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अब दिव्यांग महिलाएं गरीबी को देंगी चुनौती, सहरसा में बनी ऐसी योजना कि राज्‍य भर में हो रही चर्चा

अपने बल पर गरीबी को चुनौती देगी दिव्यांग महिलाएं। अबतक 53 समूहों का किया गया है गठन। जीविका समूह द्वारा अबतक जिले में दिव्यांग महिलाओं का 53 स्वयं सहायता समूह गठित किया है। इन समूहों का बचत खाता खोला जा रहा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 11:52 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 11:52 AM (IST)
अब दिव्यांग महिलाएं गरीबी को देंगी चुनौती, सहरसा में बनी ऐसी योजना कि राज्‍य भर में हो रही चर्चा
दिव्‍यांग महिलाओं के लिए कई योजना है।

संवाद सूत्र, सहरसा। गरीबी और दिव्यांगता का दंश झेल रही महिलाएं अब परिवार और समाज में उपेक्षित नहीं रहेगी बल्कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सहयोग लेकर अपने पैरों पर खड़ी होगी। जिले में जीविका समूह ने ऐसी महिलाओं का 53 समूह गठन कर लिया है। इस समूहों को अन्य समूहों की अपेक्षा अधिक परिकर्मी निधि भी उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि इससे जुड़ी महिलाओं को जीविकोपार्जन का अवसर प्राप्त होगा।

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दिव्यांग महिला स्वयं सहायता समूह को दिया गया विशेष प्रशिक्षण

जीविका समूह द्वारा अबतक जिले में दिव्यांग महिलाओं का 53 स्वयं सहायता समूह गठित किया है। पतरघट प्रखंड में 28, महिषी में तीन, सलखुआ में छह, कहरा में चार, सत्तरकटैया में दस तथा सोनवर्षा में दो स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। सभी समूहों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इन समूहों का बचत खाता खोला जा रहा है। तत्पश्चात बैंकों के सहयोग से इन समूह की महिलाओं को वित्तपोषित किया जाएगा। और प्राथमिकता के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए दिव्यांग दीदियों को सहायता दी जाएगी।

इन समूहों को मिलेगा पचास हजार तक मिलेगा परिकर्मी निधि

आम तौर पर जीविका समूह के माध्यम से समूह की महिलाओं को अपने रोजगार के लिए 15 से 20 हजार तक परिकर्मी निधि दी जा जाती है। दिव्यांग समूह गठित होने के बाद इस समूह की महिलाओं को पचास हजार परिकर्मी निधि (आरएफ) उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि शारीरिक अपंगता के बावजूद सुगमता से दिव्यांग महिलाएं अपने जीवन- यापन के लिए रोजी कमा सके। इसके लिए जीविका समूह द्वारा संबंधित अधिकारियों व कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया है। प्रथम चरण में सभी समूहों को एक लाख दस हजार रूपये पूंजी के रूप में दिया जाएगा। बाद में जरूरत के अनुसार इन्हें और सहायता दी जाएगी।

गरीब परिवार की दिव्यांग महिलाएं समाज ही नहीं परिवार में भी उपेक्षित महसूस करती है। उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोडऩे और जीवन का बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए जीविका ने प्रयास शुरू कर दिया है। यह प्रयास दिव्यांग महिलाओं को नवजीवन प्रदान करेगा। - अमित कुमार, डीपीएम, जीविका, सहरसा।


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