बिहार के हालात: मधेपुरा में आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या- 2254, सिर्फ 605 स्वयं के भवनों में संचालित
बिहार के हालात- शिक्षा व्यवस्था पर नजर डालें तो स्कूलों की स्थिति जर्जर दिखाई देती है। आंगनबाड़ी केंद्रों की बात करें बड़े पैमाने पर केंद्रों का संचालन किराये के भवनों पर हो रहा है। मधेपुरा की ये रिपोर्ट इस बात की तस्दीक कर रही है।
जागरण संवाददाता, मधेपुरा: जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति बदहाल है। बड़ी संख्या में आंगनबाडी केंद्रों को अपना भवन नहीं है। बिना भवन वाले केंद्र किसी तरह से संचालित हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले में कुल 2254 आंगनबाड़ी केंद्र है। इसमें 605 को अपना भवन है। शेष 1649 केंद्र किराये के भवन में संचालित हो रहें हैं।
बाल विकास परियोजना से मिली जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों को चार हजार और ग्रामीण क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों को एक हजार रुपया प्रति महीने किराये के रूप में दिया जाता है। वहीं विभागीय स्तर पर पहल कर अब सरकारी स्कूलों की जमीन पर भी आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की पहल की गई है। इसके लिए डीईओ से एनओसी लेने की बात सामने आ रही है।
845 केंद्रों के लिए जमीन की हो रही तलाश -जिले में 845 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए जमीन की तलाश हो रही है। जमीन मिलने पर बाल विकास परियोजना और मनरेगा की ओर से भवन का निर्माण कराया जाना है। एक आंगनबाड़ी केंद्र के लिए कम से कम तीन से चार डिसमिल जमीन की जरूरत है।
बाल विकास योजना के पदाधिकारी की ओर से जिले के प्रत्येक प्रखंड क्षेत्र में 65- 65 आंगनबाड़ी केन्द्रों को भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। बताया जा रहा है कि जिले के 1500 आंगनबाड़ी केन्द्र किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं। इसमें शहरी क्षेत्र में 18 और ग्रामीण क्षेत्र में 587 आंगनबाड़ी केन्द्र को ही अपना भवन है। जबकि अन्य केन्द्र या तो स्कूल में या सामुदायिक केन्द्र या किराये के भवन में संचालित हो हैं।
मनरेगा के सहयोग से बनेगा भवन
जमीन चिन्हित होने के बाद बाल विकास योजना और मनरेगा के सहयोग से भवन का निर्माण होना है। बाल विकास परियोजना की ओर से दो लाख और मनरेगा की ओर से 5 लाख की लागत से भवन बनाने का प्रावधान है। लेकिन मंहगाई बढ़ने की वजह से लागत मूल्य में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है।
बाल विकास परियोजना की डीपीओ रश्मि कुमारी ने कहा, 'जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन के निर्माण को लेकर विभागीय स्तर पर पहल की गई है। प्रत्येक प्रखंड में 65-65 केंद्रों के भवन निर्माण के लिए जमीन चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है। केंद्रों के नियमित संचालन की दिशा में विभाग कटिबद्ध है।'