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अब बिना छिलका हटाए देसी खीरा का ले सकेंगे स्वाद, जानिए.... कैसे करें खेती

अब आप बेमौसम भी पतले छिलके और बिना बीज वाले खीरे का आनंद ले सकेंगे। वैज्ञानिक उसकी गुणवत्ता की परख कर रहे हैं। यह देशी देसी लुक लिए खीरा लोगों की पसंद बनेगा।

By Edited By: Published: Wed, 29 May 2019 12:37 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 10:17 AM (IST)
अब बिना छिलका हटाए देसी खीरा का ले सकेंगे स्वाद, जानिए.... कैसे करें खेती
अब बिना छिलका हटाए देसी खीरा का ले सकेंगे स्वाद, जानिए.... कैसे करें खेती

भागलपुर [ललन तिवारी]। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो आप बेमौसम भी पतले छिलके और बिना बीज वाले देशी खीरे का मजा ले सकते हैं। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस पर शोध शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालय में खीरे का फलन शुरू हो गया है। वैज्ञानिक उसकी गुणवत्ता की परख कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस नई किस्म का देसी लुक लिए खीरा लोगों की पसंद बनेगा। क्या है इस खीरे में खास बीएयू में सब्जी विभाग के अध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार और प्रधान वैज्ञानिक अजय भारद्वाज ने संयुक्त रूप से बताया कि पॉलीहाउस में पैदा होने वाली खीरे की यह नई किस्म है।

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सामान्य तौर पर हाईब्रीड वाले खीरे में काटे नहीं देखने को मिलते हैं। अब तक जो देसी खीरा किसान उगा रहे थे उसके छिलके पर कांटे जैसा उभार रहता है। इस खीरे में कांटों जैसा उभार होगा और अन्य देशी खीरे के मुकाबले में अच्छा होगा। यह खीरे में कोई बीमारी भी नहीं लगेगी। कडुवापन नहीं होगा। अब तक देश में इस तरह के किस्म का विकास नहीं किया गया है। ऐसे होती है खीरे की खेती बीएयू के निदेशक डॉ. आरके सोहाने कहते हैं कि संरक्षित खेती पॉलीहाउस के शेड में ही संभव है। उसमें फसल के अनुसार तापमान और वातावरण दिया जाता है।

साथ ही बाहरी कीट फसल व पौधे को नुकसान नहीं कर पाते हैं। जिससे उसकी गुणवत्ता ज्यादा होती है। अनुकूल वातावरण की वजह से बेमौसम में भी फसल उत्पादित करना संभव हो पाता है। खुले आसमान में जिस प्रकार फसल लगाई जाती है। उसी तरह इस किस्म को भी पॉलीहाउस में लगाया जाएगा। आम तौर पर खीरा की खेती खुले आसमान में करने से प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक ही पौधे में नर और मादा का अलग अलग फूल होता है। उस फूल पर मधुमक्खी सहित अन्य कीट बैठकर पर परागन की क्रिया संपन्न कराते हैं, जिससे उसमें फल आता है। इससे फल में कई कीट बीमारी भी लगती है, इससे उत्पादन कम होता है।

गुणवत्ता में कमी आती है। इसके अलावा खीरा की खेती मौसम में ही करना संभव होता है। इस कारण संरक्षित खेती किसानों के लिए ज्यादा लाभकारी है। यदि शोध सफल हो गया तो जल्द ही बाजार में खीरा उपलब्ध होगा। कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार नई किस्म की फसलों पर शोध कर रहे हैं। खीरे पर शोध चल रहा है। इस किस्म के आने से किसानों को फायदा होगा। विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है कि जल्द नई किस्म को विकसित की जाए।

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