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अब कोयले के राख से रोशन होंगे घर, TMBU ने बिजली उत्‍पादन का किया सफल प्रयोग Bhagalpur News

बिजली तैयार करने के लिए पहले फ्लाई ऐश को वर्मी कंपोस्ट में बदला जाएगा। इसके पूरा होने के बाद एक गमले में आठ किलो वर्मी कंपोस्ट से 1.5 वोल्ट बिजली पैदा की गई।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 11:07 AM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 11:07 AM (IST)
अब कोयले के राख से रोशन होंगे घर, TMBU ने बिजली उत्‍पादन का किया सफल प्रयोग Bhagalpur News
अब कोयले के राख से रोशन होंगे घर, TMBU ने बिजली उत्‍पादन का किया सफल प्रयोग Bhagalpur News

भागलपुर [बलराम मिश्र]। बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जाने वाला कोयले की राख से भी बिजली तैयार हो सकी। इस बिजली से लोगों के घर भी रोशन होंगे। ये राख (फ्लाई ऐश) देश के सभी नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के कुलपति प्रो. अवध किशोर राय के नेतृत्व में पीजी बॉटनी विभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने इस परेशानी का सफल तोड़ निकाल लिया है। पहले फ्लाई ऐश को वर्मी कंपोस्ट (खाद) में बदला गया। जिससे बिजली सफल तरीके से उत्पन्न की गई। इस पर आगे का प्रयोग चल रहा है।

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कैसे तैयार होगी बिजली

बिजली तैयार करने के लिए पहले फ्लाई ऐश को वर्मी कंपोस्ट में बदला जाएगा। इसके पूरा होने के बाद एक गमले में आठ किलो वर्मी कंपोस्ट से 1.5 वोल्ट बिजली पैदा की गई। वर्मी कंपोस्ट में एनोड, केथोड और जिंक प्लेट लगाने पर बिजली तैयार हुई।

कैसे तैयार होता है वर्मी कंपोस्ट

ईंट के पिट में 25 प्रतिशत फ्लाई ऐश, 25 प्रतिशत गारबेज और 50 प्रतिशत गाय का गोबर का प्रयोग होता है। इस मिश्रण के घुलने के बाद इसमें केंचुए को मिलाया जाता है। वैज्ञानिक किसलय कुमारी ने बताया कि फ्लाई ऐश में हेवी मेटलस होते हैं। जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियां होती है। किंतु केंचुआ इस मेटलस को अवशोषित कर लेता है। इस विधि द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया गया।

सब्जी की हुई अच्छी पैदावार

वैज्ञानिक मनीष के मुताबिक फ्लाई ऐश से तैयार वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग दो-तीन वर्षों से कई सब्जियों पर किया गया है। जिसमें गोभी, प्याज, मेथी, धनिया शामिल हैं। 2019 से भिंडी पर इसका प्रयोग चल रहा है। फ्लाई ऐश से बने वर्मी कंपोस्ट में मिलने वाले कुछ हानिकारक तत्वों की मात्रा को वैज्ञानिक तरीके से कम किया गया है। इस बात पर शोध जारी है कि बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग में आने वाला वर्मी कंपोस्ट किसानों को किस फसल की पैदावार में सबसे ज्यादा फायदा दे सकती हैं। अभी इसका शोध प्रोजेक्ट कहलगांव एनटीपीसी में लगा हुआ है।

राष्ट्रीय स्तर के अन्वेषण में इस प्रोजेक्ट की हुई थी सराहना

टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग के वैज्ञानिकों डॉ. रंजन कुमार मिश्रा, किसलय कुमारी, मनीष कुमार ने इससे संबंधित प्रेजेंटेशन गुजरात में हुए राष्ट्रीय स्तर के अन्वेषण में दिया था। इसका प्रयोग 2015 से ही प्रयोग शुरु हो गया था। विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार चौधरी इसके प्रोजेक्ट इंचार्ज हैं। फ्लाई ऐश से बना वर्मी कंपोस्ट पूरी तरह इको फ्रेंडली है।

प्रतिदिन 15 हजार मिट्रिक टन से ज्यादा प्रतिदिन निकलता है राख

कहलगांव एनटीपीसी में अकेले प्रतिदिन 15 हजार मिट्रिक टन राख निकलता है। यहां 11 सौ एकड़ भू-भाग में फ्लाई ऐश डंप किया हुआ है।

फ्लाई ऐश को सफलतापूर्वक वर्मी कंपोस्ट में बदल दिया गया है। इससे बिजली पैदा करने का भी सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। बड़े स्तर पर इस पर और शोध की जरूरत है। तभी हम बड़े स्तर पर बिजली तैयार कर सकते हैं। - प्रो. अवध किशोर राय, वैज्ञानिक पीजी बॉटनी विभाग और कुलपति टीएमबीयू


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