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Corona effect : दूसरे राज्यों में रोजगार ढूंढने वाले... अब घर पर देंगे रोजगार

अट्रैक्टिव एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर परियोजना के तहत कृषि और उससे जुड़े व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें युवाओं को रुचि के अनुसार व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 01:20 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 01:20 PM (IST)
Corona effect : दूसरे राज्यों में रोजगार ढूंढने वाले... अब घर पर देंगे रोजगार
Corona effect : दूसरे राज्यों में रोजगार ढूंढने वाले... अब घर पर देंगे रोजगार

भागलपुर [ललन तिवारी]। अब रोजगार ढूंढने वाले रोजगार प्रदान करेंगे। कोरोना महामारी के कारण गांव लौट रहे प्रवासियों को स्वावलंबी बनाया जाएगा। उन्हें उत्पादन से लेकर बाजार तक के गुर सिखाए जाएंगे। साथ ही स्वरोजगार आरंभ करने में आर्थिक मदद भी की जाएगी।

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अट्रैक्टिव एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर (आर्या) परियोजना के तहत कृषि और उससे जुड़े व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें युवाओं को उनकी रुचि के अनुसार व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। युवाओं को तराशकर व्यक्तित्व विकास किया जाएगा, ताकि वे बेहतर उद्यमी बन सकें। सरकार ने इसकी जिम्मेदारी देश के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को दी है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के नियंत्राधीन भागलपुर और औरंगाबाद में विगत वर्ष से ही परियोजना आरंभ हो चुकी है। भागलपुर जिले के तीन सौ युवा कई समूह में जुड़ स्वरोजगार कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के कारण बड़ी संख्या में युवा घर लौट रहे हैं। इसे रिवर्स माइग्रेशन कहा जा सकता है। ऐसे में इस परियोजना को विस्तार रूप देते हुए अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार करने के लिए मदद की जाएगी।

क्या है आर्या परियोजना

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में ही आर्या परियोजना को हरी झंडी दी थी। युवाओं को कृषि एवं कृषि आधारित क्षेत्र में रुचिकर आयाम देकर आकर्षित करना, रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम से आमदनी का अवसर प्रदान किया जाएगा। अच्छी आमदनी जब उन्हें अपने ही गांव में होने लगेगी तो उनका बाहर कमाने की सोच में बदलाव होगा। अच्छी आय सृजन के प्रति कृषि आकर्षित करेगा तो पलायन रुकेगा। गांव और कृषि का विकास होगा।

भागलपुर में दिख रही धरातल पर आर्या

केवीके सबौर के इंचार्ज डॉ. विनोद कुमार की मानें तो मुर्गी पालन, मछली पालन और नर्सरी प्रबंधन पर युवाओं का समूह काम कर रहा है। पीरपैंती के मेहरपूर में मीठा जल उत्पादक समूह, कहलगांव के कैरिया में कोहल मत्स्य उत्पादक समूह, जगदीशपुर के बैजानी में किसान भाई मत्स्य उत्पादक समूह एवं शाहकुंड में आदर्श मछली उत्पादक समूह सहित आठ मछली उत्पादक समूह का गठन कर प्रशिक्षित किया गया है। तीन समूहों को मछली का बीज भी दिया गया है जिससे वह व्यवसाय को आरंभ कर दिए हैं। मुर्गी पालन में पीरपैंती के श्रीनगर आदर्श पॉल्ट्री फार्म सहित चार समूह को प्रशिक्षित किया गया है जो अब अपना व्यवसाय करने की तैयारी कर रहे हैं। नर्सरी प्रबंधन में बीके नर्सरी सहित 11 समूह व्यवसाय का आरंभ कर दिये हैं।

कोरोना के इस दौर में गांव की ओर आ रहे युवाओं को आर्या परियोजना से पसंदीदा स्वरोजगार का अवसर मिलेगा। इससे आय का सृजन होगा। यह सभी केवीके में परियोजना आरंभ की जाएगी। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर


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