बिना सीमेंट का कंक्रीट बना प्रभात ने बढ़ाया मान, चेन्नई में हैं वरीय वैज्ञानिक Bhagalpur News
अल्ट्रा हाईपरफार्मेंस कंक्रीट बड़े पुल-पुलिया भवन चिमनी ओवरब्रिज एयरपोर्ट टर्मिनल आदि बनाने के काम आएगा। ये संरचनाएं भूकंपरोध होंगी। सौ साल तक लाइप है।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। अब बिना सीमेंट के भी कंक्रीट बन सकेगा। इसका सफल प्रयोग वैज्ञानिकी और औद्योगिकी अनुसंधान परिषद, चेन्नई (सीएसआइआर) में वरीय विज्ञानी डॉ. प्रभात रंजन ने किया है। उन्होंने अपने इस आविष्कार की तकनीक को तमिलनाडु के तीन उद्योगों को भी दिया है। इन दिनों वे कंक्रीट पर थ्री-डी प्रिंटिंग के लिए काम कर रहे हैं।
डॉ. प्रभात मूलरूप से तातारपुर इलाके के सराय, सोनबर्षा लेन के रहने वाले हैं। इनके पिता शैलेंद्र मंडल बिहार पुलिस में थे, जबकि मां गुना देवी गृहिणी हैं। सेंट जोसेफ स्कूल नाथनगर से 2002 में दसवीं और टीएनबी कॉलेज इंटर पास करने के बाद प्रभात ने हल्दिया इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी कोलकाता से सिविल में बीटेक किया। 2017 में सीएसआइआर से पीएचडी की उपाधि ली। उनका विषय अल्ट्रा हाईपरफॉरमेंस कंक्रीट था। 2012 से ही वे सीएसआइआर में विज्ञानी हैं।
2019 में मिला युवा वैज्ञानिक अवार्ड
डॉ. प्रभात रंजन इंजीनयरिंग साइंस में 2019 का सीएसआइआर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी नवाजे गए थे। उन्हें यह पुरस्कार अल्ट्रा हाईपरफॉरमेंस कंक्रीट पर प्रायोगिक और सैद्धांतिक अनुसंधान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिला था। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्ष वर्धन ने उन्हें पुरस्कार सौंपा था।
2019 में बेस्ट पीएचडी थिसिस के लिए किए गए सम्मानित
इंडियन कंक्रीट इंस्टीच्यूट की ओर से डॉ. प्रभात को 2019 में बेस्ट पीएचडी थिसिस के लिए पुरस्कृत किया गया। अपने प्रोजेक्ट शोध के सिलसिले में वे कार्डिफ विवि यूनाइटेड किंगडम भी गए थे।
कंक्रीट से तैयार होंगे कम मेंटेंनेंस वाले मजबूत भवन व पुल
डॉ. प्रभात ने बताया कि अल्ट्रा हाईपरफार्मेंस कंक्रीट बड़े पुल-पुलिया, भवन, चिमनी, ओवरब्रिज, एयरपोर्ट, टर्मिनल आदि बनाने के काम आएगा। सामान्य भवनों के कंक्रीट की क्षमता करीब 30 एमपीए (मेगा पास्कल यूनिट) होती है, जबकि इस तरह निर्माण में 140 से 220 एमपीए क्षमता वाले संरचना का निर्माण हो सकता है। ये संरचनाएं भूकंपरोध होंगी। हालांकि इस तरह के निर्माण में ज्यादा खर्च आएगा। किंतु सौ साल तक भी इसमें मरम्मत की जरूरी नहीं है।