहीं है। दवाओं की आपूर्ति में सिस्टम लाचार है। पशुपालकों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। पशु अस्पताल के आउटडोर में 41 प्रकार की दवाओं का प्राविधान है। अभी जिला पशु अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी है। जब पशु अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है, तो फिर श्वेत क्रांति (दूध उत्पादन को बढ़ावा देने) का सपना कैसे साकार होगा, यह बड़ा सवाल है।

जिला पशु अस्पताल की व्यवस्था कह देती है कहानी

तिलकामांझी में पशुपालन विभाग का जिला कार्यालय है। यहां जिला पशुपालन पदाधिकारी सहित अन्य वरीय पदाधिकारी बैठते हैं। परिसर में जिला पशु अस्पताल भी संचालित है। पशु अस्पताल में अभी क्रीमी, गैस की दवा हिम ब्लाक, भूख लगने की दवा हिमालयन बत्तीसा, जख्म में लगाने वाला मलहम सहित एक दो और दवाईयां ही उपलब्ध है। एंटी बायोटिक दवा तक उपलब्ध नहीं है।

अस्पताल में मौजूद डा. गुलाब चंद ने कहा कि दवाओं की खरीद नहीं होने के कारण अस्पताल में दवाओं की कमी है। अभी ठंड के कारण बीमार पड़ने वाले मवेशी को लेकर अधिकांश पशुपालक पहुंचते हैं। शहरी क्षेत्र के अस्पताल में गाय, भैंस लेकर बहुत कम संख्या में पशुपालक पहुंचते हैं। यहां अधिकांश लोग अपने पालतू कुत्ते, खरगोश, बकरी आदि का इलाज कराने आते हैं।

अपने बीमार बकरी का इलाज कराने पहुंची संगीता देवी ने कहा कि निजी दवा दुकान से सौ रुपये की दवाई खरीदनी पड़ी। संगीता उदाहरण मात्र है। अस्पताल पहुंचने वाले अधिकांश मवेशी पालकों को महंगे दर पर निजी दवाई दुकानों से दवा खरीदनी पड़ती है।

इधर, अस्पताल के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अब दवाओं का क्रय पटना के स्तर से ही किया जाना है। जिला में वर्तमान वित्तीय वर्ष में दवा का क्रय ही नहीं किया गया है। इस कारण सभी अस्पतालों में दवाओं की कमी है।

बोले जिला पशुपालन पदाधिकारी

दवाओं की कमी शीघ्र दूर की जाएगी। जैम पोर्टल के माध्यम से दवाओं की खरीद कर सभी पशु अस्पतालों को दवाओं की आपूर्ति की जाएगी। -डा. राजेश कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकारी, भागलपुर


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